भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड यानी इफको ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में अपनी चौथी नैनो उर्वरक उत्पादन इकाई का उद्घाटन कर दिया है. इस नई यूनिट के शुरू होने से न केवल इफको की उत्पादन क्षमता में बड़ा इजाफा हुआ है, बल्कि किसानों तक आधुनिक और प्रभावी उर्वरकों की पहुंच भी और मजबूत होगी. नैनो यूरिया और अन्य नैनो उर्वरकों की बढ़ती मांग को देखते हुए इसे कृषि क्षेत्र के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है.
बेंगलुरु यूनिट से रोजाना होगी बड़ी मात्रा में उत्पादन
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु में स्थापित इस नई नैनो फर्टिलाइजर यूनिट की खास बात इसकी उच्च उत्पादन क्षमता है. यह संयंत्र हर दिन करीब दो लाख नैनो उर्वरक की बोतलें तैयार करने में सक्षम है. इसके चालू होने के साथ ही इफको की कुल नैनो उर्वरक उत्पादन क्षमता बढ़कर करीब 9.5 लाख बोतल प्रतिदिन हो गई है. ये सभी बोतलें 500 मिलीलीटर की हैं, जो पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में कम मात्रा में अधिक असर दिखाने के लिए जानी जाती हैं.
इससे पहले इफको गुजरात के कलोल में दो नैनो उर्वरक यूनिट चला रहा है, जहां से रोजाना लगभग 3.5 लाख बोतलों का उत्पादन होता है. वहीं उत्तर प्रदेश के आंवला और फूलपुर में भी एक-एक नैनो फर्टिलाइजर प्लांट पहले से कार्यरत हैं, जिनकी क्षमता दो-दो लाख बोतल प्रतिदिन की है. अब बेंगलुरु यूनिट जुड़ने से देश के अलग-अलग हिस्सों में उत्पादन का मजबूत नेटवर्क तैयार हो गया है.
दक्षिण भारत के किसानों को मिलेगा सीधा लाभ
बेंगलुरु में नैनो उर्वरक प्लांट शुरू होने से दक्षिण भारत के किसानों को सीधा फायदा मिलने की उम्मीद है. अब कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल जैसे राज्यों में नैनो उर्वरकों की आपूर्ति पहले से कहीं ज्यादा आसान और तेज हो जाएगी. किसानों को खाद की कमी या देर से आपूर्ति जैसी समस्याओं से राहत मिलेगी, जिससे फसल उत्पादन पर सकारात्मक असर पड़ेगा.
नैनो उर्वरक कम मात्रा में अधिक प्रभावी होते हैं, जिससे मिट्टी की सेहत भी बेहतर बनी रहती है और पर्यावरण पर पड़ने वाला नकारात्मक असर भी कम होता है. इससे किसानों की लागत घटेगी और उपज बढ़ने की संभावना बनेगी.
टिकाऊ खेती और मजबूत सप्लाई चेन पर जोर
इफको के प्रबंध निदेशक किरीटकुमार जे. पटेल ने इस नई यूनिट को कृषि सप्लाई चेन को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम बताया है. उनके अनुसार, यह संयंत्र किसानों को आधुनिक, प्रभावशाली और पर्यावरण के अनुकूल कृषि इनपुट उपलब्ध कराने में मदद करेगा. इससे टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिलेगा और बदलते मौसम के बीच किसानों को बेहतर समाधान मिल सकेंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि नैनो उर्वरक तकनीक भविष्य की खेती का अहम हिस्सा है, क्योंकि इससे कम संसाधनों में अधिक उत्पादन संभव हो पाता है.
आत्मनिर्भर भारत और सहकारिता की ताकत का प्रतीक
इफको की यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘आत्मनिर्भर कृषि’ के लक्ष्य को मजबूती देती है. देश के भीतर ही उन्नत नैनो उर्वरकों का उत्पादन बढ़ने से आयात पर निर्भरता कम होगी और स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा मिलेगा. किरीटकुमार जे. पटेल के अनुसार, यह प्लांट केवल एक औद्योगिक उपलब्धि नहीं, बल्कि देश के सहकारिता आंदोलन की ताकत का भी प्रतीक है.
उन्होंने कहा कि इफको का उद्देश्य सिर्फ उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि करोड़ों किसानों को सशक्त बनाना है. “सहकार से समृद्धि” के मंत्र पर चलते हुए इफको लगातार ऐसे कदम उठा रहा है, जो किसानों की आय, खेती की गुणवत्ता और देश की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद करें. बेंगलुरु की यह नई यूनिट उसी दिशा में एक और मजबूत कदम मानी जा रही है.