यूपी में गेहूं-चावल की बंपर उपज.. मक्का-दलहन खेती के सरकार ने जारी किए आंकड़े

उत्तर प्रदेश में गेहूं, चावल, मक्का और दलहन उत्पादन में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि सरकार की योजनाओं और किसानों की मेहनत से प्रदेश अब देश की खाद्य सुरक्षा में बड़ा योगदान दे रहा है.

नोएडा | Published: 27 Aug, 2025 | 03:37 PM

उत्तर प्रदेश में खेती-बाड़ी लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है. किसानों की मेहनत और सरकार की योजनाओं का असर अब साफ दिखने लगा है. प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने मंगलवार को कृषि भवन में आयोजित बैठक में बताया कि गेहूं, चावल, दलहन और मक्का जैसी प्रमुख फसलों के उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार की किसान-हितैषी नीतियों और जागरूकता कार्यक्रमों की वजह से न सिर्फ उत्पादन बढ़ा है, बल्कि किसानों की आय में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है.

कृषि विकास दर में दोगुनी से ज्यादा बढ़ोतरी

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि वर्ष 2016-17 में कृषि विकास दर 8.8 प्रतिशत थी, जो अब 2024-25 में बढ़कर 15.7 प्रतिशत हो गई है. यानी पिछले आठ सालों में प्रदेश की कृषि विकास दर दोगुनी से ज्यादा हो गई. यही नहीं, प्रदेश की कृषि सकल राज्य मूल्य संवर्धन (GSVA) भी 2016-17 के 2 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 4.37 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. यह लगभग 118 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि है.

गेहूं और चावल के उत्पादन में रिकॉर्ड

उत्तर प्रदेश की दो प्रमुख फसलें- गेहूं और चावल- के उत्पादन में भी जबरदस्त उछाल दर्ज हुआ है. वर्ष 2016-17 में गेहूं का उत्पादन 349.71 लाख मीट्रिक टन था, जो 2024-25 में बढ़कर 414.39 लाख मीट्रिक टन हो गया. इसी तरह चावल का उत्पादन 144.70 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 212.25 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया. इससे साफ है कि किसान अब आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक तरीकों से फसल उत्पादन में तेजी ला रहे हैं.

दलहन और तिलहन खेती में भी बड़ा इजाफा

प्रदेश में केवल अनाज ही नहीं, बल्कि दलहन और तिलहन के उत्पादन में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2016-17 में दलहन का उत्पादन 23.90 लाख मीट्रिक टन था, जो अब 2024-25 में बढ़कर 36.30 लाख मीट्रिक टन हो गया. वहीं तिलहन उत्पादन 12.40 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 30.80 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया. इससे साफ है कि किसान अब विविध खेती की ओर भी ध्यान दे रहे हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय मिल रही है.

मक्का खेती को मिला नया प्रोत्साहन

मक्का की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने विशेष अभियान चलाया. त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम के तहत मक्का का क्षेत्रफल वर्ष 2016-17 के 3.06 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2024-25 में 5.42 लाख हेक्टेयर हो गया. इसका फायदा यह हुआ कि प्रदेश के किसानों को पारंपरिक गेहूं-धान की खेती से हटकर मक्का की ओर भी आकर्षित किया गया. यह न केवल आय का नया साधन बना, बल्कि मिट्टी और जल संरक्षण के लिहाज से भी बेहतर साबित हुआ.

किसानों को तकनीक से जोड़ने पर जोर

कृषि मंत्री ने बताया कि फसल सघनता, जो कृषि विकास का एक महत्वपूर्ण संकेतक है, 2016-17 में 163 प्रतिशत थी, जो 2024-25 में बढ़कर 182 प्रतिशत हो गई. यह 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी किसानों की जागरूकता और वैज्ञानिक खेती का नतीजा है. इसके लिए सरकार ने विकसित कृषि संकल्प यात्रा और किसान पाठशाला जैसे कार्यक्रम शुरू किए.

  • विकसित कृषि संकल्प यात्रा के तहत 14,170 गांवों में 23.30 लाख किसानों को लाभ पहुंचाया गया.
  • किसान पाठशाला कार्यक्रम 76,000 गांवों में आयोजित हुआ, जिसमें 1.71 करोड़ किसानों को नई तकनीक सिखाई गई.
  • इन प्रयासों का असर यह हुआ कि किसान आधुनिक तरीकों से खेती करने लगे और उत्पादन क्षमता बढ़ गई.

देश की खाद्य सुरक्षा में यूपी का बड़ा योगदान

आज उत्तर प्रदेश देश की खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. प्रदेश गेहूं, चावल, गन्ना और आलू उत्पादन में पहले स्थान पर है. बाजरा, मसूर और राई/सरसों में दूसरे स्थान पर और दलहन उत्पादन में तीसरे स्थान पर है. यह उपलब्धि किसानों की मेहनत और सरकार की सही नीतियों का परिणाम है.