हरियाणा के हिसार जिले में लगातार बारिश और नहरों में कटाव की वजह से करीब 80,000 एकड़ खेत पानी में डूब गए हैं, जिससे किसानों को इस खरीफ सीजन में भारी नुकसान होने की आशंका है. बरवाला उपमंडल के करीब 20 गांवों में आज सुबह और शाम भारी बारिश के बाद बाढ़ जैसे हालात बन गए. गांव वालों के मुताबिक, शनिवार को पाटन और कैमरी गांवों के बीच घग्गर ड्रेन में कटाव आने से करीब 500 एकड़ में खड़ी फसलें पानी में डूब गईं. इससे खास कर धान की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. ऐसे में किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.
हालांकि सिंचाई विभाग, मनरेगा वर्कर्स और स्थानीय लोगों की मदद से कटाव को बंद कर दिया गया, लेकिन पिछले 10 दिनों से घग्गर ड्रेन का ओवरफ्लो होना अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है. चूली कलां और शाहपुर गांव के पास 30 फुट चौड़ा एक और कटाव आ गया, जिससे बांधी गई बालू की बोरियां भी बह गईं और कई खेत डूब गए. लाडवा और गंगवा गांवों में भी ड्रेन के दोबारा भर जाने से करीब 800 एकड़ में फसल जलमग्न हो गई.
1.25 लाख एकड़ की फसल बर्बाद
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, अखिल भारतीय किसान सभा के जिला अध्यक्ष शमशेर नंबरदार ने कहा कि पिछले पांच दिनों में हमने 25 गांवों का दौरा किया, जहां करीब 1.25 लाख एकड़ की फसल बर्बाद हो चुकी है और 10 गांवों में तो पानी लोगों के घरों तक घुस गया है. लाडवा और गंगवा के पास ड्रेन फिर से भर जाने से हालात और खराब हो गए हैं. किसानों का आरोप है कि घग्गर ड्रेन की क्षमता 500 क्यूसेक पानी की है, लेकिन फिलहाल उसमें 800 क्यूसेक से ज्यादा पानी बह रहा है, जिससे बार-बार कटाव हो रहे हैं.
33 केवी का पावर हाउस डूब गया
इससे पहले भी पाटन, शाहपुर और मातरश्याम गांवों में ड्रेन टूटने की घटनाएं हो चुकी हैं. गंगवा से जिला परिषद सदस्य मनोज ताक ने कहा कि सैकड़ों एकड़ में फसलें खराब हो गई हैं और लोग अपने घरों से बेघर हो रहे हैं. सरकार को तुरंत मुआवजा देना चाहिए. खास बात यह है कि बरवाला सबडिवीजन सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में से एक रहा. तीन घंटे की भारी बारिश के कारण सड़कों पर पानी भर गया और बरवाला बस स्टैंड के पास स्थित 33 केवी का पावर हाउस डूब गया, जिससे पूरे कस्बे की बिजली गुल हो गई.
कॉलोनियों से पानी पावर स्टेशन में घुस गया
स्थानीय लोगों का कहना है कि पास की कॉलोनियों से पानी पावर स्टेशन में घुस गया, जिससे हादसे से बचने के लिए बिजली आपूर्ति बंद करनी पड़ी. सुलखानी गांव में पानी आंगनवाड़ी केंद्र और घरों तक घुस गया, जिससे लोग अपना सामान लेकर घर छोड़ने को मजबूर हो गए. राजली गांव में भी जलभराव के ऐसे ही हालात देखे गए.