Saanen breed: कम खर्च में ज्यादा मुनाफा देती है ये बकरी, दूध और मांस दोनों में नंबर वन

सानेन नस्ल की बकरी अधिक दूध और महंगा मांस देती है. किसान इसे पालकर कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. इसका दूध औषधीय गुणों से भरपूर होता है और इससे बने उत्पाद भी महंगे बिकते हैं.

नोएडा | Published: 14 Aug, 2025 | 02:10 PM

बकरी पालन अब सिर्फ एक पारंपरिक तरीका नहीं रह गया है, बल्कि यह ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्र तक लोगों के लिए मुनाफे का बेहतरीन जरिया बन चुका है. खासकर जब बाजार में बकरी के दूध और मांस की मांग तेजी से बढ़ रही हो. बकरी का दूध अपने औषधीय गुणों और स्वास्थ्य लाभों के कारण खास महत्व रखता है. ऐसे में जो किसान या पशुपालक कम लागत में अधिक आमदनी का सपना देख रहे हैं, उनके लिए एक खास नस्ल की बकरी ‘सानेन’ वरदान बन सकती है. यह नस्ल दूध और मांस दोनों के लिहाज से बेजोड़ मानी जाती है.

बकरी पालन से बदल रही है किसानों की किस्मत

बकरी पालन अब एक लाभदायक व्यवसाय के रूप में उभर कर सामने आ रहा है. छोटे किसान, बेरोजगार युवा और सीमित संसाधनों वाले पशुपालक इसे अपनाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. खासतौर पर जब बात सानेन नस्ल की बकरी की हो, तो इससे मिलने वाला दूध और मांस किसानों को शानदार मुनाफा दे सकता है. यह नस्ल उन लोगों के लिए बेहतरीन विकल्प है जो पशुपालन शुरू करना चाहते हैं लेकिन गाय-भैंस पालने की लागत और देखरेख नहीं उठा सकते. इसीलिए बकरी को ‘गरीबों की गाय’ भी कहा जाता है.

सानेन नस्ल: दूध की रानी और मुनाफे की मशीन

सानेन नस्ल की बकरी को दुनिया की सबसे ज्यादा दूध देने वाली बकरी माना जाता है. इसे ‘दूध की रानी’ भी कहा जाता है. इसकी खास पहचान है सफेद रंग, सीधे कान, ऊपर की ओर सींग और छोटा कद. नर बकरे का वजन 80 किलो और मादा का 60 किलो तक होता है. इस नस्ल की बकरी 9 महीने की उम्र में ही प्रजनन के लिए तैयार हो जाती है, जिससे इसका प्रजनन चक्र तेज होता है. यह रोजाना 2-3 लीटर तक दूध देती है, जिसकी बाजार में कीमत 175 से 200 रुपये प्रति लीटर तक होती है.

मांस और दूध के साथ-साथ बनेगी कई प्रोडक्ट्स की कमाई

सानेन बकरी का मांस भी काफी महंगा बिकता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसका मांस 1000 से 1500 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता है. इतना ही नहीं, इसके दूध से बने प्रोडक्ट्स जैसे पनीर और घी भी महंगे दामों में बिकते हैं. पनीर की कीमत लगभग 1000 रुपये प्रति किलो और घी की कीमत 3000 रुपये प्रति किलो तक पहुंचती है. इस नस्ल से जुड़ा हर उत्पाद किसान को मुनाफा देने वाला है. यही कारण है कि राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इसके पालन को बढ़ावा मिल रहा है.

कहां मिलती है यह बकरी और कैसे करें पालन?

सानेन नस्ल की बकरी मूल रूप से विदेशी नस्ल है, लेकिन अब भारत के कई हिस्सों में इसकी मांग और उपलब्धता दोनों बढ़ी है. राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में किसान इसे पाल रहे हैं. इसके लिए ज्यादा जगह या विशेष संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती. पोषण युक्त आहार, साफ-सफाई और सामान्य स्वास्थ्य देखभाल के जरिए किसान इस नस्ल से अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. इसके दूध में औषधीय गुण होने के कारण कई रोगों में लाभकारी माना जाता है, जिससे इसकी बाजार में विशेष मांग बनी रहती है.

Published: 14 Aug, 2025 | 02:10 PM