इलायची किसानों के लिए सुनहरा साल, लेकिन सवाल…क्या अब कम हो जाएंगे दाम?

आज इलायची का इस्तेमाल सिर्फ मसाले के रूप में ही नहीं, बल्कि सेहत और खाद्य उद्योग में भी बढ़ रहा है. आयुर्वेदिक उत्पादों, मिठाइयों और पेय पदार्थों में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. इससे आने वाले समय में बाजार को और मजबूती मिलने की संभावना है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 30 Dec, 2025 | 08:22 AM
Instagram

साल 2025 भारतीय इलायची किसानों के लिए राहत और उम्मीद का साल बनकर उभरा है. पिछले कुछ वर्षों में मौसम की मार, सूखा और कमजोर बाजार भाव से परेशान किसान इस बार बेहतर हालात देखकर खुश हैं. लगातार अच्छी बारिश, अनुकूल जलवायु और घरेलू व विदेशी बाजारों में मजबूत मांग ने इलायची की खेती को फिर से फायदे का सौदा बना दिया है. यही वजह है कि इस पूरे साल इलायची की खुशबू न सिर्फ रसोई तक सीमित रही, बल्कि किसानों की आमदनी में भी मिठास घोलती नजर आई.

अनुकूल मौसम ने बढ़ाई पैदावार

इलायची की खेती के लिए संतुलित बारिश और नमी बेहद जरूरी होती है. 2025 में मार्च से ही कई इलाकों में समय पर और पर्याप्त बारिश हुई, जिससे पौधों की बढ़वार बेहतर रही. केरल और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में तापमान और नमी का संतुलन बना रहा. इसका असर यह हुआ कि पौधों में फूल और दाने अच्छी मात्रा में आए. किसानों का कहना है कि इस साल बागानों में रोग और कीट का प्रकोप भी कम देखने को मिला, जिससे फसल की गुणवत्ता में साफ सुधार हुआ.

मजबूत बाजार भाव से बढ़ी आमदनी

इस साल इलायची के दाम लगातार मजबूत बने रहे. पूरे सीजन में कीमतें अधिकतर समय 2,400 रुपये प्रति किलो से ऊपर रहीं. कई किसानों को प्रति एकड़ पहले के मुकाबले ज्यादा आमदनी हासिल हुई. जानकारों के मुताबिक पिछले वर्षों में कम उत्पादन के कारण बाजार में पुराना स्टॉक लगभग खत्म हो चुका था. ऐसे में नई फसल आते ही उसकी अच्छी खपत हुई और किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी तरह की परेशानी नहीं हुई.

निर्यात मांग ने दिया सहारा

इलायची की कीमतों को सहारा देने में निर्यात की बड़ी भूमिका रही. कुछ विदेशी उत्पादक देशों में बीते दो सीजन में उत्पादन प्रभावित हुआ, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति घट गई. इसका सीधा फायदा भारतीय इलायची को मिला. मध्य पूर्व, यूरोप और अन्य देशों से मांग बढ़ी, जिससे निर्यातकों और किसानों दोनों को लाभ हुआ. घरेलू बाजार के साथ-साथ विदेशी मांग बने रहने से पूरे साल बाजार में सकारात्मक माहौल रहा.

मजदूरों की कमी बनी चुनौती

हालांकि हालात पूरी तरह आसान नहीं रहे. कई इलाकों में मजदूरों की कमी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई. कटाई और सुखाने के काम में देरी हुई, जिससे किसानों की लागत कुछ बढ़ी. इसके बावजूद अच्छे दाम मिलने से किसानों का उत्साह बना रहा. किसानों का कहना है कि अगर श्रम की समस्या पर ध्यान दिया जाए, तो उत्पादन और भी बेहतर हो सकता है.

आने वाले साल को लेकर उम्मीदें

साल 2026 को लेकर भी इलायची क्षेत्र में उम्मीदें बनी हुई हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मानसून सामान्य रहा और मौसम ने साथ दिया, तो अगले साल भी पैदावार अच्छी रह सकती है. केरल के प्रमुख इलायची उत्पादक इलाकों में किसान इस समय अपने बागानों की देखभाल पर खास ध्यान दे रहे हैं. अच्छे दाम मिलने से वे पौधों की कटाई, खाद और सिंचाई पर ज्यादा निवेश कर पा रहे हैं, जिससे लंबे समय में फसल की सेहत मजबूत होगी.

कीमतों में उतार-चढ़ाव की संभावना

हालांकि विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि कीमतें हमेशा एक जैसी नहीं रहतीं. अगर अगले सीजन में भारत समेत अन्य देशों में उत्पादन बढ़ता है, तो दामों में कुछ गिरावट आ सकती है. ऐसी स्थिति में कीमतें 1,800 से 2,000 रुपये प्रति किलो के आसपास आ सकती हैं. फिर भी अच्छी गुणवत्ता वाली इलायची के लिए मांग बनी रहने की उम्मीद जताई जा रही है.

बढ़ती खपत से बाजार को मजबूती

आज इलायची का इस्तेमाल सिर्फ मसाले के रूप में ही नहीं, बल्कि सेहत और खाद्य उद्योग में भी बढ़ रहा है. आयुर्वेदिक उत्पादों, मिठाइयों और पेय पदार्थों में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. इससे आने वाले समय में बाजार को और मजबूती मिलने की संभावना है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

कीवी उत्पादन के मामले में देश का सबसे प्रमुख राज्य कौन सा है