Dairy Farming : भारत में दूध की बढ़ती मांग के चलते डेयरी फार्मिंग और पशुपालन अब लाखों किसानों की आमदनी का प्रमुख स्रोत बन गया है. सिर्फ दूध ही नहीं, बल्कि उससे बने दही, घी, पनीर और अन्य उत्पादों की भी रोजाना जरूरत रहती है. ऐसे में किसान उन गायों को पालना पसंद करते हैं जो अधिक मात्रा में दूध देती हों. क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ देशी गायें हैं जो रोजाना 40 से 60 लीटर तक दूध दे सकती हैं? आइए जानते हैं उनकी खासियत और पालन के तरीके.
गुजरात की गिर गाय
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गिर गाय (Gir Cow) भारत की सबसे मशहूर और अधिक दूध देने वाली नस्लों में से एक है. गुजरात के गिर जंगलों में पाई जाने वाली यह गाय अपने बड़े थन और मजबूत शरीर के लिए जानी जाती है. इनका दूध इतना अधिक होता है कि इसे दुहने के लिए कम से कम चार लोगों की जरूरत पड़ती है. अगर सही देखभाल किया तो गिर गाय एक दिन में 40 से 60 लीटर तक दूध दे सकती है. यह गाय न केवल उच्च दूध उत्पादन में माहिर है, बल्कि गर्मी और बीमारी के प्रति भी ज्यादा सहनशील होती है. इसलिए किसान इसे पालना पसंद करते हैं. गिर गाय के दूध से बने घी और पनीर का स्वाद भी अत्यंत बेहतरीन माना जाता है.
साहिवाल गाय
साहिवाल गाय (Sahiwal Cow) मुख्य रूप से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पाई जाती है. यह नस्ल भी उच्च दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साहिवाल गाय सालाना 2000 से 3000 लीटर तक दूध देती है. बछड़ा देने के बाद यह लगभग 10 महीने तक लगातार दूध देती रहती है. इस गाय की देखभाल भी आसान है और यह गर्म मौसम में भी आसानी से दूध देती रहती है. साहिवाल गाय का दूध पौष्टिक होता है और इससे बने उत्पाद जैसे घी, दही और पनीर बाजार में बहुत मांग में रहते हैं.
लाल सिंधी गाय
लाल सिंधी गाय (Red Sindhi Cow) सिंध इलाके की प्रमुख नस्ल है, इसलिए इसका नाम भी लाल सिंधी पड़ा. यह गाय भारत के कई राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और ओडिशा में पाई जाती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लाल सिंधी गाय सालाना 2000 से 3000 लीटर तक दूध देती है. इसका दूध उच्च गुणवत्ता वाला और पौष्टिक होता है. किसान इसे इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि यह लंबे समय तक दूध देती रहती है और किसी विशेष देखभाल की जरूरत कम पड़ती है. इसके दूध से दही और घी की गुणवत्ता भी बहुत अच्छी होती है.
राठी गाय
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान की राठी गाय (Rathi Cow) दूध उत्पादन में विशेष रूप से मशहूर है. यह गाय गंगानगर, बीकानेर और जैसलमेर के इलाकों में पाई जाती है. राठी गाय दिन में 15 लीटर तक दूध देती है. यह नस्ल भी गर्मी और कठोर पर्यावरण के लिए सहनशील होती है. राठी गाय के दूध का स्वाद और पौष्टिकता भी उच्च होती है. किसान इसे मुख्य रूप से मांस और दूध दोनों के लिए पालते हैं. इसके दूध से बने उत्पादों की मांग स्थानीय बाजारों में अधिक रहती है.
देशी गायों के पालन और फायदे
देशी गायें केवल दूध देने में ही नहीं, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में भी सहायक होती हैं. अगर सही देख-भाल किया जाए तो उनके दूध में बढ़त होती है. इनका पालन आसान है और ये कम जगह में भी अच्छी पैदावार देती हैं. देशी गायों का दूध अधिक पौष्टिक होता है, जो बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी फायदेमंद है. किसान इन गायों को हरे चारे, सूखे चारे और जरूरी खनिज वाले आहार के साथ स्वस्थ रख सकते हैं. ठंड और गर्मी दोनों मौसम में उचित देखभाल से यह लंबे समय तक अधिक दूध देती रहती हैं. देशी गायों के दूध से बने घी और पनीर की कीमत भी बाजार में अच्छी रहती है, जिससे किसान को अधिक मुनाफा मिलता है.