Blue Tongue Disease : जैसे ही मौसम में नमी और गर्मी बढ़ती है, वैसे ही बकरियों में बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. कई बार पशुपालक समझ ही नहीं पाते कि उनकी स्वस्थ दिखने वाली बकरी अचानक कमजोर क्यों हो गई या उसकी जीभ का रंग नीला क्यों पड़ने लगा. दरअसल, यह ब्लू टंग बीमारी का संकेत हो सकता है, जो बकरियों के लिए बेहद खतरनाक मानी जाती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह बीमारी मच्छरों के काटने से फैलती है और समय पर ध्यान न दिया जाए तो जान भी ले सकती है.
मच्छरों से फैलती है ब्लू टंग बीमारी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ब्लू टंग एक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से बकरियों और अन्य पागुर करने वाले पशुओं को अपनी चपेट में लेती है. यह बीमारी सीधे एक पशु से दूसरे पशु में नहीं फैलती, बल्कि छोटे मच्छरों के जरिए फैलती है. ये मच्छर संक्रमित पशु का खून चूसने के बाद स्वस्थ पशु को काटते हैं और वायरस फैला देते हैं. यही वजह है कि बारिश और उमस वाले मौसम में इसका खतरा ज्यादा बढ़ जाता है.
ये लक्षण दिखें तो तुरंत हो जाएं सतर्क
ब्लू टंग बीमारी के लक्षण पहचानना बहुत मुश्किल नहीं है. संक्रमित बकरी को तेज बुखार हो जाता है और शरीर का तापमान काफी बढ़ जाता है. सबसे साफ लक्षण जीभ का नीला पड़ जाना है. इसके अलावा मुंह में सूजन, नाक से पानी बहना, चारा कम खाना और दूध उत्पादन में गिरावट भी देखने को मिलती है. धीरे-धीरे बकरी कमजोर हो जाती है और समय पर इलाज न मिले तो मौत का खतरा बढ़ जाता है.
इलाज से पहले बचाव है सबसे जरूरी
इस बीमारी का सबसे अच्छा इलाज यही है कि इसे फैलने से पहले ही रोका जाए. इसके लिए बकरियों के बाड़े की साफ-सफाई बेहद जरूरी है. आसपास पानी जमा न होने दें, क्योंकि वहीं मच्छर पनपते हैं. खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगाएं, ताकि मच्छर अंदर न आ सकें. समय-समय पर फॉगिंग या मच्छर मारने वाले स्प्रे का इस्तेमाल करें. बीमार बकरियों को तुरंत अलग रखें, ताकि बाकी पशु सुरक्षित रह सकें.
टीकाकरण और सही देखभाल से बचेगी जान
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ब्लू टंग बीमारी में समय पर टीकाकरण बहुत अहम भूमिका निभाता है. नियमित टीकाकरण से बकरियों को इस बीमारी से काफी हद तक सुरक्षित रखा जा सकता है. अगर किसी बकरी में लक्षण दिखें, तो देरी किए बिना पशु चिकित्सक से संपर्क करें. शुरुआती चरण में सपोर्टिव इलाज से बकरी की जान बचाई जा सकती है. साथ ही पोषण युक्त चारा और साफ पानी देना भी बेहद जरूरी है, ताकि बकरी की ताकत बनी रहे.