आयुर्वेदिक कंपनियों को सीधे बेचें एलोवेरा और कमाएं लाखों, जानिए खेती शुरू करने से पहले क्या करें तैयारी

एलोवेरा की खेती में सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार पौधा लगाने के बाद यह पांच साल तक लगातार उत्पादन देता है. इसका मतलब है कि किसान एक ही बार निवेश करके लंबे समय तक मुनाफा कमा सकते हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 11 Sep, 2025 | 04:05 PM

एलोवेरा आज के समय में एक बेहद लोकप्रिय औषधीय पौधा बन चुका है. इसका उपयोगकेवल सौंदर्य प्रसाधनों और आयुर्वेदिक दवाइयों में होता है, बल्कि स्वास्थ्य से जुड़े उत्पादों में भी इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है. कोरोना महामारी के दौरान एलोवेरा की मांग में भारी इजाफा देखने को मिला था. अब कम पानी, कम देखभाल और अच्छे मुनाफे के कारण किसान इसकी खेती में रुचि दिखा रहे हैं. यदि आप भी एलोवेरा की खेती करने का विचार कर रहे हैं, तो इससे जुड़ी सभी जानकारी जानना जरूरी है.

खेती के फायदे

एलोवेरा की खेती में सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार पौधा लगाने के बाद यह पांच साल तक लगातार उत्पादन देता है. इसका मतलब है कि किसान एक ही बार निवेश करके लंबे समय तक मुनाफा कमा सकते हैं. इसके अलावा, एलोवेरा की खेती में कम रोग और कीट आते हैं, जिससे अतिरिक्त खर्च और मेहनत की जरूरत नहीं पड़ती.

एलोवेरा के प्रकार

दुनिया में एलोवेरा की लगभग 300 प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन इनमें से केवल 5 प्रजातियां औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं. अन्य प्रजातियों में औषधीय गुण बहुत कम या बिल्कुल नहीं पाए जाते. सबसे प्रचलित औषधीय प्रजाति है एलो बार्बाडेन्सीस मिलर, जो स्वास्थ्य और सौंदर्य संबंधी उत्पादों में सबसे अधिक उपयोग होती है. वहीं, मुसब्बर अर्बोरेसेंस जलन और घाव कम करने में मदद करता है. भारत में आईसी111271, एएल-1 हाईब्रिड और आईसी111269 जैसी प्रजातियों की खेती सबसे अधिक की जाती है.

बढ़ती मांग और बाजार

एलोवेरा से बने उत्पादों की बाजार में लगातार मांग बनी रहती है. किसान यदि खेती शुरू करने से पहले किसी कंपनी के साथ अग्रिम सौदा कर लें, तो उन्हें अधिक लाभ मिल सकता है. भारत में पतंजलि, डाबर, हिमालय जैसी कंपनियां एलोवेरा की मांग करती हैं. इस तरह किसान अपनी फसल को सीधे कंपनियों को बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

खेती के लिए आवश्यक जानकारी

मिट्टी और जलवायु

दोमट और रेतीली मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त है. जलभराव वाली जमीन से बचें. शुष्क और कम बारिश वाले इलाके इसकी पैदावार के लिए अच्छे हैं. रोपाई का समय जुलाई सबसे सही माना जाता है.

रोपाई और पैदावार

एक एकड़ में लगभग 11,000 पौधे लगाए जा सकते हैं. पौधों को 8 महीने में तैयार होने का समय मिलता है. यह पौधा रोगों और जानवरों से सुरक्षित रहता है.

लागत और मुनाफा

एक टन एलोवेरा की कीमत 20,00030,000 रुपये तक हो सकती है. एक एकड़ से लगभग 25 टन उत्पादन और 5 लाख रुपये तक की कमाई संभव है. कम निवेश और आसान देखभाल इसे किसानों के लिए आकर्षक विकल्प बनाती है.

यदि आप स्वास्थ्य और सौंदर्य उद्योग के बढ़ते रुझान को देखते हैं, तो एलोवेरा की खेती भविष्य में भी किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है. सही मार्गदर्शन और बाजार की समझ के साथ यह फसल आपको लंबी अवधि तक मुनाफा दे सकती है.

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Published: 11 Sep, 2025 | 03:43 PM

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