ओडिशा के कटक जिले में खरीफ धान की बुवाई तेजी से हो रही है. लेकिन खाद की किल्लत के कारण किसान समय पर खेतों में उर्वरक का छिड़काव नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में फसलों के विकास पर असर पर रहा है. किसानों का कहना है कि सरकारी उर्वरकों की कमी के कारण कालाबाजारी बढ़ गई है. ऐसे में किसान ज्यादा कीमत पर खाद खरीदने को मजबूर हो गए हैं. कई व्यापारी किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर 45 किलो यूरिया का बैग 266.50 रुपये के बजाए 500 रुपये में बेच रहे हैं.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जिले के 14 ब्लॉकों में अब तक 1.24 लाख हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर धान की बुवाई हुई है, जबकि लक्ष्य 1.47 लाख हेक्टेयर था. इसके लिए करीब 21,300 टन उर्वरक की जरूरत है. लेकिन अब तक सिर्फ 2,338.98 मीट्रिक टन खाद ही 140 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (PACS) को दी गई है, जो कुल जरूरत का सिर्फ 10.98 फीसदी है. वहीं, खाद की किल्लत को दूर करने के लिए प्रशासन ने 593 लाइसेंस प्राप्त दुकानों को किसानों को सरकारी दर पर उर्वरक बेचने की अनुमति दी है.
व्यापारी ज्यादा कीमत पर बेच रहे खाद
खास बात यह है कि सरकार ने 45 किलो यूरिया (जो सबसे अहम नाइट्रोजन युक्त उर्वरक है) की कीमत 266.50 प्रति बोरी तय की है.लेकिन कुछ मुनाफाखोर व्यापारी इसे 500 या उससे भी ज्यादा में बेच रहे हैं. इसी तरह, सरकार ने 50 किलो पोटाश की कीमत 1,550 रुपये और डीएपी (DAP) की 1,350 रुपये तय की है, लेकिन बाजार में ये उर्वरक 1,800 रुपये और 1,500 रुपये से भी ज्यादा में बेचे जा रहे हैं. ऐसे में छोटी जोत वाले किसानों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है.
मार्केट में खाद की कालाबाजारी
किसानों ने कहा कि अगस्त और सितंबर खरीफ फसल के लिए सबसे जरूरी महीने होते हैं, क्योंकि इस दौरान धान के पौधों की बेहतर बढ़त के लिए यूरिया, पोटाश और डीएपी की जरूरत होती है. लेकिन PACS में खाद न मिलने के कारण हमें मजबूरी में ब्लैक मार्केट से ऊंचे दामों पर खरीदनी पड़ रही है. सूत्रों के मुताबिक, उर्वरकों की मांग और आपूर्ति में अंतर और प्रशासन की निगरानी में ढिलाई का फायदा उठाकर कुछ मुनाफाखोर व्यापारी जानबूझकर स्टॉक जमा करके नकली कमी पैदा कर रहे हैं और दाम बढ़ा रहे हैं. हालांकि, मुख्य जिला कृषि अधिकारी रजश्री बेहरा ने कहा कि ब्लैक मार्केटिंग रोकने के लिए ऐसे व्यापारियों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है.