Poultry Farming : आज के दौर में खेती सिर्फ खेत तक सीमित नहीं रही है. अब किसान नए-नए व्यवसाय अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं. इन्हीं में से एक है पोल्ट्री फार्मिंग, जो कम निवेश और थोड़ी देखभाल के साथ ज्यादा मुनाफा देने वाला बिजनेस है. गांवों में अब किसान खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन भी कर रहे हैं. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह काम पूरे साल चलता है और रोजाना कमाई का मौका देता है.
अंडे और चिकन की मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है. शहरों में ही नहीं, बल्कि अब ग्रामीण इलाकों में भी लोग प्रोटीन युक्त आहार को तरजीह देने लगे हैं. यही वजह है कि पोल्ट्री फार्मिंग किसानों के लिए एक शानदार रोजगार का जरिया बन चुकी है. यह न केवल खेती का पूरक व्यवसाय है, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर भी बना रही है.
कम खर्च, ज्यादा मुनाफा वाला कारोबार
पोल्ट्री फार्मिंग उन व्यवसायों में से एक है, जिसे शुरू करने के लिए ज्यादा पूंजी की जरूरत नहीं होती. किसान छोटे स्तर से शुरू करके धीरे-धीरे इसे बड़ा रूप दे सकते हैं. मुर्गी पालन में सबसे खास बात यह है कि यह हर मौसम में चल सकता है. चाहे बारिश हो या सर्दी, बस सही प्रबंधन जरूरी है. कई किसान 100-200 चूजों से शुरुआत करके आज हजारों मुर्गियां पाल रहे हैं. पोल्ट्री फार्मिंग से रोज अंडे और मांस की बिक्री होती है, जिससे किसानों को निरंतर आमदनी मिलती रहती है. यही कारण है कि यह काम ग्रामीण युवाओं में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है.
पोल्ट्री फार्मिंग में मुख्य खर्चे कौन से हैं
अगर बात की जाए पोल्ट्री फार्म चलाने के खर्च की, तो इसमें तीन मुख्य भाग आते हैं-पहला है फीड का खर्च, दूसरा दवाइयों और टीकाकरण का खर्च, और तीसरा प्रबंधन व बिजली-पानी का खर्च. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुल खर्च का लगभग 65 से 70 प्रतिशत हिस्सा फीड पर ही जाता है. इसलिए फीड की गुणवत्ता और प्रबंधन पर खास ध्यान देना जरूरी है. अगर किसान फार्म की सफाई, हवा- रोशनी और तापमान का ध्यान रखें, तो बीमारियां कम होंगी और दवाइयों का खर्च घटेगा. इस तरह खर्च घटाकर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है.
सही फीडिंग से बढ़ेगा उत्पादन
मुर्गी पालन में सबसे अहम भूमिका होती है फीड की. अगर मुर्गियों को सही मात्रा और गुणवत्ता वाली फीड दी जाए, तो उनका विकास बेहतर होता है और अंडों की संख्या भी बढ़ती है. पहले 15 दिन तक चूजों को बारीक दलिया या छोटी ग्रिट देना चाहिए, ताकि वे आसानी से खा सकें. इसके बाद उनकी उम्र के अनुसार स्टार्टर्स, ग्रोअर्स और फिनिशर फीड दी जानी चाहिए. इन फीड में जरूरी विटामिन, मिनरल्स और प्रोटीन होते हैं, जो उनकी सेहत के लिए बेहद जरूरी हैं. अगर किसान चाहे तो अपने खेत की उपज जैसे मकई, सोयाबीन या चोकर से भी फीड तैयार कर सकते हैं. इससे लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा.
छोटे चूजों की देखभाल है सबसे जरूरी
पोल्ट्री फार्मिंग में सबसे संवेदनशील समय होता है छोटे चूजों की देखभाल का. अगर इस दौरान लापरवाही हुई, तो भारी नुकसान हो सकता है. इसलिए फार्म में हमेशा साफ-सफाई बनाए रखें और कीटाणुनाशक का उपयोग करें. चूजों को शुरुआती 8-10 दिन तक ब्रूडर में रखें और तापमान 32-35 डिग्री सेल्सियस के आसपास बनाए रखें. ठंड या ज्यादा गर्मी से चूजों को नुकसान हो सकता है. शुरुआत में चिक गार्ड का इस्तेमाल करें और धीरे-धीरे उन्हें खुली जगह पर लाएं. साफ पानी और पौष्टिक फीड देते रहें. इस तरह देखभाल करने से चूजों की मृत्यु दर कम होती है और फार्म की उत्पादकता बढ़ती है.
सरकार भी दे रही है बड़ी मदद
पोल्ट्री फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं चला रही हैं. समेकित मुर्गी विकास योजना के तहत युवाओं को मुर्गी पालन के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है. इसी तरह राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के तहत फार्म निर्माण और उपकरण खरीदने पर भी किसानों को 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलती है. इन योजनाओं से ग्रामीण युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं और किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य साकार हो रहा है.
किसानों के लिए जरूरी टिप्स
अगर कोई किसान पोल्ट्री बिजनेस शुरू करने की सोच रहा है, तो उसे कुछ अहम बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- हमेशा स्वस्थ और टीकाकृत चूजे ही खरीदें.
- फार्म की सफाई में कभी लापरवाही न करें.
- टीकाकरण की तारीखें नोट करें और समय पर टीके लगवाएं.
- नियमित रूप से पशु चिकित्सक की सलाह लेते रहें.
- अंडे और मांस की बिक्री के लिए स्थानीय बाजार या ठेकेदार से संपर्क बनाए रखें.
- अगर किसान इन बातों का पालन करें तो यह काम बेहद सफल हो सकता है.