Potato Farming : सर्दियों का मौसम जहां आलू की फसल के लिए अनुकूल माना जाता है, वहीं यही मौसम किसानों के लिए बड़ी चुनौती भी बन जाता है. ठंडी रातें, लगातार कोहरा और खेतों में बनी नमी आलू की फसल पर गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा देती हैं. खासकर इन दिनों झुलसा रोग तेजी से फैल रहा है, जिससे पत्तियां भूरी होकर झुलसने लगती हैं. अगर समय रहते सही कदम न उठाए जाएं, तो पूरी फसल को भारी नुकसान हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिसंबर के महीने में थोड़ी सी लापरवाही किसानों की महीनों की मेहनत पर पानी फेर सकती है.
मौसम के साथ बढ़ता रोगों का खतरा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आलू की बुवाई आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर के बीच की जाती है और इस समय फसल अपने विकास के अहम दौर में होती है. जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है, वैसे-वैसे कोहरा और नमी खेतों में टिकने लगती है. 18 से 22 डिग्री सेल्सियस तापमान, ठंडी रातें और लगातार कोहरा झुलसा रोग के लिए सबसे अनुकूल हालात बनाते हैं. ऐसे मौसम में फफूंद तेजी से फैलती है और आलू की पत्तियों पर असर दिखने लगता है.
झुलसा रोग के लक्षण कैसे पहचानें
झुलसा रोग की शुरुआत पत्तियों पर छोटे भूरे या काले धब्बों से होती है. धीरे-धीरे ये धब्बे फैलकर पूरी पत्ती को झुलसा देते हैं. पत्तियां सूखने लगती हैं, तना कमजोर हो जाता है और पौधे की बढ़वार रुक जाती है. गंभीर स्थिति में इसका असर कंदों तक पहुंच जाता है, जिससे आलू सड़ने लगते हैं. यही कारण है कि किसान अगर शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, तो नुकसान कई गुना बढ़ जाता है.
इन दिनों किसानों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, झुलसा रोग से बचाव के लिए सबसे पहले रोगमुक्त बीज कंद का इस्तेमाल जरूरी है. खेत में जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि पानी जमा न रहे. संतुलित मात्रा में खाद और उर्वरक देने से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. जैसे ही पत्तियों पर झुलसने के शुरुआती लक्षण दिखें, तुरंत फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए. समय पर किया गया एक सही छिड़काव पूरी फसल को बचा सकता है.
लापरवाही पड़ी तो नुकसान तय
आलू कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल मानी जाती है, लेकिन सर्दियों में थोड़ी सी लापरवाही भारी नुकसान का कारण बन सकती है. झुलसा रोग अगर फैल गया, तो उत्पादन में बड़ी गिरावट आ सकती है. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फसल चक्र अपनाएं, हर साल एक ही खेत में आलू की खेती न करें और मौसम पर लगातार नजर रखें. समय रहते सही कदम उठाकर न सिर्फ झुलसा रोग को रोका जा सकता है, बल्कि अच्छी पैदावार और बेहतर आमदनी भी हासिल की जा सकती है.