Paddy cultivation: इस बार पंजाब में धान की बंपर फसल की उम्मीद है, क्योंकि किसानों ने धान की बुआई समय से पहले कर दी. पूरे राज्य में अच्छी बारिश होने के कारण पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (PSPCL) को धान के सीजन में पहले के मुकाबले कम बिजली सप्लाई करनी पड़ी. इससे पावर कॉरपोरेशन को मुफ्त बिजली पर करोड़ों रुपये की बचत हुई और ज्यादा मात्रा में हाइड्रो पावर (जलविद्युत) का इस्तेमाल कर बिजली की मांग भी पूरी की गई. वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि इस खरीफ सीजन में पंजाब रिकॉर्ड धान उत्पादन की ओर बढ़ रहा है. इस बार धान की पैदावार 185 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है, जो पिछले साल के 182 लाख टन से थोड़ी ज्यादा है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते ढ़ाई महीनों में बिजली की सप्लाई करीब 2,35,300 लाख यूनिट (LU) रही, जो पिछले साल की समान अवधि की 2,42,460 LU सप्लाई से लगभग 5 फीसदी कम है. इस साल सभी स्रोतों से खरीदी गई बिजली करीब 1,81,300 लाख यूनिट (LU) रही, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 1,84,400 LU था. जून, जुलाई और 16 अगस्त तक इस साल की औसत दैनिक बिजली सप्लाई क्रमशः 3052 LU, 3095 LU, और 2993 LU रही.
पंजाब में 13 लाख से ज्यादा ट्यूबवेल
वहीं, 2023 में इन्हीं महीनों की औसत सप्लाई जून में 2918 LU, जुलाई में 3352 LU, और 16 अगस्त तक 3190 LU थी. विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार प्री-मॉनसून की जल्दी शुरुआत और समय पर मॉनसून आने से पंजाब में पानी की मांग काफी कम हो गई, जिससे भूजल पर दबाव कम पड़ा और सरकार को मुफ्त बिजली पर भी भारी बचत हुई. उन्होंने कहा कि कई सालों बाद ऐसा हुआ है कि बिजली की खपत में गिरावट आई है, वरना हर साल गर्मियों में बिजली की मांग बढ़ती है, जब राज्य के 13 लाख से ज्यादा ट्यूबवेल लाखों लीटर पानी निकालते हैं.
एक हफ्ते में 30.24 लाख लीटर पानी की खपत
इस बार लगातार बारिश के कारण ट्यूबवेलों का कम इस्तेमाल हुआ, जिससे जमीन के नीचे के पानी पर दबाव भी काफी कम रहा. विशेषज्ञों का कहना है कि हर ट्यूबवेल औसतन 8 घंटे की बिजली सप्लाई में एक हफ्ते में 30.24 लाख लीटर पानी खींचता है. राज्य के 118 से ज्यादा ब्लॉक पहले से ही डार्क जोन में हैं, यानी वहां पानी का स्तर खतरनाक रूप से नीचे जा चुका है.
तीन चरणों में धान की बुआई 1 जून से शुरू हुई
इस साल तीन चरणों में धान की बुआई 1 जून से शुरू हुई, जबकि पिछले साल ये 11 जून से हुई थी. 2014 से पहले धान की रोपाई आमतौर पर 15 जून के बाद शुरू होती थी, ताकि मॉनसून के समय का लाभ उठाकर भूजल पर दबाव कम किया जा सके. धान की बुआई की तारीख पहले करने को लेकर कई जगहों से आलोचना हुई है, खासकर कृषि विशेषज्ञों ने इसे लेकर चिंता जताई है. उनका कहना है कि अगर भूजल का दोहन इसी रफ्तार से जारी रहा, तो पंजाब तेजी से रेगिस्तान बन सकता है.