धान-गेहूं का पुआल नहीं है बोझ, अब बनेगा पशुपालकों की लागत घटाने का आसान उपाय

धान और गेहूं की कटाई के बाद बचने वाला पुआल जलाना नुकसानदायक है. सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यही पुआल सस्ता और पौष्टिक पशु चारा बन सकता है. इससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है, जमीन की सेहत सुधरती है और पशुपालकों की चारे की लागत भी कम होती है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 17 Dec, 2025 | 03:00 PM

Paddy Straw Management : खेतों में धान और गेहूं की कटाई के बाद अक्सर पुआल को बेकार समझ लिया जाता है. कई जगह इसे जलाना आसान रास्ता माना जाता है, लेकिन यही आदत किसानों, पशुपालकों और पर्यावरण-तीनों को नुकसान पहुंचा रही है. बिहार सरकार के डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग के अनुसार, पुआल कोई समस्या नहीं बल्कि बड़ा समाधान है. सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यही पुआल सस्ता और पौष्टिक पशु चारा बन सकता है और किसानों की लागत भी घटा सकता है.

पुआल जलाने से क्यों बढ़ता है नुकसान

बिहार सरकार के पशुपालन विभाग के अनुसार, जब खेत में पुआल जलाया  जाता है, तो हवा में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और मिथेन जैसी खतरनाक गैसें फैलती हैं. इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है और लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है. इतना ही नहीं, पुआल जलने से खेत की मिट्टी भी कमजोर होती है. मिट्टी में मौजूद केंचुए और राइजोबियम जैसे लाभकारी बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं, जो जमीन की उर्वरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. इसका असर अगली फसल की पैदावार  पर भी पड़ता है.

पुआल बनेगा सस्ता और आसान पशु चारा

डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग  का कहना है कि धान और गेहूं के पुआल का इस्तेमाल पशु चारे के रूप में किया जा सकता है. इससे एक तरफ पुआल का सही निपटारा होगा, तो दूसरी तरफ पशुपालकों को सस्ता चारा मिलेगा. अगर पुआल को चारे के रूप में अपनाया जाए, तो बाजार से महंगा चारा खरीदने की जरूरत कम हो जाती है. खासकर छोटे शुपालकों के लिए यह बड़ी राहत  है, क्योंकि चारे पर होने वाला खर्च काफी घट जाता है.

यूरिया उपचार से बढ़ेगी पुआल की पौष्टिकता

विभाग के अनुसार, गेहूं और धान के पुआल को सुखाकर, काटकर और यूरिया से उपचारित करके लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है. यूरिया उपचार करने से पुआल की पौष्टिकता बढ़ जाती है और उसमें प्रोटीन की मात्रा  भी ज्यादा हो जाती है. इस तरह तैयार किया गया भूसा पशुओं के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है. चारे की कमी के समय किसान इसे हरे चारे के साथ मिलाकर पशुओं को खिला सकते हैं. इससे पशुओं की सेहत सुधरती है और दूध उत्पादन पर भी सकारात्मक असर पड़ता है.

हरा चारा और पुआल मिलाकर बनेगा संतुलित आहार

बिहार सरकार के अनुसार, अगर पशुओं को संतुलित आहार  देना है, तो पुआल और ताजी घास का सही मिश्रण जरूरी है. करीब 50 प्रतिशत धान या गेहूं का पुआल और 50 प्रतिशत ताजी घास मिलाकर पशुओं को खिलाया जा सकता है. इसके साथ AM-6M जैसे पोषक तत्व मिलाने से चारे की गुणवत्ता और बढ़ जाती है. इससे पशुओं को जरूरी ऊर्जा और पोषण मिलता  है, वे स्वस्थ रहते हैं और दूध उत्पादन  भी बेहतर होता है.

कुल मिलाकर, पुआल जलाने की बजाय उसे पशुधन के काम में लाना किसानों के लिए फायदे का सौदा है. इससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है, जमीन की सेहत सुधरती है और पशुपालकों की आमदनी बढ़ती है. यही वजह है कि बिहार सरकार लगातार किसानों से अपील कर रही है कि पुआल को न जलाएं, बल्कि उसे समाधान के रूप में अपनाएं.

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