अब हिमाचल प्रदेश के पशुपालक यह सोचकर परेशान नहीं होंगे कि उनका दूध किस रेट पर बिका, कब बिका और पैसा आया या नहीं. क्योंकि अब दूध बेचने के बाद सारा हिसाब-किताब सीधा मोबाइल पर आएगा. न कोई बीच वाला, न कोई धोखा। सरकार की नई योजना से किसानों की मेहनत का पूरा मोल मिलेगा- पारदर्शिता, तकनीक और भरोसे के साथ.
मोबाइल पर मिलेगा दूध बेचने का पूरा हिसाब
हिमाचल प्रदेश मिल्कफैड (MILKFED) अब एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ERP) प्रणाली शुरू करने जा रहा है. इस डिजिटल सिस्टम की मदद से पशुपालकों को दूध से जुड़ी सारी जानकारी मोबाइल पर रियल टाइम में मिलेगी. जैसे- कितनी मात्रा में दूध बिका, कितने रुपये मिले, दूध की गुणवत्ता कैसी रही और पेमेंट कब होगा.
हर लेन-देन होगा डिजिटल, कोई गलती नहीं
इस नई व्यवस्था में दूध की खरीद-बिक्री, पेमेंट और रिपोर्टिंग जैसे सभी कार्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर होंगे. इससे मानव गलती की संभावना बहुत कम हो जाएगी और किसानों को पूरी पारदर्शिता के साथ लाभ मिलेगा. साथ ही, मिल्कफैड दूध खरीद की रिपोर्ट जल्दी तैयार कर पाएगा और पैसों का सीधा ट्रांसफर किसानों के बैंक खातों में हो सकेगा.
नए दूध संयंत्र और शीतलन केंद्र खुलेंगे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश सरकार ने दूध प्रसंस्करण के लिए कई नए केंद्रों की स्थापना को मंजूरी दी है. ये संयंत्र इन जगहों पर लगाए जाएंगे-
- नाहन, नालागढ़, मोहाल और रोहड़ू-दूध प्रसंस्करण संयंत्र
- जिला हमीरपुर (जलाड़ी)- दूध शीतलन केंद्र
- जिला ऊना (झलेड़ा)- बल्क मिल्क कूलर
इन संयंत्रों से दूध की मांग और खरीद दोनों में बढ़ोतरी होगी. इससे किसानों को बेहतर दाम मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.
दूध खरीद में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, बनेगा चीज और खोया भी
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि सरकार की कोशिशों से अब दूध खरीद रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है. कांगड़ा के ढगवार में एक अत्याधुनिक दूध प्रसंस्करण संयंत्र बन रहा है, जहां पर दही, लस्सी, घी, पनीर, फ्लेवर्ड दूध, खोया और मोजरेला चीज का निर्माण किया जाएगा. इससे किसानों को दूध के साथ-साथ इन उत्पादों का भी अच्छा दाम मिलेगा.
देश में पहला राज्य, जो देता है दूध पर समर्थन मूल्य
हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है जो दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देता है-
- गाय का दूध – 51 रुपये प्रति लीटर
- भैंस का दूध – 61 रुपये प्रति लीटर
इसके अलावा, जो पशुपालक दूध क्रय केंद्र तक 2 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हैं, उन्हें 2 रुपये प्रति लीटर का परिवहन भत्ता भी दिया जा रहा है.
हिमाचल सरकार की यह पहल तकनीक और पारदर्शिता को ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने का मजबूत कदम है. इससे न केवल पशुपालकों की आय बढ़ेगी, बल्कि उन्हें उनके मेहनत का पूरा मूल्य मिलेगा. मोबाइल पर दूध खरीद की पूरी जानकारी मिलने से विश्वास और संतोष दोनों बढ़ेगा. यह मॉडल आने वाले समय में दूसरे राज्यों के लिए भी उदाहरण बन सकता है.
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