Animal Care Tips: जैसे-जैसे मौसम करवट लेता है, वैसे-वैसे इसका असर इंसानों के साथ-साथ पशुओं पर भी दिखाई देने लगता है. सर्दी हो या बरसात, तापमान के अचानक बदलने से गाय, भैंस, बकरी जैसे पशु बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. अगर समय पर सावधानी न बरती जाए तो दूध उत्पादन पर असर पड़ सकता है और नुकसान भी हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि पशुपालक मौसम बदलने के इन दिनों में अपने पशुओं की खास देखभाल करें.
मौसम बदलते ही बढ़ता है बीमारियों का खतरा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मौसम में बदलाव के समय पशुओं में कई तरह की बीमारियां तेजी से फैलती हैं. इस दौरान सबसे ज्यादा खतरा गलघोटू (Hemorrhagic Septicemia), खुरपका-मुंहपका (FMD), निमोनिया और परजीवी रोगों का रहता है. ये बीमारियां एक से दूसरे पशु में फैलकर पूरे झुंड को प्रभावित कर सकती हैं. गलघोटू से पशुओं को तेज बुखार और सांस लेने में कठिनाई होती है. वहीं खुरपका-मुंहपका में मुंह और खुरों पर फफोले बन जाते हैं, जिससे पशु खाना-पीना छोड़ देते हैं. इन बीमारियों के चलते दूध उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है.
- पशुपालकों के लिए रोजगार का नया मौका, केवल दूध ही नहीं ऊंट के आंसुओं से भी होगी कमाई
- बरसात में खतरनाक बीमारी का कहर, नहीं कराया टीकाकरण तो खत्म हो जाएगा सब
- पशुपालक इन दवाओं का ना करें इस्तेमाल, नहीं तो देना पड़ सकता है भारी जुर्माना
- 2000 रुपये किलो बिकती है यह मछली, तालाब में करें पालन और पाएं भारी लाभ
गोशाला में सफाई और सूखापन सबसे जरूरी
पशुओं की सेहत का पहला कदम है उनकी रहने की जगह को साफ और सूखा रखना. गीली या गंदी जगह पर रहने से फेफड़ों और त्वचा की बीमारियां बढ़ सकती हैं. गोशाला में ठंडी हवा सीधी न लगे, इसके लिए दीवारों और दरवाजों पर पर्दे या बांस की चटाई लगाना चाहिए. सर्दी या बरसात के मौसम में फर्श पर सूखी बिछावन और पुआल बिछाना फायदेमंद होता है. नमी और बदबू से बचने के लिए रोजाना सफाई करें और गोशाला को हवादार रखें.
टीकाकरण और दवा से रहें सतर्क
टीकाकरण ही वह तरीका है जिससे पशुओं को मौसमजनित बीमारियों से बचाया जा सकता है. खुरपकाृ-मुंहपका और गलघोटू जैसी बीमारियों के लिए सरकार और पशुपालन विभाग नियमित टीकाकरण अभियान चलाते हैं. हर पशुपालक को अपने पशुओं का टीकाकरण रिकॉर्ड बनाकर रखना चाहिए और मौसम के अनुसार टीके समय पर लगवाने चाहिए. ठंड या बरसात से पहले टीका लगवाने से बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है. अगर कोई पशु बीमार दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और खुद से इलाज न करें.
ठंड और बरसात में खास देखभाल
ठंड और बरसात दोनों मौसम पशुओं के लिए मुश्किल साबित होते हैं. इस समय गाय, भैंस और बकरी को ठंडी हवा और नमी से बचाना जरूरी है. निमोनिया जैसी बीमारी खासकर बछड़ों और कमजोर पशुओं में जल्दी होती है. ऐसे में पशुओं को गुनगुना पानी पिलाएं और रात में उन्हें गर्म स्थान पर रखें. बरसात के दौरान छत या शेड को ऐसे बनाएं कि बारिश का पानी अंदर न जाए. अगर मौसम बहुत ठंडा हो तो पशुओं को बोरी या गुनगुने कपड़े से ढककर रखा जा सकता है.
परजीवी और कीड़ों से करें बचाव
मौसम बदलने पर पशुओं के शरीर पर टिक (Ticks) और कीड़े (Worms) पनपने लगते हैं, जो धीरे-धीरे उनकी सेहत को कमजोर करते हैं. हर तीन महीने में कृमिनाशक दवा देना जरूरी होता है ताकि पशु अंदरूनी और बाहरी परजीवियों से सुरक्षित रहें. साथ ही पशु की त्वचा और बालों की नियमित सफाई करें. पशुओं को संतुलित आहार, साफ पानी और पर्याप्त आराम दें. अगर पशु स्वस्थ रहेंगे तो दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में सुधार दिखेगा.
पशुपालकों के लिए जरूरी सलाह
पशुपालकों को हमेशा अपने नजदीकी पशु चिकित्सक के संपर्क में रहना चाहिए. मौसम बदलते ही पशुओं की हालत पर नजर रखें और कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत इलाज करवाएं. साफ-सफाई, टीकाकरण और संतुलित आहार- ये तीन बातें हर पशुपालक को याद रखनी चाहिए. इन साधारण नियमों को अपनाकर पशु लंबे समय तक स्वस्थ रह सकते हैं और उनकी उत्पादकता भी बनी रहती है.