Digital Arrest: कृषि वैज्ञानिक साइबर ठग का हुए शिकार, 7 दिन तक डराकर ठगे गए 23 लाख रुपये

ठगों ने 7 दिन तक हर सुबह 9 बजे कॉल करके कृषि वैज्ञानिक को डराया. हर बार उन्हें यह धमकी दी जाती कि अगर उन्होंने किसी को कुछ बताया तो जेल चले जाएंगे.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 29 Sep, 2025 | 11:07 AM

Cyber Fraud: आगरा में 80 वर्षीय सेवानिवृत्त प्रधान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एचसी नितांत साइबर ठगों का शिकार बने. ठगों ने खुद को ईडी और आयकर अधिकारी बताकर उन्हें डिजिटल अरेस्ट में फंसा लिया और 7 दिन तक रोज 1 घंटे कॉल करके डराया. इसके बाद उन्होंने डॉ. नितांत से उनकी 23 लाख रुपये की एफडी निकालवा कर अपने खाते में ट्रांसफर करा ली.

कैसे हुई ठगी

10 सितंबर को सुबह डॉ. नितांत के व्हाट्सएप पर कॉल आया. कॉल करने वाले ने कहा कि उनका नाम मुंबई की बैंक शाखा में अवैध लेनदेन में जुड़ा है. ठगों ने डराने के लिए कहा कि यह रकम बच्चों की तस्करी करने वाले गिरोह से आई है और अगर वे सही जानकारी नहीं देंगे तो जेल भेज दिए जाएंगे. उन्होंने डॉ. नितांत से उनका आधार कार्ड व्हाट्सएप पर भेजने को कहा. डर के कारण डॉ. नितांत ने भेज दिया, जिससे ठगों को भरोसा हो गया कि वह सही लोग हैं.

डिजिटल अरेस्ट और डर

ठगों ने 7 दिन तक हर सुबह 9 बजे कॉल करके डॉ. नितांत को डराया. हर बार उन्हें यह धमकी दी जाती कि अगर उन्होंने किसी को कुछ बताया तो जेल चले जाएंगे. डॉ. नितांत अपने परिवार से भी कुछ नहीं कह सके. डर के कारण उन्होंने अपनी 23 लाख रुपये की एफडी बैंक से निकाल कर ठगों के बताए खाते में ट्रांसफर कर दी. इसके बाद आरोपियों ने रकम आरटीजीएस के माध्यम से अपने खाते में ले ली.

पुलिस की कार्रवाई

23 लाख रुपये गंवाने के बाद डॉ. नितांत ने 18 सितंबर को बेटे को पूरी घटना बताई और साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस अब उस खाते और आरोपियों की जानकारी जुटा रही है.

क्या है डिजिटल अरेस्ट

डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने मीडिया को बताया कि कोई भी वैध एजेंसी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती. यदि कोई कॉल करके कहे कि आपका नाम किसी मामले में है या आपको पकड़ा जाएगा, तो समझ जाएं कि यह ठगी है. ऐसे में कॉल पर बात न करें और पुलिस या 112/1090 नंबर से मदद लें.

पूर्व घटनाएं

आगरा में डिजिटल अरेस्ट जैसी ठगी की यह पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी कई लोग इस तरह के झूठे कॉल के शिकार हो चुके हैं. एक शिक्षिका को भी इसी तरह डराया गया, और घबराने के कारण उनकी जान चली गई थी. ठग कई दिन तक व्हाट्सएप या स्काइप से लोगों को पकड़कर उनकी रकम ले जाते हैं.

सावधानी की जरूरत

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे कॉल पर कभी भी व्यक्तिगत जानकारी या बैंक डिटेल्स न दें. यदि शक हो तो तुरंत पुलिस को सूचित करें. इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया कि साइबर ठग तेजी से सक्रिय हैं और लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है.

यदि आप भी इस तरह की कॉल का शिकार होते हैं तो तुरंत साइबर क्राइम पुलिस या 112/1090 पर संपर्क करें और किसी भी तरह की रकम देने से बचें.

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