गांव की सुबह जब होती है तो सबसे पहले भोर में गायों की घंटी और दूध की बाल्टी की आवाज सुनाई देती है. देसी गायें सिर्फ दूध देने वाली नहीं, बल्कि किसान परिवार के सम्मान और आस्था का प्रतीक होती हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने नंद बाबा दुग्ध मिशन शुरू किया है ताकि देसी नस्लों की गायों को बढ़ावा दिया जा सके और किसानों की आय कई गुना बढ़ाई जा सके.
देसी गायों से बढ़ेगा दूध और आमदनी
इस योजना के तहत किसानों को देसी नस्लों (जैसे साहीवाल, गिर, थारपारकर) की 10 गायों की डेयरी यूनिट शुरू करने पर 11.80 लाख रुपये तक सब्सिडी दी जा रही है. इसके दो मुख्य मकसद हैं:-
- देसी गायों की संख्या और संरक्षण को बढ़ावा देना.
- गांव-गांव में छोटे स्तर पर डेयरी बनवाकर किसानों की मासिक कमाई बढ़ाना.
सब्सिडी कितनी और किसे मिलेगी?
यह योजना मिनी नंदिनी कृषि समृद्धि योजना के अंतर्गत चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य किसानों को दुग्ध उत्पादन और पशुपालन में आत्मनिर्भर बनाना है. इसकी कुल लागत 23.60 लाख रुपये है, जिसमें सरकार किसानों को 50 प्रतिशत यानी 11.80 लाख रुपये की सब्सिडी देती है. इस योजना में किसानों का खुद का योगदान 15 प्रतिशत रखा गया है ताकि वे भी जिम्मेदारी से योजना का लाभ उठा सकें. बाकी बचा हुआ 35 प्रतिशत हिस्सा बैंक लोन के माध्यम से दिया जाता है. इस तरह यह योजना किसानों के लिए कम लागत में डेयरी यूनिट शुरू करने का सुनहरा अवसर बन जाती है.
सब्सिडी भी दो किश्तों में मिलती है-
- पहली किश्त: ढांचा तैयार होने पर 25 फीसदी
- दूसरी किश्त: गाय खरीदने और Ear Tag/बीमा के बाद 25 फीसदी
कौन ले सकता है इस योजना का लाभ?
यह योजना पाने के लिए कुछ जरूरी शर्तें भी तय की गई हैं. लाभार्थी के पास कम से कम 3 साल का पशुपालन अनुभव होना अनिवार्य है. साथ ही उसके पास 20 गुंठा यानी लगभग 0.20 एकड़ जमीन डेयरी शेड के लिए और 0.80 एकड़ जमीन चारा उगाने के लिए होनी चाहिए. योजना में शामिल सभी गायों पर Ear Tag और बीमा कराना जरूरी है. गाय पहले या दूसरे ब्यात की हो और 45 दिन के भीतर होनी चाहिए. जिन्हें पहले ऐसी योजना का लाभ मिल चुका है, वे आवेदन नहीं कर सकते.
आवेदन की प्रक्रिया और अंतिम तारीख..
- आवेदन ऑनलाइन पोर्टल या ऑफलाइन जिला पशुपालन कार्यालय में जमा किया जा सकता है.
- आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख: 23 अगस्त 2025.
- चयन प्रक्रिया: E-Lottery यानी लॉटरी के जरिए चयन.
- सब्सिडी सीधे DBT से किसान के बैंक खाते में जाएगी.
किसानों के लिए मुख्य लाभ और फायदे
यह योजना किसानों को छोटी शुरुआत से भी बड़ा डेयरी सेटअप खड़ा करने में मदद करती है. दूध बिक्री की चिंता नहीं रहेगी क्योंकि तय मार्केट और दूध सहकारी समिति के माध्यम से दूध आसानी से बिक जाएगा. इसके अलावा पशुपालन से जुड़ा तकनीकी मार्गदर्शन, वैक्सीनेशन और ट्रेनिंग भी सरकार की तरफ से दी जाएगी जिससे किसानों को आधुनिक तकनीक का लाभ मिलेगा. देसी गायों का दूध अधिक फैट वाला होता है, जिससे बाजार में ज्यादा कीमत मिलती है. साथ ही इस योजना से ग्रामीण युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार का बढ़िया अवसर मिलता है, जिससे गांवों में आर्थिक विकास होता है.
चुनौतियां और सुझाव
कुछ किसान जमीन और बायोमेट्रिक अनुभव जैसी शर्तों के कारण आवेदन नहीं कर पाते. ऊपर से ग्रामीण इलाकों में ऑनलाइन पोर्टल की पहुंच कम है. इसीलिए सुझाव दिए गए-
- पंचायत स्तर पर डिजिटल हेल्प सेंटर बने.
- पशुपालन प्रशिक्षण कैंप लगें.
- मोबाइल वैन और शिविर से हर गांव में जागरूकता फैले.
समाज, अर्थव्यवस्था और संस्कृति
यह योजना सिर्फ दूध उत्पादन तक सीमित नहीं. इसका असर तीन बड़े स्तर पर होगा-
- आर्थिक: किसानों की मासिक आय बढ़ेगी और स्थाई रोजगार मिलेगा.
- संस्कृति: देसी गायों के संरक्षण से परंपरागत भारतीय नस्लें बचेंगी.
- ग्रामीण विकास: डेयरी यूनिट गांव में ही तैयार होने से दुग्ध सहकारी समितियां मजबूत होंगी, जिससे गांव की अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ.
- पशुपालकों के लिए रोजगार का नया मौका, केवल दूध ही नहीं ऊंट के आंसुओं से भी होगी कमाई
- बरसात में खतरनाक बीमारी का कहर, नहीं कराया टीकाकरण तो खत्म हो जाएगा सब
- पशुपालक इन दवाओं का ना करें इस्तेमाल, नहीं तो देना पड़ सकता है भारी जुर्माना
- 2000 रुपये किलो बिकती है यह मछली, तालाब में करें पालन और पाएं भारी लाभ