अब मुर्गी पालन होगा आसान, अब इस टैक्स के घटने से ज्यादा चूजे पाल सकेंगे किसान

सरकार ने पोल्ट्री उपकरणों पर जीएसटी घटाकर 5 फीसदी कर दिया है. इससे किसानों का खर्च कम होगा और पोल्ट्री पालन सस्ता हो जाएगा. किसान ज्यादा चूजे पालकर अंडे और मांस से मुनाफा बढ़ा पाएंगे.

नोएडा | Published: 16 Sep, 2025 | 06:45 AM

भारत में पोल्ट्री पालन किसानों की आय का बड़ा साधन है. छोटे-बड़े गांवों में लोग मुर्गी पालन करके अपने परिवार की रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करते हैं और साथ ही अच्छी कमाई भी कर लेते हैं. अब पोल्ट्री पालन से जुड़े किसानों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है. सरकार ने पोल्ट्री उपकरणों पर जीएसटी घटाकर सिर्फ 5 फीसदी कर दिया है. यानी अब ब्रूडर से लेकर फीडर तक पोल्ट्री शेड लगाने का खर्च काफी कम हो जाएगा.

कम हुआ पोल्ट्री उपकरणों पर टैक्स

पहले पोल्ट्री पालन में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों पर जीएसटी ज्यादा था. इससे किसान नए शेड बनाने या अपने पोल्ट्री फार्म को बढ़ाने से कतराते थे. लेकिन अब सरकार ने इसे घटाकर सिर्फ 5 प्रतिशत कर दिया है. इसका मतलब है कि अब किसान कम खर्च में ज्यादा चूजे पाल सकेंगे. उपकरणों पर खर्च घटने से सीधे किसानों की जेब में बचत होगी.

आसानी से बढ़ा सकेंगे पोल्ट्री शेड

मुर्गी पालन में शेड की बहुत अहमियत होती है. अगर शेड ठीक से बना हो तो मुर्गियां स्वस्थ रहती हैं और ज्यादा अंडे देती हैं. लेकिन शेड बनाने में ब्रूडर, फीडर, पानी पिलाने की मशीन, हीटर और पंखों पर काफी खर्च आ जाता था. टैक्स कम होने से यह सारा खर्च अब पहले से बहुत घट गया है. किसान आसानी से नए शेड बना सकेंगे और पुराने शेड को भी बेहतर कर पाएंगे.

ज्यादा चूजे, ज्यादा मुनाफा

जब किसानों के लिए शेड और उपकरण खरीदना सस्ता होगा तो वे ज्यादा चूजे पाल सकेंगे. जितने ज्यादा चूजे होंगे, उतने ही ज्यादा अंडे और मांस बाजार में बेचने को मिलेंगे. इसका सीधा असर किसानों की कमाई पर होगा. पोल्ट्री पालन पहले से ही कमाई का अच्छा साधन माना जाता है और अब टैक्स घटने के बाद यह और भी मुनाफे का सौदा बन जाएगा.

छोटे किसानों को मिलेगा बड़ा फायदा

पोल्ट्री पालन से छोटे किसान भी जुड़ते हैं क्योंकि इसे बहुत बड़े निवेश के बिना शुरू किया जा सकता है. लेकिन उपकरणों पर ज्यादा खर्च की वजह से छोटे किसान कई बार पीछे हट जाते थे. अब जब जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है तो छोटे किसान भी आसानी से पोल्ट्री फार्म शुरू कर पाएंगे. इससे गांवों में रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे और किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य भी आसान होगा.

सहकारी समितियों से होगा विस्तार

साल 2025 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ कोऑपरेटिव्स के रूप में मनाया जा रहा है. इस मौके पर सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा किसान सहकारी समितियों से जुड़कर पोल्ट्री पालन को आगे बढ़ाएं. जब किसान मिलकर काम करेंगे तो उन्हें सस्ते दामों में उपकरण मिलेंगे और बाजार में भी अच्छा भाव मिलेगा. इससे “कोऑपरेटिव्स बिल्ड अ बेटर वर्ल्ड” का सपना सच हो सकेगा.

Published: 16 Sep, 2025 | 06:45 AM