जून के महीने में किसान खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई करते हैं . इस सीजन में दलहनी, तिलहनी फसलों और सब्जियों के साथ- साथ कुछ फूल भी होते हैं जिनकी खेती खरीफ सीजन में ही की जाती है. इन्हीं फूलों में से एक है चमेली का फूल. जिसका पौधा अपनी मनमोहक खुशबू और सुंदर सफेद फूलों के लिए पहचाना जाता है. इसकी खासियत है कि आप इसे अपने घर में किसी गमले में भी उगा सकते हैं जो कि आपके घर के वातावरण को भी अच्छा रखने में मदद करेगा. खबर में आगे बात करेंगे कि कैसे होती है चमेली के फूल की खेती.
सही मिट्टी और जलवायु का रखें खयाल
चमेली की खेती के लिए किसानों के लिए जरूरी है कि वे अपने खेत की मिट्टी जांच लें. चमेली की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे सही मानी जाती है. जिसका pH मान 6.5 होना चाहिए. बता दें कि चमेली की खेती के लिए तापमान 24 से 32 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. इस तापमान में चमेली का पौधा बढ़ता है.
पौधों की रोपाई और खाद का इस्तेमाल
चमेली के पौधों की रोपाई का समय जून से लेकर नवंबर तक होता है. रोपाई के लिए खेत में 15 सेमा गहरा गड्ढा खोदने के बाद हर गड्ढे में एक पौधा लगाएं. खेत की तैयारी करते समय प्रति हेक्टेयर पर 300 से 400 क्वविंटल गोबर की सड़ी हुई खाद डालें. इसके अलावा 200 किग्रा नाइट्रोजन, 400 किग्रा सिंगल सुपर फॉस्फेट और 125 किग्रा पोटैशियम को प्रति हेक्टेयर की दर से डालें. बता दें कि नाइट्रोजन की आधा मात्रा खेत की तैयारी के समय और बाकी आधी मात्रा फूल आने के समय पर डालें.
तुड़ाई का समय और उत्पादन
चमेली के पौधे में रोपाई के करीब 1 से 2 साल के बाद फूल आने लगते हैं. इन फूलों की तुड़ाई हमेशा सूर्योदय से पहले करनी चाहिए. ऐसा करने से चमेली के फूलों की खुशबू बनी रहती है. बात करें चमेली के पौधे से मिलने वाली उपज की तो इसके पौधे से हर साल 4 से 7 किग्रा फूल मिलते हैं. इन फूलों की कीमत आम तौर पर 250 रुपये प्रति किग्रा होती है तो वहीं शादी या त्योहारों के समय इसकी कीमत बढ़कर 400 रुपये प्रति किग्रा तक हो जाती है.