राजस्थान में KVIC का कमाल, 25 एकड़ बंजर भूमि को बनाया हरा-भरा, UN ने भी की तारीफ

गांव वालों ने खुद आगे आकर इस जमीन को परियोजना के लिए देने की पेशकश की. उस समय कोई सोच भी नहीं सकता था कि कुछ ही सालों में यह इलाका एक हरा-भरा इकोसिस्टम बन जाएगा.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 9 Oct, 2025 | 12:44 PM

राजस्थान की सूखी और बंजर जमीन पर अब हरियाली लौट आई है. कभी जहां मिट्टी फटी रहती थी, अब वहां बांस के घने झुरमुट, पेड़ों की छांव और चहचहाते पक्षी नजर आते हैं. यह चमत्कार किसी जादू से नहीं, बल्कि खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) की एक दूरदर्शी पहल से संभव हुआ है. संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम सम्मेलन (UNCCD) ने भी इस पहल की सराहना करते हुए इसे “समुदाय की शक्ति से धरती को पुनर्जीवित करने का उदाहरण” बताया है.

कैसे शुरू हुआ ‘बंजर से बांस’ मिशन

यह परियोजना साल 2021 में उदयपुर जिले के निचला मंडवा गांव में शुरू की गई थी. KVIC ने स्थानीय लोगों और एक NGO –नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज (NCCL) के साथ मिलकर 25 एकड़ ग्राम सभा भूमि पर बांस और फलदार पेड़ों की रोपाई का बीड़ा उठाया. गांव वालों ने खुद आगे आकर इस जमीन को परियोजना के लिए देने की पेशकश की. उस समय कोई सोच भी नहीं सकता था कि कुछ ही सालों में यह इलाका एक हरा-भरा इकोसिस्टम बन जाएगा.

बांस बना हरियाली की उम्मीद

इस परियोजना में असम से लाए गए बांबूसा तुल्दा और बांबूसा पॉलीमोर्फा किस्म के करीब 5,500 बांस के पौधे लगाए गए. इनके साथ ही आंवला, अमरूद, पपीता, आम और सहजन जैसे फलदार पौधे भी रोपे गए. बांस को इसलिए चुना गया क्योंकि यह कम पानी में भी आसानी से उग जाता है और मिट्टी की नमी को बनाए रखता है. साथ ही यह 30% ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ता है, जिससे पर्यावरण भी बेहतर होता है.

नवाचार से बनी उपजाऊ जमीन

KVIC और NCCL ने मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए कई देसी और पर्यावरण हितैषी तकनीकें अपनाईं-

  • सोलर पावर से चलने वाला बोरवेल बनाया गया, ताकि पानी की जरूरत पूरी हो सके.
  • पास के होटलों से जैविक कचरे का उपयोग मल्चिंग के लिए किया गया, जिससे मिट्टी की नमी बनी रही.
  • चेक डैम की मरम्मत कर वर्षा जल को रोका गया.
  • पशुओं से पौधों की रक्षा के लिए पूरे क्षेत्र के चारों ओर 25 एकड़ का सुरक्षा ट्रेंच और दीवार बनाई गई.
  • यह सब कार्य मात्र 5 लाख लाख की लागत में पूरा किया गया, जो किसी बड़े सरकारी प्रोजेक्ट की तुलना में बेहद कम है.

चार साल में लौटी जान

चार सालों में इस सूखी जमीन पर जीवन लौट आया. अब यहां मोर, गिलहरियां, गिरगिट, तितलियां और ड्रैगनफ्लाई जैसे जीव दिखाई देते हैं. मिट्टी में नमी बढ़ी है, जलस्तर ऊपर आया है और हवा शुद्ध हुई है. दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना, जो 2021 में KVIC के चेयरमैन थे, ने कहा यह परियोजना दिखाती है कि सीमित संसाधनों के साथ भी अगर इच्छाशक्ति हो, तो धरती को फिर से जिंदा किया जा सकता है.”

रोजगार और पर्यावरणदोनों को सहारा

इस पहल से न केवल पर्यावरण को नया जीवन मिला है, बल्कि ग्रामीणों को रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. बांस अब अगरबत्ती, फर्नीचर, पतंग, और हस्तशिल्प उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराता है. गांव में अब कई छोटे उद्योग शुरू हो रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों की आय में वृद्धि हुई है.

एक मिसाल पूरी दुनिया के लिए

UNCCD ने इस पहल को “बंजर भूमि को जीवन देने वाला मॉडल” बताया है. यह दिखाता है कि सामुदायिक प्रयास और सस्ती तकनीक के जरिये भी मरुस्थलीकरण को रोका जा सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती को हरा-भरा बनाया जा सकता है. यह परियोजना न सिर्फ राजस्थान के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट का उदाहरण बन चुकी है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%