Dairy Farming: भारत में डेयरी व्यवसाय सिर्फ एक जीविका नहीं, बल्कि किसानों के लिए सम्मान और स्थायी आय का स्रोत बन चुका है. लेकिन जब कोई किसान डेयरी शुरू करता है, तो सबसे बड़ा सवाल होता है “कौन सी गाय पाली जाए – जर्सी या देसी?”
दोनों ही नस्लें अपनी-अपनी जगह पर खास हैं, लेकिन इनकी देखभाल, दूध की गुणवत्ता और खर्च अलग-अलग होते हैं. आइए जानते हैं कि कौन सी गाय आपके डेयरी फार्म के लिए अधिक फायदेमंद साबित हो सकती है.
जर्सी गाय: ज्यादा दूध, लेकिन ज्यादा खर्च
जर्सी गाय मूल रूप से इंग्लैंड के जर्सी आइलैंड से आई विदेशी नस्ल है. भारत में इसे मुख्य रूप से दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए पाला जाता है. इनका शरीर हल्के भूरे या लाल रंग का होता है और इनका कद छोटा होता है. इस गाय का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह रोजाना 15 से 20 लीटर तक दूध दे सकती है, जो व्यावसायिक डेयरी के लिए काफी फायदेमंद है. इनके दूध में लगभग 4 से 4.5 प्रतिशत तक फैट होता है, जिससे बाजार में इसका अच्छा दाम मिलता है.
हालांकि, जर्सी गाय को ठंडा और नमी वाला मौसम ज्यादा पसंद है. गर्मी और उमस में इनकी देखभाल कठिन हो जाती है. इन्हें ठंडा शेड, पंखे और पौष्टिक चारे की जरूरत होती है, जिससे रोजाना खर्च बढ़ जाता है.
देसी गाय: स्वास्थ्यवर्धक दूध और आसान पालन
भारत की देसी नस्लें जैसे गिर, थारपारकर, साहिवाल और रेड सिंधी हजारों सालों से भारतीय जलवायु के अनुसार खुद को ढाल चुकी हैं. इन गायों का दूध जर्सी की तुलना में कम यानी 8 से 12 लीटर प्रतिदिन मिलता है, लेकिन यह A2 प्रोटीन से भरपूर होता है. A2 दूध को पचाना आसान होता है और यह बच्चों व बुजुर्गों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है.
देसी गायों को ज्यादा चारे या विशेष वातावरण की जरूरत नहीं होती. ये कम संसाधनों में भी स्वस्थ रहती हैं और स्थानीय बीमारियों से लड़ने की क्षमता रखती हैं. यही कारण है कि देसी गाय का देखभाल खर्च काफी कम होता है और इनकी उम्र भी लंबी होती है.
चारे और रखरखाव का अंतर
जहां जर्सी गाय को उच्च गुणवत्ता वाला चारा और विटामिन-सप्लीमेंट की आवश्यकता होती है, वहीं देसी गाय साधारण हरे चारे और भूसे से भी काम चला लेती है.
एक औसत जर्सी गाय पर जहां रोज 250–300 रुपये तक का खर्च आता है, वहीं देसी गाय पर यह खर्च लगभग आधा रह जाता है. इससे किसान की लागत काफी घट जाती है और मुनाफा लंबे समय तक बना रहता है.
बीमारी और इम्यूनिटी का फर्क
जर्सी गाय विदेशी नस्ल होने के कारण भारतीय जलवायु में पूरी तरह फिट नहीं बैठती. इन्हें अक्सर त्वचा, बुखार या संक्रमण से जुड़ी बीमारियां घेर लेती हैं. इसके विपरीत, देसी गायों में प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है. इन्हें दवा या पशुचिकित्सा पर कम खर्च करना पड़ता है. इससे न केवल लागत घटती है, बल्कि गाय भी लंबे समय तक दूध देती रहती है.
कौन सी गाय दे सकती है ज्यादा मुनाफा?
अगर आपका उद्देश्य है कम समय में ज्यादा दूध और तेज कमाई, तो जर्सी गाय आपके लिए सही विकल्प हो सकती है.
लेकिन यदि आप लंबे समय तक टिकाऊ डेयरी फार्मिंग, कम खर्च, और स्वास्थ्यवर्धक दूध चाहते हैं, तो देसी गाय सबसे उपयुक्त है.
आजकल A2 दूध की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे देसी गाय का महत्व और बढ़ गया है. किसान अगर जैविक या आयुर्वेदिक दूध के ब्रांड पर काम करें, तो कम उत्पादन के बावजूद अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.