देशभर में मखाना उत्पादन के मामले में बिहार पहले स्थान है और यही नहीं बिहार कुल उत्पादन का अकेले 90 फीसदी से अधिक मखाना उत्पादन करता है. हाल ही में मखाना बोर्ड की स्थापना भी बिहार में की गई है. लेकिन, अब उत्तर प्रदेश भी मखाना उत्पादन में आगे निकलने के लिए तैयारियों में जुट गया है और इसी क्रम में वैज्ञानिकों का मखाना उत्पादन का प्रयोग सफल रहा है. अब राज्य भर के 25 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्रों को मखाना की खेती करने की ट्रेनिंग देने की तैयारी की गई है, जो किसानों को खेती का तरीका सिखाएंगे और राज्यभर में उत्पादन शुरू किया जा सके. इस पहल से यूपी के तालाबों से मछली और सिंघाड़ा के साथ सफेद सोना यानी मखाना भी हासिल किया जा सकेगा.
मखाना की खेती में सफलता से उम्मीदों को लगे पंख
उत्तर प्रदेश को भी बिहार की तरह मखाना उत्पादक राज्य बनाने की तैयारी में आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय आगे बढ़कर आया है. यहां पहली बार मखाना की खेती का प्रयोग किया गया है, जो सफल हुआ है. विश्वविद्यालय के अनुसार अब पूर्वांचल के 25 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) तक मखाना के बीज और तकनीक पहुंचाने की योजना पर काम शुरू किया जा रहा है.
यूपी के इन जिलों में मखाना की खेती होगी
विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार राज्य के जलीय इलाकों को चिह्नित किया जा रहा है. क्योंकि, जिन हिस्सों में पानी की अधिकता है और तालाबों या जलाशयों की भरपूर संख्या है वहां पहले चरण में मखाना की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा. तराई इलाके और पूर्वांचल के वाराणसी, चंदौली, श्रावस्ती, बलरामपुर, बहराइच समेत कुछ और जिलों के 25 केवीके को मखाना के बीज भेजे जाएंगे.
- PM Kisan Yojana के लाभार्थियों को एडवांस में मिलेंगे 2000 रुपये, जानिए किस्त जारी करने के लिए मंत्रालय ने क्या कहा
- हल्दी, करौंदा की खेती पर सरकार दे रही 10 हजार रुपये, स्प्रिंकलर लगवाने पर 90 फीसदी सब्सिडी पाएं किसान
- यमुना और हिंडन की बाढ़ में अभी भी डूबे दर्जनों गांव, गन्ना में बीमारी लग रही.. गेहूं बुवाई में देरी की चिंता
कृषि विश्वविद्यालय 3 तालाबों में उगा रहा मखाना
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने बिहार के प्रमुख मखाना उत्पादन इलाकों दरभंगा तथा मुंगेर में अपने कृषि वैज्ञानिकों को भेजा है, जो वहां से इसकी खेती की जानकारी हासिल की है. वर्तमान में कृषि विश्वविद्यालय ने 1200- 1300 वर्ग मीटर चौड़ाई वाले स्थानीय तीन तालाबों में मखाना की खेती की गई है, जो सफल साबित हुई है.
सिद्धार्थनगर में भी मखाना उत्पादन का प्रयोग जारी
विश्वविद्यालय के अनुसार के तालाब में मखाना अब कटने को तैयार है. अगले 10-15 दिनों में इसकी कटाई शुरू की जाएगी. प्रयोग के तौर पर अच्छे नतीजे मिले हैं. उम्मीद है कि सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे. वर्तमान में सिद्धार्थनगर में इसकी खेती का प्रयोग भी किया जा रहा है. कोशिश है कि इन सभी केवीके के जरिये इसका प्रसार हो ताकि जलभराव वाले इलाकों में किसान मखाना की खेती से मुनाफा कमा सकें. यह किसानों की आमदनी बढ़ा सकें.
कब डाला जाता है मखाना का बीज और कब होती है कटाई
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के अनुसार मखाना की खेती के लिए जनवरी महीने में तालाब में बीज डाला जाता है. यह कटने के लिए अक्तूबर तक तैयार हो जाता है. केंद्र सरकार की ओर से मखाना बोर्ड का गठन किया जा रहा है. निश्चित रूप से इसके फायदे बिहार के साथ यूपी और अन्य राज्यों को भी मिलेंगे. जलवायु और मौसम परिस्थितियों सटीक रहने से उत्पादन बढ़िया रहा तो पूर्वांचल के साथ उत्तर प्रदेश प्रमुख मखाना उत्पादक राज्यों में शामिल हो जाएगा.