हरियाणा सरकार अब पारंपरिक खेती को नई दिशा देने जा रही है. राज्य में किसानों को बागवानी फसलों (Horticultural Crops) की ओर प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि उनकी आमदनी बढ़े और कृषि में विविधता आए. सरकार की इस नई पहल का उद्देश्य है कि किसान गेहूं-धान की पारंपरिक फसल चक्र से बाहर निकलकर उच्च मूल्य वाली फसलों जैसे फल, सब्जियां, फूल और मसालों की खेती की ओर रुख करें.
अब फल, फूल और मसालों की खेती पर जोर
बिजनेस लाइन कि खबर के अनुसार, हरियाणा के बागवानी विभाग के अनुसार, किसानों को अब न केवल खाद्य फसलों बल्कि फल, सब्जी, फूल और सुगंधित पौधों की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है. विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि इसके लिए किसानों को कई तरह की सुविधाएं और सरकारी सब्सिडी दी जा रही है. इस योजना के तहत किसान चाहे तो नए बाग लगाकर फलदार पेड़ उगा सकते हैं, या फिर सब्जियों और मसालों की खेती में उतर सकते हैं.
इसके अलावा, किसानों को एकीकृत मॉडल (Integrated Model) के तहत सब्जी उत्पादन के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसमें भूमि का अधिकतम उपयोग और सिंचाई का बेहतर प्रबंधन शामिल है.
सीधा पैसा किसानों के खाते में
सरकार ने किसानों की आर्थिक मदद के लिए आकर्षक सब्सिडी दरें तय की हैं. बागवानी विभाग के अनुसार, किसानों को प्रति एकड़ 24,500 से 1,40,000 रुपये तक की सब्सिडी नए फलदार बाग लगाने पर दी जाएगी.
- सब्जी उत्पादन करने वाले किसानों को 15,000 रुपये प्रति एकड़,
- अनुसूचित जाति के किसानों को 25,500 रुपये प्रति एकड़,
- जबकि मसाले उगाने वाले किसानों को 15,000 से 30,000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता दी जाएगी.
- इसी तरह फूलों की खेती के लिए 8,000 से 40,000 रुपये प्रति एकड़, और सुगंधित पौधों की खेती पर 8,000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी दी जाएगी.
सबसे खास बात यह है कि यह पूरी राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी. एक किसान अधिकतम 5 एकड़ तक इस सब्सिडी का लाभ उठा सकता है.
ऑनलाइन आवेदन से आसान प्रक्रिया
सरकार ने इस योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी बनाया है. किसान ‘मेरी फसल-मेरा ब्योरा’ और ‘Hortnet पोर्टल (hortnet.hortharyana.gov.in)’ पर जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.
आवेदन के लिए किसानों को कुछ जरूरी दस्तावेज देने होंगे, जिनमें परिवार पहचान पत्र (PPP ID), बैंक खाता विवरण, आवेदन फॉर्म और यदि लागू हो तो अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र शामिल है.
बागवानी विभाग ने बताया कि किसानों को आवेदन करने के बाद SMS या ईमेल के माध्यम से अपडेट मिलेंगे ताकि वे आसानी से अपनी स्थिति देख सकें.
कृषि में नए युग की शुरुआत
हरियाणा सरकार की यह पहल राज्य के कृषि परिदृश्य में एक बड़े बदलाव की शुरुआत मानी जा रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसान बागवानी फसलों की ओर बढ़ते हैं तो इससे उनकी आय में 2 से 3 गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है. साथ ही, यह पर्यावरण के लिए भी लाभदायक कदम होगा क्योंकि बागवानी फसलें कम पानी और रासायनिक खाद की जरूरत रखती हैं.
सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले पांच वर्षों में हरियाणा को “बागवानी राज्य” के रूप में विकसित किया जाए, जहां पारंपरिक खेती के साथ-साथ किसान आधुनिक और टिकाऊ कृषि प्रणालियों को अपनाएं.