Haryana News: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गुरुवार को मांग की कि हरियाणा को बाढ़ प्रभावित राज्य घोषित किया जाए और राज्य सरकार केंद्र से विशेष राहत पैकेज की मांग करे. उन्होंने कहा कि इस बार की स्थिति 1995 की बाढ़ से भी ज्यादा गंभीर है और तुरंत कार्रवाई की जरूरत है. हुड्डा ने कहा कि जैसे प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री पंजाब गए थे, वैसे ही उन्हें हरियाणा भी आना चाहिए, ताकि नुकसान का सही अंदाजा लगाया जा सके. लेकिन केंद्र के नेता यहां नहीं आ रहे, जो राज्य सरकार की बड़ी नाकामी को दिखाता है. इस दौरान उन्होंने सरकार से गन्ने का रेट बढ़ाकर कम से कम 500 प्रति क्विंटल करने की मांग की.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने यमुनानगर जिले के बाढ़ प्रभावित गांवों बंभोली, बिबीपुर, ओदरी, लापरा और कमालपुर का दौरा किया. लापरा गांव के यमुना किनारे पहुंचने के लिए हुड्डा खुद ट्रैक्टर चलाकर गए और वहां फसलों की भारी तबाही देखी. हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में करीब 17 लाख एकड़ में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं. लगभग 5,000 गांव, 11 शहर, 72 कस्बे और सैकड़ों वार्ड बाढ़ से प्रभावित हुए हैं.
अवैध खनन की वजह से यमुना का रास्ता बदल गया
किसानों ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कहा कि बाढ़ के कारण उनकी गन्ना और धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. खेतों में इतनी रेत जम गई है कि अगली फसल लगाना भी मुश्किल हो गया है. हुड्डा ने आरोप लगाया कि अवैध खनन की वजह से यमुना का रास्ता बदल गया है, जिससे बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई. उन्होंने कहा कि सरकारी संरक्षण में खनन माफिया ने नदी का प्रवाह बदल दिया है, जिससे हर साल गांवों को खतरा बना रहता है.
70,000 रुपये मुआवजे की मांग
पूर्व मुख्यमंत्री ने किसानों के लिए प्रति एकड़ 60,000 से 70,000 रुपये मुआवजे की मांग की है. साथ ही जिन लोगों के घर, दुकानें और इमारतें बाढ़ में नुकसान का शिकार हुई हैं, उन्हें भी राहत देने की अपील की है. उन्होंने विशेष गिरदावरी और तुरंत आर्थिक मदद की भी मांग की. हुड्डा ने यह भी कहा कि सरकार को गन्ने का रेट बढ़ाकर कम से कम 500 प्रति क्विंटल करना चाहिए.
विशेष राहत पैकेज की मांग
बता दें कि बीते दिनों हुड्डा ने कहा था कि केंद्र सरकार को हरियाणा, पंजाब और हिमाचल जैसे बाढ़ प्रभावित राज्यों के लिए भी राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए. उनके मुताबिक, 1995 में जब ऐसी ही बाढ़ आई थी, तो वे तत्कालीन कृषि मंत्री को राज्य में लेकर आए थे. उन्होंने कहा कि उस समय कांग्रेस सरकार ने किसानों को हर तरह के नुकसान का मुआवजा दिया था, चाहे वह खेत खलिहान हों, ट्यूबवेल हों, घर-दुकानें हों या फिर फसलें.