महाराष्ट्र में बकरीद तक मंडियों में नहीं लगेगा पशु मेला! गोसेवा आयोग ने जारी किए निर्देश

बकरीद से पहले महाराष्ट्र गोसेवा आयोग ने 3 से 8 जून तक सभी पशु बाजार बंद करने का निर्देश दिया है, जिससे मुस्लिम समुदाय में नाराजगी है. आयोग का कहना है कि यह कदम अवैध गौवध रोकने के लिए है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 1 Jun, 2025 | 12:43 PM

ईद-उल-अजहा (बकरीद) 7 जून को है. इसी बीच महाराष्ट्र गोसेवा आयोग ने बड़ा फैसला लिया है. उसने 3 जून से 8 जून तक राज्य की सभी कृषि उपज मंडी समितियों (APMCs) को किसी भी प्रकार की पशु हाट न लगाने का निर्देश दिया है. इस फैसले की मुस्लिम समुदाय समेत कई लोगों ने निंदा की है. उनका कहना है कि त्योहार से पहले पूरे हफ्तेभर के लिए बकरे और भेड़ों सहित अन्य जानवरों की बिक्री पर रोक लगाना अनुचित है.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 27 मई को गोसेवा आयोग ने सभी APMCs को एक सर्कुलर भेजा, जिसमें कहा गया कि बकरीद के दौरान बड़े पैमाने पर पशु की कुर्बानी दी जाती है होती है. ऐसे में इस दौरान अवैध गौवंश वध को रोकने के लिए 3 से 8 जून तक गांवों में कोई पशु मेला न लगाया जाए. साथ ही सर्कुलर में महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम का हवाला भी दिया, जिसके तहत राज्य में गौवंश के वध पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. मौजूदा नियमों के तहत महाराष्ट्र में गाय, बैल और बछड़े के किसी भी उम्र या हालत में वध पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. यहां तक कि इनके मांस (बीफ) को अपने पास रखना भी अपराध माना जाता है.

विरोध में उतरा वंचित बहुजन आघाड़ी

वंचित बहुजन आघाड़ी के राज्य उपाध्यक्ष फारूक अहमद ने नांदेड़ में इस सर्कुलर के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए कहा कि राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गौवध न हो, लेकिन पूरे बाजार को बंद करना क्या जरूरी है? इससे बकरी, भैंस और भेड़ जैसे गैर-प्रतिबंधित जानवरों का व्यापार भी रुक जाएगा. इसका असर किसानों, मजदूरों, ड्राइवरों, ब्रोकरों और कुरैशी-खटीक समाज जैसे समुदायों की रोजमर्रा की कमाई पर पड़ेगा. अहमद ने गोसेवा आयोग की अधिकार सीमा पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि गोसेवा आयोग केवल सिफारिश कर सकता है. मंडियों को सीधे आदेश देना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है.

आयोग का सर्कुलर सिर्फ एक सलाह है

इस बीच गोसेवा आयोग ने सफाई दी है कि उनका उद्देश्य सिर्फ गौवध की किसी भी संभावना को कम करना है. आयोग के अध्यक्ष शेखर मुंदड़ा ने कहा कि ईद से पहले के दिनों में जानवरों की बड़ी संख्या में खरीद-बिक्री होती है, जिनमें कई बार बलि की नीयत भी शामिल होती है. हम सिर्फ इसी प्रक्रिया को रोकना चाहते हैं. जहां तक बाकी जानवरों की बिक्री पर रोक की बात है, वह केवल एक हफ्ते के लिए है. उन्होंने यह भी कहा कि आयोग का सर्कुलर सिर्फ एक सलाह है, आदेश नहीं.

महाराष्ट्र में इतनी है कृषि उपज मंडी समितियां

महाराष्ट्र में कुल 305 प्रमुख और 603 गौण कृषि उपज मंडी समितियां हैं, जिन्हें APMC एक्ट के तहत महाराष्ट्र राज्य कृषि विपणन मंडल नियंत्रित करता है. राज्य में 292 पशु बाजार सक्रिय हैं और लगभग सभी APMC के अधीन चलते हैं. इन बाजारों में मुख्य रूप से किसान मवेशियों (जैसे बैल और गाय) की खरीदी-बिक्री करते हैं.

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Published: 1 Jun, 2025 | 11:59 AM

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