खरीफ की बुवाई में दिखा जोर, पिछले साल से आगे निकल सकती है रफ्तार: ICRA रिपोर्ट

ICRA की रिपोर्ट बताती है कि जुलाई 2025 में देशभर में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है. इतना ही नहीं, पूरे दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन (जून से सितंबर) में कुल वर्षा औसत से 106 फीसदी ज्यादा हो सकती है. यह किसानों और फसलों दोनों के लिए राहत की बात है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 4 Aug, 2025 | 09:04 AM

भारत के किसानों के लिए यह खरीफ सीजन उम्मीदों से भरा साबित हो रहा है. देशभर में इस बार बुवाई का आंकड़ा पिछले साल की तुलना में तेज़ी से बढ़ा है. रिसर्च एजेंसी ICRA की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई 2025 के अंत तक खरीफ फसलों की बुवाई सामान्य रकबे के 76 फीसदी हिस्से में पूरी हो चुकी है, जो पिछले साल के मुकाबले 4 फीसदी ज्यादा है. अगर यह रफ्तार बनी रही, तो इस बार खरीफ बुवाई पिछले साल के आंकड़े को पार कर सकती है.

किस फसलों की हो रही बुवाई?

खरीफ सीजन की प्रमुख फसलें जैसे धान (चावल), मूंग और मक्का, जून और जुलाई की बारिश में बोई जाती हैं. देश के कई हिस्सों में इस बार समय पर और अच्छी बारिश हुई है, जिससे किसानों को बुवाई करने में मदद मिली है. खासतौर पर धान की बुवाई में इस बार अच्छी तेजी देखने को मिली है.

मॉनसून के दम पर बढ़ा आत्मविश्वास

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगस्त और सितंबर में सामान्य से ज्यादा बारिश का अनुमान जताया है. इसका मतलब यह है कि बुवाई के लिए अनुकूल मौसम अभी और बना रहेगा, जिससे खरीफ सीजन में बुवाई और भी आगे बढ़ सकती है. साथ ही, बारिश से जलाशयों में पानी का स्तर भी बढ़ेगा, जो आगे आने वाले रबी सीजन (अक्टूबर से मार्च) में सिंचाई के लिए फायदेमंद रहेगा.

जुलाई में मिली ज्यादा बारिश

ICRA की रिपोर्ट बताती है कि जुलाई 2025 में देशभर में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है. इतना ही नहीं, पूरे दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन (जून से सितंबर) में कुल वर्षा औसत से 106 फीसदी ज्यादा हो सकती है. यह किसानों और फसलों दोनों के लिए राहत की बात है.

कृषि विकास दर और ग्रामीण आय में इजाफा

रिपोर्ट के अनुसार, 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में कृषि, वानिकी और मत्स्य क्षेत्र की GVA (ग्रॉस वैल्यू ऐडेड) दर 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी दर भी बढ़ी है. मई 2025 में यह वृद्धि 4 फीसदी तक पहुंची, जो जनवरी में शून्य थी. यह संकेत देता है कि ग्रामीण इलाकों में उपभोग बढ़ सकता है, जिससे बाजार में मांग को मजबूती मिलेगी.

किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए उम्मीद की किरण

इस रिपोर्ट से साफ है कि मौसम की मेहरबानी, सरकार की योजनाएं और किसानों की मेहनत ने इस खरीफ सीजन को पहले से बेहतर बना दिया है. यदि आने वाले महीनों में मौसम इसी तरह सहयोग करता रहा, तो इस साल फसल उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था दोनों में जबरदस्त सुधार देखने को मिल सकता है.

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