कुलगाम: कश्मीर का पहला जिला जहां अफीम की खेती पूरी तरह खत्म, किसान उगा रहे सब्जियां

कुलगाम का यह मॉडल अब पूरे कश्मीर के लिए प्रेरणा बन गया है. यहां के अधिकारी और किसान मिलकर यह साबित कर रहे हैं कि अगर इच्छाशक्ति और सहयोग हो, तो नशे की जगह खुशहाली बोई जा सकती है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 14 Oct, 2025 | 09:52 AM

Poppy Cultivation: कभी जहां खेतों में अफीम के फूल लहराते थे, आज वहीं पर हरी-भरी सब्जियों और मक्के की फसल झूम रही है. जम्मू-कश्मीर का कुलगाम जिला अब नशे की नहीं, बल्कि मेहनत और समृद्धि की मिसाल बन चुका है. यहां के किसानों ने अफीम की खेती को हमेशा के लिए अलविदा कहकर नई फसलों के जरिए अपनी जिंदगी बदल डाली है.

अब खेतों में खुशहाली की फसल

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में रहने वाले एक मध्यमवर्गीय किसान ने बताया पहले मैं अफीम की खेती करता था, पर अब सब्जियां उगाकर हर साल लगभग 46,000 रुपये की अतिरिक्त आमदनी होती है.”

यह कहानी सिर्फ एक किसान की नहीं, बल्कि पूरे कुलगाम जिले के सैकड़ों किसानों की है जिन्होंने अब नशे की खेती छोड़कर सब्जियां, मक्का, धान और फूलों की खेती शुरू कर दी है.

रहनुमा’ कार्यक्रम से मिली नई दिशा

कुलगाम प्रशासन ने 2023 में ‘रहनुमा कार्यक्रम’ की शुरुआत की थी, जो नशा मुक्त जम्मू-कश्मीर अभियान (Drug-Free J&K Campaign) का हिस्सा है. इस योजना के तहत किसानों को समझाया गया कि अफीम की खेती से सिर्फ कानूनी खतरा ही नहीं, बल्कि समाज में नशे की जड़ें भी गहरी होती हैं.

प्रशासन ने किसानों को वैकल्पिक खेती अपनाने के लिए बीज, प्रशिक्षण और बाजार तक पहुंच जैसी सुविधाएं दीं. नतीजा यह हुआ कि जहां पहले जिले में लगभग 738 कनाल जमीन पर अफीम की खेती होती थी, वहीं अब यह घटकर सिर्फ 49 कनाल रह गई.

2025 तक कुलगाम जिला “100 प्रतिशत जीरो पॉप्पी कल्टीवेशन (Zero Poppy Cultivation)” हासिल करने वाला कश्मीर का पहला जिला बन गया.

किसानों को मिली नई पहचान

आज कुलगाम के किसान अब सब्जी, मक्का, धान और फ्लोरीकल्चर (फूलों की खेती) के जरिए अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. जहां पहले अफीम की खेती से डर और अपराध जुड़ा था, वहीं अब मेहनत, आत्मनिर्भरता और सम्मान की पहचान बनी है.

एक किसान ने बताया, “पहले डर रहता था कि पुलिस पकड़ न ले, अब खुशी है कि हम अपने बच्चों का भविष्य साफ़ देख सकते हैं.”

प्रशासन की नई योजना: निगरानी और भागीदारी

जिला प्रशासन अब इस सफलता को कायम रखने के लिए ग्राम पंचायतों को भी अभियान में जोड़ रहा है. अब हर पंचायत को जिम्मेदारी दी गई है कि वह अपने क्षेत्र में किसी भी अवैध खेती की पहचान और रिपोर्ट करे, ताकि यह व्यवस्था लंबे समय तक बनी रहे.

स्थानीय अधिकारी बताते हैं कि सामुदायिक भागीदारी ही इस सफलता की असली कुंजी है. जब गांव के लोग खुद निगरानी करेंगे, तो कोई भी दोबारा नशे की खेती करने की हिम्मत नहीं करेगा.

नशे की खेती पर सख्त कानून

भारत में अफीम की खेती कानूनन अपराध है. NDPS Act 1985 (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act) के अनुसार, बिना अनुमति अफीम उगाने पर सख्त सजा का प्रावधान है.

  • एक किलो तक अफीम उगाने पर एक साल की जेल हो सकती है.
  • जबकि बड़ी मात्रा (50 किलो तक) पर 10 से 20 साल की सजा का प्रावधान है.

सरकार का उद्देश्य केवल अवैध खेती को खत्म करना नहीं, बल्कि किसानों को बेहतर आजीविका के साधन देना भी है ताकि वे सही रास्ते पर आगे बढ़ सकें.

नई खेती से नया कश्मीर

कुलगाम का यह मॉडल अब पूरे कश्मीर के लिए प्रेरणा बन गया है. यहां के अधिकारी और किसान मिलकर यह साबित कर रहे हैं कि अगर इच्छाशक्ति और सहयोग हो, तो नशे की जगह खुशहाली बोई जा सकती है. कश्मीर की घाटी में आज यह बदलाव नई उम्मीद की तरह है, जहां कभी अफीम की खेती ने अंधेरा फैलाया था, वहां अब सब्जियों और फूलों की खुशबू ने नई सुबह ला दी है.

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