किसान संगठनों ने वापस लिया ‘रेल रोको आंदोलन’.. सरकार के सामने रख दी बहुत बड़ी मांग

किसान मजदूर मोर्चा ने बिजली संशोधन विधेयक पर सरकार के रुख के बाद रेल रोको आंदोलन स्थगित किया. मुख्यमंत्री ने विधेयक का विरोध करने की बात कही. बाढ़ मुआवजा, क्षतिग्रस्त सामान की भरपाई और विशेष विधानसभा सत्र की मांग भी उठी. 22 दिसंबर की बैठक के बाद आगे की रणनीति तय होगी.

Kisan India
नोएडा | Published: 21 Dec, 2025 | 02:16 PM
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Punjab Agriculture News: किसान मजदूर मोर्चा (KMM) से जुड़े किसान संगठनों ने अपना रेल रोको आंदोलन फिलहाल स्थगित कर दिया है. यह आंदोलन शनिवार से शुरू होना था. यह फैसला पंजाब सरकार के अधिकारियों के साथ किसान भवन, चंडीगढ़ में बिजली संशोधन विधेयक पर नौ घंटे चली बैठक के बाद लिया गया. चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में KMM नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार बिजली संशोधन विधेयक का विरोध करेगी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह बयान देर से आया, लेकिन यह सही दिशा में पहला कदम है. राज्य सरकार को बिजली विधेयक के खिलाफ बोलना पड़ा, क्योंकि 5 दिसंबर के प्रतीकात्मक रेल रोको, 10 दिसंबर को प्रीपेड मीटर हटाने और दो दिन के जिला कलेक्ट्रेट विरोध में बड़ी भागीदारी ने मजबूत संदेश दिया.

नेताओं ने कहा कि पंजाब सरकार को विधानसभा के विशेष सत्र में विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव पास करना चाहिए. अधिकारियों के अनुसार, पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार को अपने विरोध का पत्र भी भेज दिया है और इस पत्र की प्रति अगली बैठक में KMM को प्रदान की जाएगी. किसान नेताओं ने बताया कि शांभू और खनौरी विरोध स्थलों पर पुलिस कार्रवाई के दौरान क्षतिग्रस्त या चोरी हुए ट्रॉली और अन्य सामान के मुआवजे के लिए एक समिति बनाने पर सहमति बनी है.

KMM अगले कार्रवाई कार्यक्रम की घोषणा करेगा

KMM नेताओं, जिनमें किसान मजदूर संघर्ष समिति (KMSC) के नेता सरवन सिंह पंधेर भी शामिल हैं, ने कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगों को मुआवजा न मिलने के मुद्दे पर सरकार ने तुरंत मुआवजा देने पर सहमति जताई. KMM उन लोगों की सूची तैयार कर सरकार को सौंपेगा जिन्हें मुआवजा नहीं मिला. पंधेर ने कहा कि रेल रोको आंदोलन फिलहाल स्थगित किया जा रहा है. अगर 22 दिसंबर की बैठक में प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो KMM अगले कार्रवाई कार्यक्रम की घोषणा करेगा.

फसल की 100 फीसदी क्षति पर मुआवजा

साथ ही उन्होंने सरकार से मांग की कि फसल की 100 फीसदी क्षति पर मुआवजा 20,000 रुपये से बढ़ाकर 70,000 रुपये किया जाए और कृषि मजदूरों को कुल नुकसान का 10 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए, ताकि उनकी बाकी हानि भी पूरी तरह कवर हो सके. किसान नेताओं ने कहा कि विभिन्न आंदोलनों और प्रदर्शन के दौरान दर्ज सभी मामलों को वापस लेने पर सहमति बनने की संभावना दिखाई दे रही है. शुक्रवार देर शाम समाप्त हुई बैठक में ADGP (कानून और व्यवस्था) SPS परमार, अर्शदीप सिंह थिंद, प्रशासनिक सचिव (कृषि और किसान कल्याण), बसंत गर्ग, प्रशासनिक सचिव (पावर) और सोनाली गिरी, सचिव (राजस्व और पुनर्वास) भी मौजूद थे.

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