जुगाड़ नहीं, अब तकनीक से खेती.. ज्यादा पैदावार दिलाएगी बिजली से चलने वाली ये मशीन

पहाड़ी इलाकों में खेती की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, पावर टिलर चालित शून्य कर्षण ड्रिल ने खेती को आसान, सस्ता और प्रभावी बनाने में मदद की है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 28 May, 2025 | 07:33 PM

पहाड़ी इलाकों में खेती करना हमेशा से मुश्किल रहा है. ढलान, पथरीली जमीन और भारी लागत किसान की राह में बड़ी दीवार बनते हैं. ऐसे में पालमपुर विश्वविद्यालय की तैयार की गई पावर टिलर चालित शून्य कर्षण ड्रिल आज भी किसानों के लिए एक किफायती समाधान विकल्प मानी जा रही है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के मुताबिक, यह तकनीक पहाड़ी खेती को न सिर्फ आसान बनाती है, बल्कि लागत में कटौती कर किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मदद कर सकती है.

पहाड़ों की खेती के लिए खास तकनीक

पहाड़ी क्षेत्रों में खेती करना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है. जमीन की ढलान, असमान सतह और पारंपरिक खेती के उपकरणों की सीमितता के कारण किसान अक्सर उत्पादन में कमियां देखते रहे हैं. लेकिन अब यह स्थिति बदलने रही है. पालमपुर विश्वविद्यालय ने पावर टिलर चालित शून्य कर्षण ड्रिल विकसित की है, जो विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों के लिए बनाई गई है. यह ड्रिल बिजली से चलती है और पारंपरिक उपकरणों की तुलना में कम मेहनत और लागत में ज्यादा काम करती है.

टेस्टिंग में मिले शानदार नतीजे

पालमपुर विश्वविद्यालय के फार्म पर रबी 2009 में इस ड्रिल की परीक्षण किया गया था. परीक्षण के दौरान, शून्य कर्षण ड्रिल की अग्रसर गति 2.1 से 2.2 किलोमीटर प्रति घंटा पाई गई, जिसके तहत यह 0.09 से 0.10 हेक्टेयर प्रति घंटा क्षेत्र में काम कर सकी. खास बात यह है कि खेत में इस ड्रिल की काम करने की शक्ति 56 से 62 प्रतिशत तक रही, जो पारंपरिक तकनीकों की तुलना में बेहतर साबित हुई. यह तकनीक खासतौर पर उन खेतों के लिए कारगर है जहां जमीन ढलान वाली और उबड़-खाबड़ हो.

कम लागत , ज्यादा बचत

इस शून्य कर्षण ड्रिल की सबसे बड़ी खूबी है इसकी संचालन लागत, जो परंपरागत खेती के उपकरणों की तुलना में लगभग 60 प्रतिशत तक कम है. इससे न सिर्फ किसानों की जेब पर बोझ कम होगा, बल्कि उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी. बिजली चालित होने के कारण यह ड्रिल पर्यावरण के लिहाज से भी बेहतर है. क्योंकि यह प्रदूषण कम करती है और ऊर्जा की बचत करती है. इस तकनीक के आने से पहाड़ी किसानों को खेती में नई ऊर्जा और प्रगति के रास्ते मिलेंगे, जो खेती को आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ बनाएंगे.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 28 May, 2025 | 07:33 PM

फलों और सब्जियों के उत्पादन में भारत किस नंबर पर है?

Side Banner

फलों और सब्जियों के उत्पादन में भारत किस नंबर पर है?