Goat Farming: इन नस्लों से करें बकरी पालन की शुरुआत, कम समय में हो सकती है बढ़िया कमाई

भारत में बकरी पालन तेजी से बढ़ रहा है. सही नस्ल और देखभाल से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. सरकार की योजनाएं भी इस क्षेत्र को बढ़ावा दे रही हैं. यह रोजगार का अच्छा स्रोत बन चुका है.

Kisan India
नोएडा | Published: 1 Oct, 2025 | 07:32 PM

Goat farming: आज के समय में बहुत से लोग खेती-बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन की ओर भी ध्यान दे रहे हैं. खासकर बकरी पालन (Goat Farming) एक ऐसा काम है जिसे कम जगह और कम लागत में भी शुरू किया जा सकता है. भारत के कई हिस्सों में किसान बकरी पालन से अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. इसके लिए जरूरी है कि सही नस्ल की बकरियों को चुना जाए ताकि दूध और मांस दोनों में अच्छी कमाई हो सके.

यह खबर खासतौर पर उन लोगों के लिए है जो बकरी पालन शुरू करना चाहते हैं लेकिन सही नस्ल की जानकारी नहीं रखते. यहां हम आपको बताएंगे कुछ ऐसी खास नस्लों के बारे में, जिनसे बकरी पालन का काम आसानी से शुरू किया जा सकता है और जल्दी फायदा भी कमाया जा सकता है.

क्यों करें बकरी पालन?

भारत में बकरी पालन एक पुराना और भरोसेमंद व्यवसाय है. पहले यह गांवों में आम था, लेकिन अब शहरों के आस-पास भी लोग बकरी पालन कर रहे हैं. बकरियों का दूध और मांस दोनों की बाजार में अच्छी मांग रहती है. कम जगह और कम खर्च में इसे शुरू किया जा सकता है. सरकार भी कई योजनाएं चला रही है, जिससे लोन और प्रशिक्षण की सुविधा मिलती है. आप एक-दो बकरियों से शुरुआत करके धीरे-धीरे पूरा फार्म बना सकते हैं.

सोजत बकरी: सुंदरता और मांस के लिए मशहूर

सोजत बकरी राजस्थान की प्रसिद्ध नस्ल है, जिसका नाम पाली जिले के सोजत शहर से लिया गया है. यह सफेद रंग की और दिखने में बहुत सुंदर होती है. सोजत बकरी दूध कम देती है, लेकिन मांस के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. खासकर ईद और त्योहारों पर इसकी मांग बढ़ जाती है और बकरों की कीमत अच्छी मिलती है. यह नस्ल मुख्य रूप से पाली, जोधपुर और नागौर जिलों में पाई जाती है.

गूजरी बकरी: दूध और मांस दोनों में नंबर वन

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गूजरी बकरी राजस्थान की प्रमुख नस्ल है, जो जयपुर, अजमेर, टोंक और नागौर जिलों में पाई जाती है. यह नस्ल अच्छी मात्रा में दूध देती है और इसके बकरे भारी वजन के होते हैं. मांस की क्वालिटी भी बहुत अच्छी होती है. गूजरी बकरियां जल्दी प्रजनन करती हैं, जिससे किसान साल में कई बार लाभ कमा सकते हैं. गांवों में इसे बहुत पसंद किया जाता है क्योंकि इसका पालन करना आसान होता है.

करौली बकरी: देसी नस्ल, दमदार कमाई

करौली बकरी राजस्थान की देसी नस्ल है, जो करौली सहित सवाई माधोपुर, कोटा और बूंदी जिलों में पाई जाती है. इसकी पहचान मीणा समुदाय से जुड़ी है और इसे सरकारी नस्ल सुधार कार्यक्रम में शामिल किया गया है. यह बकरी अच्छा दूध देती है और इसके बकरे का मांस भी बाजार में अच्छा दाम पाता है. यह नस्ल स्थानीय जलवायु में आसानी से ढल जाती है, जिससे देखभाल आसान होती है. नए लोगों के लिए यह नस्ल काफी फायदेमंद साबित हो सकती है.

बकरी पालन से जुड़ी जरूरी बातें

बकरी पालन में सिर्फ अच्छी नस्ल ही नहीं, बल्कि सही देखभाल भी बेहद जरूरी है. बकरियों को हमेशा साफ-सुथरी और हवादार जगह पर रखें. समय-समय पर उनका टीकाकरण कराएं ताकि वे बीमार न हों. खाने में सूखा चारा, हरा चारा और खनिज मिश्रण जरूर शामिल करें. बकरी के बच्चों की अलग से देखभाल करें ताकि वे स्वस्थ तरीके से बड़े हो सकें. शुरुआत में 4-5 बकरियों से काम शुरू करें और अनुभव बढ़ने पर संख्या बढ़ाएं.

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Published: 1 Oct, 2025 | 07:32 PM

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