अगर आप खेती-किसानी कर रहे हैं और कम लागत में एक ऐसा बिजनेस शुरू करना चाहते हैं जिसमें मेहनत भी कम हो और मुनाफा भी लगातार मिलता रहे, तो भेड़ पालन आपके लिए सुनहरा मौका साबित हो सकता है. पहले गांवों में लोग इसे सिर्फ शौक या पारंपरिक तरीके से करते थे, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है. आज भेड़ पालन सिर्फ ग्रामीण पेशा नहीं रहा, बल्कि एक ऐसा बिजनेस मॉडल बन चुका है जिसे पढ़े-लिखे युवा और आईटी की नौकरी छोड़ चुके लोग भी अपना रहे हैं. इसकी खास बात यह है कि इसे शुरू करने के लिए न तो ज्यादा जमीन चाहिए और न ही भारी-भरकम पूंजी. बस सही नस्ल और थोड़ी समझदारी के साथ आप सालों तक नियमित आय कमा सकते हैं.
क्यों है भेड़ पालन इतना फायदेमंद?
भेड़ पालन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें शुरुआती निवेश बहुत कम लगता है. गाय या भैंस की तुलना में भेड़ सस्ती होती हैं और इन्हें पालने के लिए बड़े बाड़े की भी जरूरत नहीं पड़ती. ये सूखे और कम घास वाले इलाकों में भी आसानी से रह लेती हैं, जिससे बंजर जमीन वाले किसान भी इसे अपना सकते हैं. भेड़ से सिर्फ ऊन ही नहीं मिलता, बल्कि कुछ नस्लें अच्छी मात्रा में दूध भी देती हैं और मांस की तो हमेशा से बाजार में भारी मांग रहती है. खासकर रमजान और त्योहारों के समय भेड़ का दाम और दोगुना तक हो जाता है.
ऊन, दूध और मांस- तीनों से होती है कमाई
अगर आप सोचते हैं कि भेड़ सिर्फ ऊन देने के काम आती है तो यह आधा सच है. कुछ नस्लें जैसे मेरिनो और रामबौइलेट नर्म और महंगी ऊन के लिए जानी जाती हैं, जो स्वेटर, स्कूल यूनिफॉर्म और ऊनी कपड़ों में इस्तेमाल होती है. वहीं मालपुरी और बेल्लारी जैसी नस्लें मांस उत्पादन के लिए सबसे ज्यादा मशहूर हैं. इनके एक भेड़ के बच्चे की कीमत ही हजारों में बिकती है. कुछ ग्रामीण इलाकों में लोगों ने भेड़ का दूध भी बेचना शुरू कर दिया है, जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है.
कौन सी नस्ल सबसे ज्यादा मुनाफा देती है?
भारत में हर इलाके की अपनी खास नस्ल होती है. ठंडे इलाकों के लिए मेरिनो और रामबौइलेट सबसे बेहतर हैं क्योंकि ये ज्यादा ऊन देती हैं. राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में मिलने वाली नाली भेड़ लंबी उम्र और मजबूत शरीर के लिए जानी जाती है. वहीं मांस उत्पादन के लिए मालपुरी और बेल्लारी नस्लें सबसे फायदे का सौदा हैं क्योंकि इन्हें ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती और जल्दी वजन बढ़ा लेती हैं. आपको बस अपनी जलवायु और बाजार के हिसाब से नस्ल का चुनाव करना है.
देखभाल कैसे करें? क्या ज्यादा मेहनत लगती है?
भेड़ पालन की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें उतनी मेहनत नहीं लगती जितनी गाय-भैंस पालने में लगती है. इन्हें ज्यादा खाना नहीं चाहिए होता, बस सुबह-शाम चरने के लिए खुला मैदान मिल जाए तो ये खुद ही अपना पेट भर लेती हैं. बस गर्मी और सर्दी से बचाने के लिए एक साधारण शेड बना दें और समय-समय पर वैक्सिनेशन कराते रहें. इनके लिए हरा चारा, सूखा चारा और स्वच्छ पानी काफी होता है. अगर सही तरीके से रख-रखाव करें तो एक भेड़ साल में दो बार बच्चे देती है और यहीं से आपकी असली कमाई शुरू होती है.
बेचें कहां? बाजार में सबसे अच्छी कीमत कैसे मिले?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर किसान भेड़ को सिर्फ स्थानीय बाजार में बेच देते हैं, लेकिन अगर आप थोड़ा स्मार्ट प्लानिंग करें तो और ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. ऊन को बड़े ऊन कारोबारियों या मिलों में बेचें तो अच्छी कीमत मिलती है. वहीं मांस के लिए सोशल मीडिया या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी सीधी बिक्री शुरू की जा सकती है. अगर आप अपने गांव या ब्लॉक में 10-15 किसानों के साथ मिलकर भेड़ पालन शुरू करें तो सरकार से सब्सिडी और लोन भी मिल सकता है.