2 महीने में भारत ने किया 2.29 लाख टन चीनी का निर्यात, सबसे ज्यादा इन देशों में हुई सप्लाई

भारत ने 2024-25 के सीजन में अब तक 5.38 लाख टन चीनी का निर्यात किया है, जिसमें सफेद, कच्ची और रिफाइंड चीनी शामिल हैं. निर्यात मुख्य रूप से सोमालिया, श्रीलंका, अफगानिस्तान और यूएई को हुआ.

नोएडा | Updated On: 11 Jun, 2025 | 11:23 AM

पिछले दो महीनों में भारत ने 2.29 लाख टन चीनी का निर्यात किया है. इस तरह, 20 जनवरी को सरकार द्वारा मौजूदा सीजन (जो 30 सितंबर को खत्म होगा) के लिए तय किए गए 10 लाख टन के कोटे में से अब तक कुल 5.38 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है. इसके अलावा, 23,219 टन चीनी या तो रास्ते में है या बंदरगाहों पर लोड होने का इंतजार कर रही है. ऐसे में कुल मिलाकर 5.61 लाख टन से ज्यादा चीनी के निर्यात की संभावना है.

2024-25 के मौजूदा चीनी सीजन में 31 मई तक मिलों से भेजी गई चीनी की कुल मात्रा 5.17 लाख टन रही है. यह आंकड़ा डॉ. अमीन कंट्रोलर्स से मिली अस्थायी जानकारी पर आधारित है, जिसे ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन (AISTA) ने मंगलवार को साझा किया. इसमें 4.10 लाख टन सफेद चीनी, 25,382 टन कच्ची चीनी और 81,845 टन रिफाइंड चीनी शामिल हैं.

किन देशों को हुआ कितना चीनी निर्यात

AISTA ने कहा कि इसके अलावा, 21,000 टन से ज्यादा कच्ची चीनी SEZ (स्पेशल इकोनॉमिक जोन) में रिफाइनरी को भेजी गई है, जिसे निर्यात माना जाता है. सबसे ज्यादा 1,18,553 टन चीनी सोमालिया भेजी गई है, इसके बाद श्रीलंका को 76,401 टन, अफगानिस्तान को 72,833 टन, जिबूती को 69,609 टन, यूएई को 37,842 टन, लीबिया को 30,729 टन और तंजानिया को 26,919 टन चीनी भेजी गई है.AISTA ने पहले ही अनुमान लगाया था कि 2024-25 के सीजन में चीनी का निर्यात 10 लाख टन की सरकारी अनुमति में से 8 लाख टन तक पहुंच सकता है.

30 सितंबर तक कितना रहेगा चीनी का स्टॉक

व्यापार संगठन के अनुसार, इस सीजन में चीनी उत्पादन 265.2 लाख टन हो सकता है, जिसमें 2 फीसदी का ± एरर मार्जिन है. यह पिछले सीजन के 319 मिलियन टन के अनुमान से लगभग 16.9 फीसदी कम है. इससे 30 सितंबर 2025 तक चीनी का अंतिम स्टॉक 45 लाख टन रह जाएगा.

इस बीमारी से फसल को पहुंचा नुकसान

AISTA के अध्यक्ष प्रफुल विठलानी ने कहा कि इस सीजन में उत्तर प्रदेश में चीनी के उत्पादन में कमी के मुख्य कारण पश्चिमी इलाके में रेड रॉट बीमारी का फैलना और पूर्वी इलाके में बाढ़ है. साथ ही गन्ने में पोलराइजेशन कम होने से चीनी की मात्रा भी कम हो रही है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में किसानों को अनियमित बारिश और फसल में फूल आने की समस्या की वजह से गन्ने की पैदावार कम मिली है. महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों की मिलें भी सामान्य से पहले बंद हो गईं, क्योंकि क्रशिंग ऑपरेशन के दिन कम हो गए.

Published: 11 Jun, 2025 | 11:19 AM