पंजाब में धान की रोपाई शुरू होने में अब दो हफ्ते से भी कम समय बचा है. इसी बीच सोमवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की एक बेंच ने हाइब्रिड धान के बीजों पर लगे प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. हालांकि, कोर्ट ने यह नहीं बताया कि फैसला कब सुनाया जाएगा. यह मामला फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (FSII) की याचिका से जुड़ा है, जिसमें पंजाब सरकार द्वारा 2019 में हाइब्रिड बीजों पर लगाए गए बैन को चुनौती दी गई थी. हालांकि बाद में इस फैसले में बदलाव किया गया, लेकिन 7 अप्रैल 2025 को पंजाब कृषि विभाग ने फिर से PUSA-44 और अन्य हाइब्रिड किस्मों की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का कहना है कि हाइब्रिड बीजों पर प्रतिबंध से भूजल की बचत और प्रदूषण की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी. इसी मुद्दे पर एक और याचिका हाल ही में दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने 2019 वाली याचिका के साथ जोड़ दिया. वहीं, चावल मिल मालिकों का कहना है कि हाइब्रिड धान से टूटे हुए चावल ज्यादा निकलते हैं, जिससे उनका नुकसान होता है. दूसरी ओर कुछ किसान और FSII का तर्क है कि हाइब्रिड किस्में कम पानी में ज्यादा उत्पादन देती हैं, इसलिए उन पर रोक लगाना गलत है. अब सभी पक्षों की दलीलें पूरी हो चुकी हैं और हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार है.
प्रति एकड़ 5 से 6 क्विंटल अधिक उपज
13 मई को हुई पिछली सुनवाई के दौरान पंजाब राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तरसेम सैनी को याचिका में पक्षकार बनाया गया था. FSII के चेयरमैन अजय राणा ने कहा कि हाईकोर्ट ने जब पंजाब सरकार द्वारा हाइब्रिड धान पर लगाए गए प्रतिबंध पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है, तब बीज उद्योग को उम्मीद है कि कोर्ट ऐसा संतुलित निर्णय देगा जो कृषि में विज्ञान और नवाचार की भूमिका को पहचान देगा. अजय राणा ने कहा कि हाइब्रिड धान खेती में उत्पादकता बढ़ाने और प्राकृतिक संसाधनों की बचत करने के लिए एक कारगर समाधान है. यह प्रति एकड़ 5 से 6 क्विंटल अधिक उपज देता है. कम समय में पकने वाली किस्में होने से यह जल्दी कटाई में सहायक होती हैं.
30 फीसदी तक पानी की बचत
अजय राणा ने कहा कि यह धान की डायरेक्ट सीडिंग विधि को भी सपोर्ट करता है, जिससे 30 फीसदी तक पानी की बचत और प्रदूषण में कमी आती है. ये हाइब्रिड किस्में खराब मौसम और कीटों के प्रति बेहतर सहनशीलता देती हैं, जिससे किसान जोखिम से बच पाते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि बाजार में मौजूद सभी हाइब्रिड बीज ICAR के ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटेड राइस इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट के तहत तीन साल के परीक्षणों से गुजर चुके हैं और FCI द्वारा तय किए गए 67 फीसदी आउट-टर्न रेशियो जैसे राष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरे हैं.