Nilgai Control : कल्पना कीजिए- रात के अंधेरे में आपका पूरा खेत हरा-भरा खड़ा है, लेकिन सुबह होते ही उसकी जगह सिर्फ बर्बाद पत्तियां, टूटे पौधे और मिट्टी बिखरी हुई दिखती है. ऐसा मानो कोई अदृश्य सेना रात भर आपका खेत चट कर गई हो. ये सेना कोई और नहीं, बल्कि खेतों में कहर ढाने वाली नीलगाय होती है. लेकिन अब किसान परेशान न हों, क्योंकि सिर्फ 10 रुपये का एक देसी जुगाड़ नीलगाय को खेत के पास तक नहीं आने देगा. बिहार और यूपी के किसान बड़े आराम से इसका फायदा उठा रहे हैं.
किसानों की सबसे बड़ी मुसीबत- नीलगाय का आतंक
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, देशभर के किसान नीलगाय से होने वाले नुकसान से वर्षों से जूझ रहे हैं. ये जानवर बड़े दल में खेतों में घुसते हैं और मिनटों में पूरी फसल साफ़ कर देते हैं. खासकर अरहर, मूंगफली, गन्ना, उद्यानिकी फसलें और केले के बंच सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. नीलगाय का वध प्रतिबंधित है, इसलिए किसान केवल उपायों पर ही निर्भर हैं. कई इलाकों में तो किसान रात-रातभर पहरा देने को मजबूर हैं. लेकिन अब एक बेहद आसान, सस्ता और सुरक्षित तरीका किसानों की बड़ी मदद कर रहा है.
सिर्फ 10 रुपये में तैयार होगा नीलगाय भगाने वाला देसी घोल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, समस्तीपुर के एक किसान ने यह नायाब तरीका अपनाया और शानदार नतीजे मिले. इस देसी उपाय के लिए आपको केवल दो सड़े हुए अंडे चाहिए-बस! इन अंडों को 15 लीटर पानी में मिलाकर छोड़ दीजिए. पांच से दस दिन बाद जैसे-जैसे घोल सड़ता है, उसकी तेज गंध तैयार हो जाती है. यही गंध नीलगाय को खेत से दूर भगाती है. यह तरीका इतना कारगर है कि जिन इलाकों में किसान इसे छिड़क रहे हैं, वहां नीलगाय फसल के आस-पास भी नहीं भटकती.
कैसे करें इस्तेमाल- नीलगाय खुद रास्ता बदल देगी
इस घोल का इस्तेमाल बेहद आसान है. आपको फसलों पर इसे छिड़कने की बिल्कुल जरूरत नहीं है. सिर्फ हर 15 दिन पर खेती की मेड़ों, किनारों और रास्तों पर इस घोल का छिड़काव करें, खासकर वहीं जहां से नीलगाय खेत में आती है. नीलगाय को यह दुर्गंध बिल्कुल पसंद नहीं आती. जैसे ही उसे इस गंध का एहसास होता है, वह तुरंत दिशा बदल लेती है और खेत में आने की कोशिश भी नहीं करती. यह उपाय न सिर्फ नीलगाय बल्कि बंदरों पर भी असरदार है.
ध्यान रहे-फसल पर मत छिड़कें ये घोल
विशेषज्ञों का कहना है कि यह घोल जितना पुराना, उतना प्रभावी होता है. लेकिन याद रखें-इसे फसल पर नहीं छिड़कना है, क्योंकि इसका उद्देश्य केवल गंध से जानवरों को दूर रखना है. कई किसान इस देसी उपाय को अपनाकर अपनी फसलों को बचा रहे हैं. केले की खेती में भी इसे बहुत कारगर पाया गया है. नीलगाय केले के गुच्छे चट कर जाती थी, लेकिन इस घोल और पॉलीथिन कवर के बाद नुकसान काफी कम हुआ.
किसानों के लिए वरदान बना ये सस्ता और असरदार उपाय
जब सुरक्षा बाड़, बिजली का तार, आवाज वाले यंत्र और रात्रि पहरा भी नाकाम हो जाते हैं, उस समय यह अंडा घोल किसानों के लिए सच्चा सहारा बन रहा है. कम लागत, आसान तैयारी और घंटों की मेहनत भी नहीं-बस थोड़ा गंध वाला तरीका, लेकिन नतीजे इतने तगड़े कि नीलगाय खेत की ओर देखना भी छोड़ दे. किसान चौकन्ने रहते हुए इस घोल के साथ अपनी फसल को बड़े आराम से बचा रहे हैं. यह उपाय छोटे किसानों के लिए खासतौर पर वरदान बन गया है.