Thai Mangur Fish : मछली पालन आज गांवों में सबसे तेज बढ़ता व्यवसाय बन चुका है. लेकिन कई किसान एक गलती ऐसी कर बैठते हैं, जिससे महीनों की कमाई एक झटके में खत्म हो जाती है. यह गलती है गलत प्रजाति की मछलियों को तालाब में छोड़ देना. कुछ मछलियां ऐसी होती हैं, जो बाहर से देखने में साधारण लगती हैं, लेकिन अंदर से तालाब की पूरी फूड चेन को खराब कर देती हैं. शुरू में किसानों को इनकी बढ़त देखकर लगता है कि कमाई ज्यादा होगी, लेकिन बाद में यही मछलियां तालाब की बाकी आबादी को खत्म कर देती हैं. इसलिए विशेषज्ञों ने साफ चेतावनी दी है कि कुछ प्रजातियों का पालन भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
गलत मछली चुनते ही तालाब का संतुलन बिगड़ जाता है
मीडिया रिपोर्ट बताती है कि तालाब में हर प्रजाति का अपना महत्व होता है. कुछ मछलियां पानी को साफ रखती हैं, कुछ नीचे जाकर खाना ढूंढती हैं और कुछ ऊपर की परत में रहती हैं. लेकिन जब तालाब में बहुत तेजी से बढ़ने वाली आक्रामक प्रजाति डाल दी जाती है, तो उसका असर पूरे तालाब पर पड़ता है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये मछलियां तालाब में मौजूद छोटे जीवों और पौधों को खत्म कर देती हैं. जब खाना ही खत्म हो जाता है, तो बाकी मछलियां बढ़ नहीं पातीं और धीरे-धीरे मरने लगती हैं. किसान को लगता है कि तालाब में दिक्कत पानी की है, जबकि असली वजह गलत मछलियों का चुनाव होता है.
थाई मांगुर: तालाब की सबसे विनाशकारी मछली
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सबसे खतरनाक मछली थाई मांगुर को माना जाता है. यह मछली दिखने में भले ही साधारण लगे, लेकिन इसके अंदर इतनी ताकत और भूख होती है कि यह तालाब के हर जीव को खत्म कर देती है. इसकी खासियत यह है कि यह बहुत तेजी से बढ़ती है. कुछ रिपोर्ट में बताया गया है कि सिर्फ तीन महीनों में इसका वजन 8 से 10 किलो तक पहुंच सकता है. लेकिन इसकी यह तेजी तालाब के लिए नुकसानदायक होती है, क्योंकि यह छोटी मछलियों, कीड़े-मकोड़ों, शैवाल और यहां तक कि सड़े हुए मांस तक को खा जाती है. इसकी यही खूंखार आदत तालाब की फूड चेन को नष्ट कर देती है. यही वजह है कि विशेषज्ञों ने इसे खतरनाक घोषित किया है और इसके पालन को पूरी तरह से गलत बताया है.
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थाई मांगुर तालाब को कैसे बर्बाद कर देती है
यह मछली तालाब में इतना खाना खा जाती है कि बाकी मछलियों के लिए कुछ बचता ही नहीं. इसके चलते दूसरी मछलियां कमजोर पड़ने लगती हैं, उनका वजन नहीं बढ़ता और धीरे-धीरे पूरी आबादी कम होने लगती है. इससे तालाब की मिट्टी तक खराब होने लगती है, पानी गंदा हो जाता है और दुर्गंध आने लगती है. कई किसानों ने बताया कि जहां यह मछली एक बार बढ़ जाती है, वहां दोबारा तालाब को ठीक करने में महीनों लग जाते हैं. पानी बदलना पड़ता है, मिट्टी निकालनी पड़ती है और कभी-कभी पूरी मछली आबादी को खत्म करना पड़ता है.
बिग हेड कार्प भी तालाब का बड़ा नुकसान करती है
मीडिया रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि थाई मांगुर के साथ-साथ बिग हेड कार्प भी ऐसी प्रजाति है, जिसे तालाब में डालना सबसे बड़ी गलती होती है. यह मछली तालाब के पोषक तत्वों को इतनी तेजी से खा जाती है कि बाकी मछलियों को खाना नहीं मिलता. यह पानी में मौजूद पौष्टिक खाद्य पदार्थों को खत्म कर देती है और दूसरे जीवों के लिए जगह नहीं छोड़ती. देखने में सामान्य लगने वाली यह मछली धीरे-धीरे पूरा तालाब खाली कर देती है. इसलिए इसे भी नुकसानदायक बताया गया है और इसके पालन से दूर रहने की सलाह दी जाती है.
किसानों को क्या सावधानियां रखनी चाहिए
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि किसान तालाब में सिर्फ वे प्रजातियां डालें, जो संतुलन बनाए रखें. नई मछलियां डालने से पहले उनकी पहचान जरूर करें. तेजी से बढ़ने वाली या प्रतिबंधित मछलियों से दूरी रखें. तालाब की साफ-सफाई और पानी की गुणवत्ता पर निगरानी रखें. सही जानकारी लेकर ही पालन शुरू करें, क्योंकि गलत प्रजाति पूरे तालाब और पूरी कमाई को नष्ट कर सकती है.