प्रतापगढ़ के कुंडा में 400 बीघा में हो रही करेले की खेती, दिल्ली और महाराष्ट्र तक है डिमांड

प्रतापगढ़ जिले के साथ-साथ अब नौबस्ता, दरियापुर, दलापुर, गढ़वा जैसे 25 गांवों में 400 बीघे से ज्यादा इलाकों में करेले की खेती हो रही है. इस खेती से किसानों की अच्छी कमाई तो हो ही रही है साथ ही यहां सैकड़ों मजदूरों को रोजगार भी मिल रहा है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 10 Sep, 2025 | 06:45 AM

खेतीबाड़ी पर पूरी तरह से निर्भर रहने वाले किसानों की यही कोशिश रहती है कि वे अपने खेत में ऐसी फसलों को उगाएं जो उन्हें अच्छी पैदावार देने के साथ-साथ कमाई भी ज्यादा कराएं. इसी सोच के साथ उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के कुंडा इलाके में किसानों ने करेले की खेती की शुरुआत की थी और आज इसी करेले की खेती ने कुंडा के किसानों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से बदल गई है. करेला जो स्वाद में तो कड़वा होता है लेकिन किसानों के जीवन में मिठास घोल रहा है. साथ ही कुंडा के नौबस्ता गांव से शुरू हुई करेले की खेती अब 25 से अधिक गांवों में फैल चुकी है. एक समय था जब यहां के किसान पारंपरिक धान और गेहूं पर निर्भर थे, लेकिन अब वे करेला बेचकर लाखों रुपये कमा रहे हैं.

1 दशक पहले हुई खेती की शुरुआत

प्रतापगढ़ के कुंडी इलाके के रहने वाले राकेश पुष्पाकर के पिता नंदलाल कौशांबी से करीब एक दशक पहले करेला की खेती की प्रेरणा लेकर आए थे. उन्होंने सिर्फ 10 बीघा जमीन में करेला लगाया. फिर फसल और मुनाफा देखकर गांव के अन्य किसान भी जुड़ते चले गए. आज राकेश खुद 5 बीघे में करेला उगा रहे हैं और उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं, करेले की खेती से उन्होंने पक्का घर भी बना लिया है.

400 बीघे में हो रही खेती

प्रतापगढ़ जिले के साथ-साथ अब नौबस्ता, दरियापुर, दलापुर, गढ़वा जैसे 25 गांवों में 400 बीघे से ज्यादा इलाको में करेले की खेती हो रही है. इस खेती से किसानों की अच्छी कमाई तो हो ही रही है साथ ही यहां सैकड़ों मजदूरों को रोजगार भी मिल रहा है. बेल की देखभाल, सिंचाई, कटाई और बाजार तक ढुलाई जैसे कामों में पुरुषों के साथ महिलाएं भी जुड़ रही हैं.

सीधे खेत से बिकता है करेला

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस इलाके से हर दिन लगभग 150 टन करेला दिल्ली, महाराष्ट्र, बिहार जैसे राज्यों में भेजा जा रहा है. यहां के किसान अब फसल बेचने बाजार नहीं जाते, बल्कि खरीदार खुद ट्रक लेकर खेतों पर आते हैं और नकद भुगतान करके करेला खरीद कर ले जाते हैं. इससे किसानों को तुरंत पैसा मिल जाता है और कोई जोखिम भी नहीं रहता.

5 लाख तक होती है कमाई

औसतन 1 टन करेला 20 हजार में बिकता है. वहीं, अगस्त से नवंबर तक बाजार में ज्यादा मांग लगभग 4500 टन करेले की बिक्री होती है. बता दें कि, इस चार महीने की अवधि में लगभग 40 से 50 करोड़ का कारोबार होता है. कई किसानों ने बताया कि वो 2–3 बीघे में करेले की खेती से सालाना 3 से 5 लाख रुपये तक कमा रहे हैं. इसके अलावा जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार शर्मा के अनुसार, अब किसानों को और बेहतर सुविधाएं देने के लिए सरकारी योजनाएं और तकनीकी सहायता भी मुहैया कराई जाएगी.

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Published: 10 Sep, 2025 | 06:45 AM

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