National Milk Day 2025: भारत में दूध सिर्फ भोजन का हिस्सा नहीं, बल्कि करोड़ों किसानों की आजीविका, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ और पोषण का सबसे बड़ा स्त्रोत है. राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के मौके पर यह समझना बेहद जरूरी है कि भारत किस तरह दुनिया का सबसे बड़ा दूध केंद्र बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है. पिछले 10 वर्षों में दूध उत्पादन में आई भारी बढ़ोतरी ने न सिर्फ किसानों की आय को बढ़ाया है बल्कि डेयरी उद्योग को नई दिशा दी है.
दूध उत्पादन में ऐतिहासिक उछाल
भारत में दूध उत्पादन लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है. वर्ष 2014-15 में 14.63 करोड़ टन दूध उत्पादन होता था, जो 2023-24 में बढ़कर 23.93 करोड़ टन पहुंच गया. यह करीब 64 फीसदी की आश्चर्यजनक वृद्धि है. सरकार का अनुमान है कि 2026 तक दूध उत्पादन 24.20 करोड़ टन तक पहुंच सकता है. इस तेजी के साथ भारत दुनिया की कुल दूध आपूर्ति में लगभग 32 फीसदी हिस्सेदारी हासिल कर लेगा, जो वैश्विक बाजार में भारत को डेयरी क्षेत्र का नेतृत्वकर्ता बना देगा.
प्रति व्यक्ति उपलब्धता में सुधार
एक समय ऐसा था जब देश में प्रति व्यक्ति केवल 124 ग्राम दूध प्रतिदिन की उपलब्धता थी. आज यह बढ़कर 471 ग्राम प्रतिदिन हो गई है. इसका मतलब है कि न सिर्फ उत्पादन बढ़ा है, बल्कि आम लोगों तक गुणवत्तापूर्ण दूध की पहुंच भी पहले से कई गुना बेहतर हुई है. इससे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के पोषण स्तर में भी बड़ा बदलाव आया है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जान
भारत का डेयरी सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था में लगभग 5 फीसदी का योगदान देता है और 8 करोड़ से अधिक किसानों को रोजगार देता है. इनमें से अधिकतर किसान छोटे और सीमांत होते हैं, जिनकी आय का बड़ा हिस्सा दूध पर निर्भर है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डेयरी सेक्टर में महिलाओं की भूमिका बेहद मजबूत है. देश का करीब 70 फीसदी डेयरी वर्कफोर्स महिलाएं हैं, 35 फीसदी महिलाएं सहकारी समितियों की सदस्य हैं और लगभग 48,000 महिला सहकारी समितियां सक्रिय रूप से काम कर रही हैं. इससे महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं और गांवों की आर्थिक ताकत बढ़ा रही हैं.
NPDD ने डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर को दिया नया रूप
राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) ने डेयरी क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं. इस योजना के तहत 31,908 डेयरी समितियों को पुनर्जीवित किया गया और 17.6 लाख नए दूध उत्पादकों को जोड़ा गया. दूध खरीद क्षमता बढ़कर 120 लाख किलो प्रतिदिन तक पहुंच गई है. इसके अलावा 61,677 गांवों में दूध टेस्टिंग लैब स्थापित की गई हैं और 6,000 से अधिक बल्क मिल्क कूलर लगाए गए हैं जिनकी कुल क्षमता 149 लाख लीटर है. देश के 279 डेयरी प्लांट्स में अत्याधुनिक मिलावट जांच तकनीक भी लगाई गई है, जिससे दूध की गुणवत्ता और सुरक्षा में भारी सुधार हुआ है.
सहकारी मॉडल
भारत का सहकारी मॉडल डेयरी उद्योग का सबसे मजबूत स्तंभ है. देश में 22 मिल्क फेडरेशन, 241 जिला यूनियन और 28 मार्केटिंग डेयरियां हैं. साथ ही 25 मिल्क प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (MPO) भी सक्रिय हैं. ये सभी संस्थाएं मिलकर 2.35 लाख गांवों तक सेवा देती हैं और 1.72 करोड़ किसानों को सीधे जोड़ती हैं. यह मॉडल न सिर्फ पारदर्शिता लाता है बल्कि किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य भी सुनिश्चित करता है.
2028-29 तक 10 करोड़ लीटर प्रतिदिन प्रोसेसिंग क्षमता का लक्ष्य
भारत आने वाले वर्षों में अपनी दूध प्रसंस्करण क्षमता को 2028-29 तक 10 करोड़ लीटर प्रतिदिन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखता है. इसके लिए आधुनिक डेयरी प्लांट्स, नई तकनीक, और मूल्यवर्धित उत्पाद जैसे पनीर, घी, दही, मिल्क पाउडर आदि पर जोर दिया जा रहा है. इससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि भारत की डेयरी इंडस्ट्री विश्व स्तर पर और मजबूत होगी.