इस साल 1 नवंबर से शुरू हुए 2025-26 पेराई सीजन के पहले 30 दिनों में रिकॉर्ड गन्ना की पेराई की गई है, जिसके चलते चीनी उत्पादन ने बीते साल का उत्पादन आंकड़ा काफी पीछे छोड़ दिया है. सबसे ज्यादा गन्ना पेराई के लिए महाराष्ट्र में कारखाने चल रहे हैं, जिसके चलते चीनी उत्पादन भी वहां ज्यादा है. यूपी में बीते साल की तुलना में चीनी उत्पादन में बढ़त दर्ज की गई है. गन्ना मूल्य में राज्यों की ओर से की गई बढ़ोत्तरी के बाद अब चीनी के बिक्री मूल्य को भी बढ़ाने की मांग शीर्ष इंडस्ट्री निकाय ISMA ने केंद्र से की है.
इंडियन शुगर एंड बायो एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने देश में 30 नवंबर तक गन्ना पेराई और चीनी उत्पादन के आंकड़े जारी किए हैं. ISMA ने कहा है कि ज्यादा क्रशिंग वॉल्यूम सीजन की अच्छी शुरुआत का संकेत देते हैं और पेराई उम्मीदों के मुताबिक है. मौजूदा 2025-26 सीज़न में 30 नवंबर 2025 तक चीनी का उत्पादन 41.08 लाख टन तक पहुंच गया है, जबकि पिछले साल इसी तारीख को 28.76 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था. इस साल चालू फैक्ट्रियों की संख्या 428 रही है, जबकि पिछले साल इसी तारीख को 376 फैक्ट्रियां चल रही थीं.
उत्तर प्रदेश में गन्ना पेराई सीजन में चीन उत्पादन आंकड़े 2025
इस्मा ने कहा कि फील्ड लेवल फीडबैक से पता चलता है कि पिछले साल के मुकाबले मुख्य राज्यों में गन्ने की पैदावार बेहतर हुई है और चीनी की रिकवरी रेट भी बेहतर दर्ज किया गया है. उत्तर प्रदेश में नवंबर 2024 के आखिर तक चीनी का उत्पादन 13.97 लाख टन तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के मुकाबले 1.17 लाख टन ज्यादा है.
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महाराष्ट्र ने गन्ना उत्पादन में लंबी छलांग लगाई
महाराष्ट्र की चीनी मिलों ने भी पिछले साल के इसी तारीख के परफॉर्मेंस से बेहतर प्रदर्शन किया है. राज्य में 170 मिलें चल रही हैं और चीनी का उत्पादन 16.95 लाख टन रहा है. जबकि, बीते साल 124 चीनी मिलें चल रही थीं पर उत्पादन केवल 5 लाख टन के करीब रहा था. इसी तरह कर्नाटक में भी किसानों के आंदोलन की वजह से शुरुआती रुकावटों के बावजूद क्रशिंग ऑपरेशन ने रफ्तार पकड़ ली है.
6 साल से चीनी की एमएसपी नहीं बढ़ी, केंद्र फैसला ले
ISMA ने चीनी के मिनिमम सेलिंग प्राइस (MSP) में बढ़ोतरी की अपनी मांग को फिर से दोहराया है, जो बढ़ती उत्पादन लागत के बावजूद छह साल से ज्यादा समय से बढ़ाई नहीं गई है. हाल ही में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में गन्ने की कीमत बढ़ने से पूरे भारत में औसत प्रोडक्शन कॉस्ट 41.72 रुपये प्रति किलो हो गई है. मिलों को सही रिटर्न और किसानों को समय पर पेमेंट पक्का करने के लिए MSP बढ़ाना जरूरी है.
इथेनॉल आवंटन नीति आयोग के रोडमैप से करने की मांग
ISMA ने केंद्र सरकार से ज्यादा फीडस्टॉक और कन्वर्जन कॉस्ट को दिखाने के लिए इथेनॉल खरीदने की कीमत बढ़ाने की भी अपील की है. ESY 2025–26 के लिए चीनी सेक्टर को सिर्फ 289 करोड़ लीटर इथेनॉल का मौजूदा आवंटन मिला है, जो कुल आवंटन का सिर्फ 27.5 फीसदी है. इस स्थिति ने गंभीर असंतुलन पैदा कर दिया है और डिस्टिलरी कैपेसिटी का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह इस्तेमाल नहीं हो पाया है. सही इस्तेमाल और लंबे समय तक स्थिरता पक्का करने के लिए ISMA ने चीनी इंडस्ट्री को इथेनॉल आवंटन NITI आयोग के इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (EBP) रोडमैप के हिसाब से 55 फीसदी करने की अपील की है.