पशुओं को खली खिलाने से बढ़ेगा दूध और सुधरेगी सेहत, कम खर्च में पशुपालकों की होगी ज्यादा कमाई

सरसों की खली एक सस्ता और असरदार पशु आहार है, जो दूध उत्पादन को बढ़ाता है और पशुओं की सेहत में सुधार करता है. इसमें प्रोटीन, कैल्शियम और मिनरल्स भरपूर होते हैं, जिससे फायदा जल्दी और असरदार होता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 29 Aug, 2025 | 03:15 PM

अगर आपके पशु पहले जितना दूध नहीं दे रहे और आप किसी सस्ते और असरदार उपाय की तलाश में हैं, तो यह खबर आपके काम की है. सरसों की खली एक ऐसा देसी फार्मूला है जो दूध उत्पादन में जबरदस्त बढ़ोतरी कर सकता है. यह तरीका अब गांव-देहात के साथ-साथ बड़े डेयरी फार्म्स में भी अपनाया जा रहा है.

सरसों की खली: एक सस्ता और असरदार आहार

सरसों से जब तेल निकाला जाता है, तो जो वेस्ट बचता है, उसे खली कहा जाता है. यही खली दुधारू पशुओं के लिए किसी पोषण बूस्टर से कम नहीं है. इसमें 35 से 40 प्रतिशत तक प्रोटीन पाया जाता है, जो दूध बढ़ाने में बेहद जरूरी होता है. इसके अलावा इसमें फॉस्फोरस, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे जरूरी मिनरल्स भी होते हैं, जो पशुओं की हड्डियों और ताकत को मजबूत करते हैं.

सेहत भी सुधरेगी, दूध की गुणवत्ता भी बढ़ेगी

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, खली न सिर्फ दूध की मात्रा बढ़ाती है, बल्कि उसकी गुणवत्ता में भी सुधार करती है. दूध में वसा (fat) और SNF (Solid Not Fat) की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे उसका बाजार मूल्य भी अच्छा मिलता है. इसके अलावा खली पाचन क्रिया को भी दुरुस्त करती है, जिससे पशु ज्यादा तंदुरुस्त रहते हैं और बीमार भी कम पड़ते हैं.

खली में छुपे हैं ताकत के खजाने

सरसों की खली में मौजूद अमीनो एसिड और मिनरल्स पशुओं के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. इसका नियमित सेवन करने से पशुओं का वजन, ताकत और स्टैमिना बढ़ता है, जिससे वे ज्यादा एक्टिव और स्वस्थ रहते हैं. यही वजह है कि अब कई पशुपालक इसे अपने पशुओं के नियमित आहार में शामिल कर रहे हैं. सरसों की खली न सिर्फ दूध उत्पादन को बढ़ाती है, बल्कि पशुओं की प्रजनन क्षमता और रोग प्रतिरोधक ताकत को भी मजबूत करती है. यह एक सस्ता, प्राकृतिक और असरदार उपाय है, जो पशुपालन से होने वाली आय को बढ़ाने में मदद करता है.

खली की कीमत और उपलब्धता

सरसों की खली एक सस्ती और पोषक पशु आहार है, जो आसानी से स्थानीय पशु चारे की दुकानों या नजदीकी तेल मिलों में उपलब्ध होती है. इसे तेल निकालने के बाद बोरी में भरकर बेचा जाता है. इसकी कीमत बाजार में लगभग 28 से 30 रुपये प्रति किलो होती है, जो किसानों और पशुपालकों के लिए बेहद किफायती है. इसे खरीदना और लंबे समय तक स्टोर करना आसान होता है क्योंकि यह जल्दी खराब नहीं होती. दूध उत्पादन और पशुओं की सेहत सुधारने के लिए यह एक सटीक उपाय है, जिसमें खर्च कम और फायदा ज्यादा होता है.

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Published: 29 Aug, 2025 | 03:15 PM

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