Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जंगली जानवरों की बढ़ती आवाजाही ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. हाथी, सूअर और हिरण जैसे जानवर खेतों में घुसकर किसानों की मेहनत पर पानी फेर देते हैं. कई बार तो पूरी फसल ही बर्बाद हो जाती है. ऐसे में किसानों को आर्थिक नुकसान के साथ मानसिक तनाव भी झेलना पड़ता है. लेकिन अब राहत की बात ये है कि सरकार की ओर से फसल नुकसान पर मुआवजा देने की व्यवस्था की गई है.
हाथियों और जंगली जानवरों से हो रहा भारी नुकसान
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कई जिलों में जंगली जानवरों के जंगलों से भटककर खेतों की तरफ आने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. हाथी, जंगली सूअर और हिरण खेतों में घुसकर धान, गेहूं, गन्ना जैसी फसलें बर्बाद कर रहे हैं. कई बार तो किसानों की 30 से 50 फीसदी तक फसल का नुकसान हो जाता है. यह नुकसान सीधा उनकी आमदनी पर असर डालता है.
मेहनत पर पानी, किसान हो रहे निराश
फसल बर्बादी सिर्फ जमीन का नुकसान नहीं है, बल्कि यह किसानों की कई महीनों की मेहनत और निवेश का नुकसान है. फसल तैयार करने में लगा समय, पैसा और श्रम सब कुछ बेकार चला जाता है. इससे किसान आर्थिक रूप से कमजोर हो जाते हैं और अगली फसल के लिए बीज और खाद तक जुटाना मुश्किल हो जाता है.
ऐसे मिलेगा मुआवजा-आसान स्टेप्स में समझें
अगर किसी किसान की फसल जंगली जानवरों की वजह से नष्ट हो जाती है, तो वह सरकारी मुआवजे के लिए आवेदन कर सकता है. प्रक्रिया इस प्रकार है:-
- सबसे पहले ग्राम प्रधान या ग्राम सचिव को नुकसान की जानकारी दें.
- राजस्वकर्मी (लेखपाल) खेत का निरीक्षण कर नुकसान का सर्वे करेगा.
- सर्वे रिपोर्ट रेंज अधिकारी को भेजी जाएगी.
- इसके बाद रिपोर्ट प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) के पास जाएगी.
- रिपोर्ट की स्वीकृति के बाद मुख्यालय भेजी जाती है.
- वहां से स्वीकृति मिलने पर मुआवजे की राशि सीधे किसान के खाते में भेजी जाती है.
- इस प्रक्रिया में कुछ समय लगता है, लेकिन अगर जानकारी पूरी और सही हो तो मुआवजा मिलना तय है.
सैकड़ों किसानों को मिल चुका है मुआवजा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल ही में कई किसानों को फसल बर्बादी पर मुआवजा दिया गया है. जिन किसानों ने समय पर आवेदन किया और सर्वे में सही नुकसान दर्ज कराया, उन्हें सीधे उनके बैंक खातों में राशि भेजी गई है. यह व्यवस्था किसानों को बड़ी राहत दे रही है, जिससे वे दोबारा खेती करने की स्थिति में आ रहे हैं.
जरूरी है जानकारी और जागरूकता
कई बार देखा गया है कि नुकसान के बावजूद किसान मुआवजे के लिए आवेदन नहीं करते, क्योंकि उन्हें प्रक्रिया की जानकारी नहीं होती. ऐसे में जरूरी है कि किसान अपने ग्राम प्रधान, सचिव या वन विभाग के अधिकारियों से जुड़ें और किसी भी नुकसान की जानकारी तुरंत दें. पंचायत स्तर पर भी सरकार की योजनाओं और मुआवजा प्रक्रिया की जानकारी उपलब्ध रहती है, जिसका लाभ उठाना चाहिए.