कड़कनाथ को टक्कर देता है वन राजा मुर्गा, कुछ ही महीनों में किसानों की भर देगा जेब

वन राजा मुर्गा, एक देशी नस्ल, अब पोल्ट्री फार्मिंग में कड़कनाथ को टक्कर दे रहा है. यह कम लागत में ज्यादा मुनाफा देता है, सेहतमंद और स्वादिष्ट मांस के कारण बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है.

नोएडा | Published: 20 Aug, 2025 | 02:37 PM

अगर आप कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने का रास्ता तलाश रहे हैं तो मुर्गीपालन यानी पोल्ट्री फार्मिंग आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकता है. अब तक आपने कड़कनाथ मुर्गे के बारे में जरूर सुना होगा जो अपनी काली रंगत और महंगे दाम के लिए मशहूर है, लेकिन अब एक नया नाम वन राजा मुर्गा तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. यह देशी नस्ल का पक्षी न सिर्फ स्वाद और पौष्टिकता में बेजोड़ है, बल्कि किसानों को कम समय में जबरदस्त मुनाफा भी दिला रहा है. मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में यह मुर्गा अब आय का मजबूत साधन बनता जा रहा है. आइए जानते हैं कैसे वन राजा एक आम किसान की कमाई बढ़ा सकता है.

वन राजा मुर्गा- देशी नस्ल में नया चैंपियन

वन राजा मुर्गा दिखने में पूरी तरह देशी और जंगली अंदाज वाला होता है. इसका शरीर मजबूत होता है और मांस बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है. यह मुर्गा आदिवासी क्षेत्रों में पारंपरिक रूप से पाला जाता रहा है, लेकिन अब इसका व्यावसायिक पालन भी शुरू हो चुका है. विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके मांस में वसा (Fat) कम और प्रोटीन ज्यादा होता है, जिससे यह स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों की पसंद बनता जा रहा है. इसकी यह खासियत इसे बाजार में और भी कीमती बना रही है.

कम लागत, ज्यादा मुनाफा- किसानों के लिए फायदे का सौदा

वन राजा मुर्गा पालन की सबसे बड़ी खासियत है इसकी कम लागत और ज्यादा कमाई. इसे महंगी दवाइयों या केमिकल वाले चारे की जरूरत नहीं होती, क्योंकि यह देशी माहौल में ही तेजी से बढ़ता है.  मुर्गी पालन के क्षेत्र में वन राजा मुर्गा इन दिनों किसानों की पहली पसंद बन गया है. देसी नस्लों में तेजी से तैयार होने वाला यह मुर्गा अब शहरों से लेकर गांवों तक भारी डिमांड में है. मात्र 4 से 5 महीनों में 3.5 किलो तक वजन पाने वाला वन राजा 600 रुपये – 800 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है. इसका स्वादिष्ट मांस, कम लागत और ज्यादा उत्पादन क्षमता इसे बेहद लोकप्रिय बना रहे हैं.

दूसरी ओर, कभी महंगा और खास माना जाने वाला कड़कनाथ अब आम हो चला है। इसकी डिमांड पहले जैसी नहीं रही और अब कई जगहों पर इसका मांस 500 रुपये – 700 रुपये किलो में ही बिक रहा है. अंडा उत्पादन भी सीमित है और बढ़ने में समय ज्यादा लगता है.

  • बाजार में एक वन राजा मुर्गा की कीमत 600 रुपये से 800 रुपये तक पहुंच सकती है.
  • इसे गांवों और आदिवासी इलाकों में खुले वातावरण में आसानी से पाला जा सकता है.
  • यह कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता है और बहुत कम बीमार पड़ता है.
  • इसलिए जो किसान सीमित संसाधनों में व्यवसाय करना चाहते हैं, उनके लिए यह एक आदर्श विकल्प है.

ब्रीडिंग में थोड़ी चुनौती, लेकिन फायदा भरपूर

वन राजा की ब्रीडिंग (प्रजनन क्षमता) की बात करें तो यह कड़कनाथ से थोड़ी कम है. यही वजह है कि इसका उत्पादन अभी बड़े पैमाने पर नहीं हो रहा है. लेकिन जैसे-जैसे किसानों को इसकी जानकारी मिल रही है, वैसे-वैसे लोग इसे अपनाने लगे हैं. आज कई किसान कड़कनाथ और वन राजा दोनों का पालन एक साथ करके अपनी आय दोगुनी कर रहे हैं. अगर ब्रीडिंग तकनीक में सुधार हो जाए तो यह नस्ल आने वाले समय में पोल्ट्री इंडस्ट्री में बड़ा नाम बन सकती है.

हेल्दी मीट की बढ़ती मांग से बाजार में मिल रहा बढ़ावा

शहरों और कस्बों में अब लोग हेल्दी, ऑर्गेनिक और देशी मांस की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं. बाजार में हॉर्मोन फ्री और केमिकल फ्री मीट की मांग बढ़ने से वन राजा जैसे देशी मुर्गों की कीमत स्थिर और ऊंची बनी रहती है. इसकी वजह से किसान अब सिर्फ बाजार नहीं, बल्कि होटल, रेस्टोरेंट और हेल्थ फूड स्टोर्स तक इसे बेचकर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. इसके पोषण गुण इसे एक हाई वैल्यू प्रोडक्ट बनाते हैं.

किसानों के लिए सुनहरा मौका- आत्मनिर्भर बनने का रास्ता

सरकार भी अब देशी नस्लों के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा दे रही है. वन राजा मुर्गा इस दिशा में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का एक मजबूत माध्यम बन सकता है. अगर कोई किसान सही ट्रेनिंग, योजना और निगरानी के साथ इसका पालन करता है, तो यह व्यवसाय घर बैठे एटीएम की तरह काम कर सकता है.

वन राजा मुर्गा पालन से मिल सकते हैं ये फायदे-

  • कम खर्च में ज्यादा लाभ
  • जल्दी तैयार होने वाली नस्ल
  • बीमारियों से बचाव की अच्छी क्षमता
  • बाजार में बेहतर दाम
  • पोषण और स्वाद दोनों में बेहतर