इस बार मॉनसून में हुई भयंकर बारिश ने किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश से लेकर गुजरात तक बाढ़ में भयंकर तबाही देखी गई है. किसान सरकार से राहत पैकेज और फसलों के नुकसान का मुआवजा मांग रहे हैं. इस बीच गुजरात के उद्योगपति पीयूष देसाई ने किसानों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. उन्होंने राज्य के 7500 किसानों को 7500-7500 रुपये प्रति किसान को आर्थिक मदद दी है. इसके अलावा वह 500 बेटियों की पढ़ाई का खर्च भी वहन कर रहे हैं.
किसानों के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा की
गुजरात में सूरत के उद्योगपति पीयूष देसाई ने बाढ़ और बारिश से फसलों के नुकसान से परेशान किसानों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. बेटियों की पढ़ाई और विकास पर काम कर रही पहल ‘हीराबा नो खुमकार’ (Hiraba No Khumkar) के जरिए उन्होंने किसानों को आर्थिक मदद दी है. बेमौसम बारिश से प्रभावित गुजरात के सूरत के ग्रामीण इलाकों के किसानों को उन्होंने अतिरिक्त वित्तीय सहायता देने के साथ एक बड़े स्तर पर सामाजिक आंदोलन शुरू किया है.
7500 किसानों को रकम वितरित की
सूरत में आयोजित कार्यक्रम में पीयूष देसाई ने बेमौसम बारिश से प्रभावित 7,500 किसानों को सहायता प्रदान की. उन्होंने प्रत्येक किसान को 7500-7500 रुपये दिए. पीयूष देसाई ने कहा कि बेटी को शिक्षित करना देश के भविष्य को मजबूत करने का सबसे प्रभावी तरीका है. हीराबा के आशीर्वाद से मेरा संकल्प है कि मैं इस मिशन को जारी रखूंगा और आने वाले वर्षों में और भी अधिक परिवारों तक पहुंचूंगा.
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किसानों की परेशानी दूर करने के लिए मदद दी
पीयूष देसाई ने कहा कि किसानों को भारी नुकसान हुआ है. उनकी परेशानी दूर करने के लिए मदद दी जा रही है. पीयूष देसाई सामाजिक उत्तरदायित्व की गहरी भावना के साथ शुरू किए गए “हीराबा नो खुमकार” अभियान को अपने जीवन के सबसे सार्थक प्रयासों में से एक मानते हैं. कार्यक्रम में छात्रों, अभिभावकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और उद्योगपतियों ने भाग लिया, जिन्होंने इस पहल की सराहना की और इसे व्यापक व्यावसायिक समुदाय के लिए एक प्रेरणा बताया.
कमजोर वर्ग की बेटियों की पढ़ाई के लिए 7500 रुपये की सहायता दे रहे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन यानी 17 सितंबर 2025 के अवसर पर शुरू की गई इस पहल के तहत शुरुआत में आर्थिक रूप से वंचित परिवारों की 551 लड़कियों को 7,500 रुपये प्रति लड़की की शैक्षिक सहायता प्रदान की गई, जिसमें स्कूल की फीस और संबंधित खर्च शामिल थे.