तापमान के उतार-चढ़ाव का पशुओं पर हो सकता है बुरा असर, बचाव के लिए रखें इन 5 बातों का ध्यान

सितंबर के महीने में मौसम में कई तरह के बदलाव आते हैं, तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है. इस कारण से पशुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 11 Sep, 2025 | 12:55 PM

Bihar News: बिहार पशु निदेशायल एवं मत्स्य विभाग ने सितंबर के महीने में पशुओं का खास खयाल रखने के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में दी गईं टिप्स को फॉलो कर पशुपालक अपने पशुओं को सुरक्षित रख सकते हैं. दरअसल, सितंबर के महीने में मौसम में कई तरह के बदलाव आते हैं, तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है. इस कारण से पशुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. ऐसे में अगर समय रहते पशुओं का ध्यान न रखा जाए तो आगे चलकर उनके जीवन पर संकट गहरा सकता है. इसलिए बेहद जरूरी है कि समय रहते पशुओं की देखभाल की जाए. इस स्थिति में आइये जान लेते हैं क्या है ये 5 टिप्स.

1- रहने की जगह का इंतजाम करें

बरसात के दिनों में जलभराव होना आम समस्या है और पानी जमा हो जाने के कारण कीटों और रोगों को संक्रमण बढ़ने का खतरा भी बना रहता है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि पशुओं को किसी ऊंचे और सूखे स्थान पर रखा जाए. यानी पशुशाला को जमीन से थोड़ी ऊचाईं पर बनाया जाए. अगर पशुशाला में पानी भर गया है जो पानी निकालने के सही और उचित इंतजाम किए जाएं. बता दें कि, मौसम के अनुसार पशुशाला का निर्माण करना चाहिए जैसे- गर्मी में हवादार शेड और सर्दी या बारिश में ठंडी और नमी से बचाने वाली जगह होनी चाहिए. इसके अलावा इस बात का ध्यान रखें कि पशुशाला की छत या दीवरों से पानी न टपके.

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पशुओं के रहने का उचित इंतजाम करें (Photo Credit- Bihar Government)

2- नियमित रूप से करें साफ- सफाई

गंदगी, नमी और बारिश के दिनों में कीचड़ होने से बैक्टीरिया बहुत जल्दी फैलते हैं, जो कि पशुओं को कई तरह की गंभीर बीमारियों से संक्रमित कर सकते हैं. इसलिए पशुपालकों के लिए बेहद जरूरी है कि वे नियमित रूप से पशुशाला की साफ-सफाई करें. जमीन पर सूखा बिछौना जैसे भूसा या सूखी घास का इस्तेमाल करें. ताकि पशु ज्यादा देर तक पानी के संपर्क में न रहें. अगर कहीं भी पानी का जमाव दिख रहा है तो उसे तुरंत निकालने के इंतजाम करें.

3- पशुओं को संतुलित भोजन दें

बिहार पशु निदेशायल एवं मत्स्य विभाग के अनुसार, मौसम मे बदलाव के कारण इंसान ही नहीं बल्कि पशुओं में भी भूख की कमी होने लगती है. ऐसे में जरूरी है कि पशुओं को मौसम के अनुसार भोजन दिया जाए. जैसे दिन में गर्म मौसम में खाने में कुछ ठंडा और तरल पदार्थ दें, जबकि रात के समय जब मौसम थोड़ा ठंडा हो तो उन्हें खाने में खल, चारा, गुड़ आदि दें. इस बात का खास खयाल रखें कि पशुओं को भरपूर और पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर दें. ताकि उनके शरीर में पानी की कमी ने होने पाए.

4- तनाव से बचाव है जरूरी

तापमान के उतार-चढ़ाव या फिर मौसम में होने वाले बदलाव के चलते केवल इंसान ही नहीं है जो तनाव का शिकार होते हैं बल्कि पशुओं में भी तनाव हो जाता है. इस कारण से उनके स्वभाव में बदलाव आने लगता है, वे सुस्त रहने लगते हैं और साथ ही उनके दूध देने की क्षमता भी कम होने लगती है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि पशुओं को शोरगुल से दूर किसी शांत माहौल में रखा जाए और उन्हें पर्याप्त आराम दिया जाए.

5- पशु चिकित्सक से सलाह लें

मौसमी बदलाव के कारण अगर पशुओं में किसी भी तरह की बीमारी के लक्षण नजर आएं तो बेहद जरूरी है कि किसी नजदीकी पशु चिकित्सक की सलाह जरूर लें. इसके अलावा भी पशुओं की नियमित रूप से जांच करवाते रहें और जरूरत पड़ने पर सभी जरूरी दवाएं और टीकाकरण जरूर कराएं.

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Published: 11 Sep, 2025 | 12:55 PM

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