स्वाद और कीमत में बासमती से भी आगे है यह चावल, नाम है आदमचीनी.. UP में होती है खेती

आदमचीनी चावल उत्तर प्रदेश के विंध्य, चंदौली और वाराणसी क्षेत्रों में उगाया जाने वाला एक दुर्लभ, खुशबूदार और स्वादिष्ट देसी चावल है. सफेद, छोटे और चीनी जैसे दानों वाला यह चावल 2023 में GI टैग से सम्मानित हुआ, जिससे इसकी खेती और पहचान को बड़ा बढ़ावा मिला.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 26 Aug, 2025 | 07:35 PM

जब भी स्वादिष्ट और खुशबूदार चावल की बात होती है, लोगों के जेहन में सबसे पहले बासमती चावल का नाम उभरकर सामने आता है. लोगों को लगता है कि बासमती चावल की तरह सुगंधित और लजीज चावल की कोई दूसरी किस्म नहीं है. लेकिन ऐसी बात नहीं है. देश में चावल की ऐसी कई बेहतरीन किस्में हैं, जिसका स्वाद और रेट भी बासमती से ज्यादा है. उन्हीं चावलों में से एक है आदमचीनी चावल. भले ही इसका नाम सुनने में अटपटा सा लग रहा हो, लेकिन यह अपने क्वालिटी के लिए केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मशहूर है. खास बात यह है कि इसे जीआई टैग भी मिला हुआ है.

आदमचीनी चावल एक दुर्लभ देशी किस्म है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश के विंध्य, वाराणसी और चंदौली क्षेत्रों में उगाई जाती है. यह चावल अपने खास स्वाद और खुशबू के लिए जाना जाता है. किसान इसे पीढ़ियों से उगाते आ रहे हैं, क्योंकि इसके बीज आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं और इसकी खेती के पारंपरिक तरीके उन्हें अपने पूर्वजों से मिले हैं. इस चावल की खास बात ये है कि पकाने से पहले और बाद में इसका दाना सबसे छोटा होता है और इसका लंबाई-चौड़ाई अनुपात भी सबसे कम होता है. इस चावल की किस्म को साल 2023 में GI टैग (भौगोलिक संकेतक) प्रदान किया गया था.

इन जिलों में होती है इसकी खेती

आदमचीनी चावल उत्तर प्रदेश के चंदौली, विंध्य और वाराणसी क्षेत्रों में उगाया जाने वाला एक खास देसी और खुशबूदार चावल है. इसके सफेद और चमकदार छोटे दाने दिखने में चीनी जैसे लगते हैं. इसका स्वाद हल्का मीठा होता है और खुशबू भी बहुत ही खास होती है. इस अनोखे चावल को 2023 में GI टैग मिला, जिससे इसकी खेती को नई पहचान और बढ़ावा मिला है.

मार्केट में कितना है रेट

आदमचीनी चावल की बुआई आमतौर पर जून-जुलाई में होती है और इसकी फसल अक्टूबर-नवंबर में काटी जाती है. इसे उगाने के लिए उपजाऊ मिट्टी और भरपूर पानी की जरूरत होती है. मौजूदा वक्त में चंदौली के साथ-साथ मिर्जापुर जिले में भी इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इस समय आदमचीनी चावल की कीमत लगभग 140 से 150 रुपये प्रति किलो है.

6 क्विंटल प्रति एकड़ है आदमचीनी चावल की उपज

धान की अन्य किस्मों के मुकाबले आदमचीनी की पैदावार कम है. इसके चलते कई किसान इसकी खेती करने से हिचकते हैं. साथ ही, स्थानीय स्तर पर इसके लिए बाजार की उपलब्धता भी कम है. इस धान से प्रति बीघा लगभग 6 क्विंटल उत्पादन होता है, जिससे करीब 4 क्विंटल चावल बनता है. हालांकि, इसकी तुलना में सामान्य धान की पैदावार लगभग चार गुना ज्यादा होती है, लेकिन दोनों के दाम में बड़ा फर्क है. क्योंकि आदमचीनी चावल महीन, स्वादिष्ट और खुशबूदार होता है, इसलिए इसकी मांग बड़े शहरों और विदेशों तक है. अगर इसकी फसल सही तरीके से बाजार तक पहुंचाई जाए, तो अच्छे दाम मिलने में कोई दिक्कत नहीं होती. किसान प्रति बीघा इससे 30 हजार रुपये या उससे ज्यादा का मुनाफा कमा सकते हैं.

आदमचीनी धान की कैसे की जाती है खेती

आदमचीनी धान की रोपाई के लिए पारंपरिक तरीके से खेत की तैयारी में पडलिंग की जाती है. इसके लिए खेत को 15 दिनों तक सिंचाई नहर या ट्यूबवेल की मदद से पानी से भरा या गीला रखा जाता है. चंदौली और मिर्जापुर जिलों में धान की खेती बहुत प्रसिद्ध है और यहां सिंचाई की पूरी सुविधा उपलब्ध है. पडलिंग से रोपाई करना आसान होता है और पौधों को नुकसान कम होता है. साथ ही, इसमें खर-पतवार मिट्टी में दब जाते हैं जिससे जैविक तत्वों की मात्रा बढ़ती है. आदमचीनी धान की पूरी खेती के दौरान सही सिंचाई बहुत जरूरी होती है. आमतौर पर इसकी फसल के लिए 7 से 8 बार सिंचाई की जरूरत होती है. लेकिन अगर बीच में अच्छी बारिश हो जाए तो यह संख्या घटकर 4 से 5 बार हो जाती है.

क्या होता है जीआई टैग, सरल शब्दों में जानें

आदमचीनी धान को साल 2023 में भौगोलिक संकेत (जीआई) का दर्जा दिया गया है. ऐसे जीआई टैग का पूरा नाम Geographical Indication यानी भौगोलिक संकेत है. यह एक तरह का प्रमाणपत्र होता है जो यह बताता है कि कोई उत्पाद किसी खास क्षेत्र या भौगोलिक स्थान से जुड़ा हुआ है और उसकी विशिष्ट गुणवत्ता, पहचान या प्रतिष्ठा उस क्षेत्र की वजह से है.

आदमचीनी चावल की खासियत और इसका स्वाद

  • आदमचीनी धान में सूखा सहन करने की क्षमता और बीमारियों से लड़ने की ताकत होती है.
  • इसकी खुशबू तेज, स्वाद बेहतरीन और बनावट बेहद मुलायम होती है.
  • इसकी पकने में 150 से 157 दिन में लगते हैं.
  • अधिकतम उपज 2710 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जो कि अन्य किस्मों की तुलना में काफी ज्यादा है.
  • आदमचीनी के चावल के दाने छोटे और मोटे होते हैं.
  • आदमचीनी धान से 80 फीसदी तक चावल निकलता है, जबकि आमतौर पर अन्य किस्मों में यह मात्रा 65-70 फीसदी ही होती है.
  • आदमचीनी चावल के दानों में प्रोटीन, फैट और ग्लूकोज जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं.

 

 

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Published: 26 Aug, 2025 | 07:07 PM

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