Winter Animal Care : सर्दियों का मौसम इंसानों के लिए भले ही सुहावना हो, लेकिन दुधारू पशुओं के लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं होता. ठंड बढ़ते ही पशुओं की ऊर्जा ज्यादा खर्च होने लगती है, जिसका सीधा असर दूध उत्पादन पर पड़ता है. यही वजह है कि इस मौसम में थोड़ी सी लापरवाही भी पशुपालकों को नुकसान पहुंचा सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर सर्दियों में पशुओं के खान-पान और रहने की व्यवस्था पर सही ध्यान दिया जाए, तो ठंड के बावजूद दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.
ठंड में क्यों घट जाता है दूध उत्पादन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सर्दियों में पशुओं का शरीर खुद को गर्म रखने में ज्यादा ऊर्जा खर्च करता है. इस कारण दूध बनाने के लिए कम ऊर्जा बच पाती है और उत्पादन घटने लगता है. साथ ही ठंड और नमी के कारण जुकाम, निमोनिया और परजीवियों का खतरा बढ़ जाता है, जिससे पशु कमजोर हो जाते हैं. अगर पशु लंबे समय तक ठंडी या गीली जमीन पर रहें, तो उनकी सेहत और भी बिगड़ सकती है. यही वजह है कि सर्दियों में पशुओं को सुरक्षित, सूखी और गर्म जगह पर रखना बेहद जरूरी माना जाता है.
गुनगुना पानी और गर्म जगह है सबसे जरूरी
सर्दियों में पशुओं को ठंडा पानी पिलाना नुकसानदायक हो सकता है. ठंडा पानी पाचन शक्ति को कमजोर करता है, जिससे चारा सही तरह से नहीं पच पाता. इसलिए पशुओं को हमेशा गुनगुना पानी पिलाने की सलाह दी जाती है. इसके साथ ही उनके रहने की जगह ऐसी होनी चाहिए, जहां ठंडी हवा और नमी का असर कम पड़े. दिन में धूप में बैठने से पशुओं को प्राकृतिक गर्मी मिलती है, वहीं रात में हवादार लेकिन गर्म स्थान उन्हें बीमारियों से बचाता है.
सर्दियों का खास आहार बढ़ाए दूध
सर्दियों में पशुओं का आहार सबसे अहम भूमिका निभाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मौसम में ऐसे खाद्य पदार्थ देने चाहिए जो शरीर में गर्मी और ऊर्जा बनाए रखें. गुड़, सरसों की खल, चना और संतुलित अनाज मिश्रण पशुओं को अंदरूनी ताकत देते हैं. हरे चारे में बरसीम, लोबिया और नैपियर घास को सर्दियों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. ये प्रोटीन और खनिजों से भरपूर होते हैं, जिससे पशु सक्रिय रहते हैं और दूध उत्पादन बना रहता है. साथ ही चारे की मात्रा सामान्य दिनों की तुलना में थोड़ी बढ़ाने से पशु को अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है.
देसी उपाय और संतुलित पोषण का असर
सर्दियों में देसी और प्राकृतिक उपाय भी काफी कारगर साबित होते हैं. गुड़, मेथी, अजवाइन, जीरा और सरसों के तेल जैसी चीजें पशुओं के आहार में शामिल करने से शरीर में गर्मी बनी रहती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इसके अलावा, संतुलित आहार में खनिज मिश्रण और ऊर्जा बढ़ाने वाले तत्व शामिल करना जरूरी है. नियमित रूप से कृमिनाशक दवा देने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं, जिससे पोषण का पूरा फायदा पशु को मिलता है. खासकर बछड़ों की देखभाल पर ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है.