पिछले खरीफ सीजन में किसानों के बीच बड़ी सफलता के बाद अब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में ‘कृषि संकल्प अभियान’ का दूसरा चरण शुरू होने जा रहा है. इस बार रबी फसलों पर जोर दिया जाएगा और यह अभियान 3 से 18 अक्टूबर तक चलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “लैब टू लैंड” विजन को आगे बढ़ाते हुए कृषि वैज्ञानिक गांव-गांव जाकर किसानों से मिलेंगे, उनकी समस्याएं समझेंगे और नई तकनीकों की जानकारी देंगे. इसी कड़ी में 15 और 16 सितंबर को दिल्ली के पूसा में दो दिन का राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन ‘रबी अभियान 2025 आयोजित’ किया जाएगा.
खरीफ की सफलता से बढ़ा रबी पर विश्वास
पिछली बार जब खरीफ सीजन के लिए विकसित कृषि संकल्प अभियान चलाया गया था, तब वैज्ञानिकों की करीब 2,170 टीमें गांव-गांव पहुंचीं. किसानों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया और खेती से जुड़ी नई जानकारियां पाई. खुद कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देशभर में किसानों से सीधा संवाद किया था. अब रबी सीजन के लिए भी यही जोश और तैयारी देखी जा रही है. किसान उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें फिर से खेती में कुछ नया और लाभकारी सीखने को मिलेगा.
अब रबी की बारी, सम्मेलन देगा दिशा
इस बार सरकार रबी फसल की तैयारी को लेकर पूरी तरह गंभीर है. इसी मकसद से ‘राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन- रबी अभियान 2025 आयोजित हो रहा है. इस सम्मेलन में देशभर के कृषि विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, नीति निर्माता, और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. सम्मेलन की अध्यक्षता केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे. इसमें खेती से जुड़ी चुनौतियों, बीज, खाद, पानी और तकनीक जैसे मुद्दों पर गहराई से चर्चा की जाएगी.
दो दिनों में क्या-क्या होगा?
पहले दिन यानी 15 सितंबर को केंद्र और राज्यों के अधिकारियों के बीच तकनीकी और नीतिगत विषयों पर चर्चा होगी. दूसरे दिन (16 सितंबर) को सभी राज्यों के कृषि मंत्री, केंद्रीय मंत्रीगण और वैज्ञानिक मिलकर रबी फसल के लिए रणनीति बनाएंगे. खास बात ये है कि इस बार कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) के वैज्ञानिकों को भी बुलाया गया है ताकि वे जमीनी अनुभव और क्षेत्रीय समस्याएं साझा कर सकें.
इन अहम मुद्दों पर होगी चर्चा
सम्मेलन में कई विषयों पर समानांतर तकनीकी सत्र होंगे, जिनमें खुली चर्चा और समाधान पर जोर दिया जाएगा. चर्चा के मुख्य विषय होंगे:-
- जलवायु बदलाव के अनुसार खेती और मिट्टी की सेहत
- गुणवत्तापूर्ण बीज और कीटनाशक की उपलब्धता
- बागवानी का बढ़ता दायरा और निर्यात की संभावनाएं
- कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका और किसानों से सीधा संवाद
- केंद्र प्रायोजित योजनाओं का समन्वय और क्रियान्वयन
- प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
- दलहन और तिलहन की खेती में वृद्धि की रणनीतियां
- उर्वरकों की समय पर उपलब्धता
- एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming) को बढ़ावा देना
- इन विषयों पर बात करके यह तय किया जाएगा कि कैसे खेती को और बेहतर, टिकाऊ और लाभदायक बनाया जा सकता है.
राज्यों के अनुभवों से सीखने का मौका
इस सम्मेलन में देश के अलग-अलग राज्यों की सफलताएं और अच्छी कृषि पद्धतियां भी साझा की जाएंगी. इससे दूसरे राज्य भी इन तरीकों को अपनाकर खेती में सुधार ला सकते हैं. मौसम की जानकारी, उर्वरक प्रबंधन, तकनीकी हस्तक्षेप और कृषि अनुसंधान जैसे मुद्दों पर विशेषज्ञ अपने अनुभव और सुझाव साझा करेंगे.
‘लैब टू लैंड’ का सपना होगा साकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि लैब में बैठा वैज्ञानिक खेतों की जरूरतों को समझे और उसका समाधान वहीं से निकले. इसी सोच को जमीन पर उतारने का नाम है- ‘लैब टू लैंड’. ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ इसी विजन को साकार कर रहा है. वैज्ञानिक सीधे किसानों से मिलकर उनकी समस्याएं समझते हैं और उन्हें उसी के अनुसार नई जानकारी, तकनीक और उपाय बताते हैं. इस पहल से किसान खुद को सरकार से जुड़ा महसूस करते हैं और बदलाव को अपनाते हैं.
किसानों के लिए उम्मीद और बदलाव का संदेश
इस बार का रबी सम्मेलन सिर्फ योजना बनाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि व्यावहारिक रूप से किसानों तक पहुंचने का काम करेगा. किसानों की आय बढ़ाने, उत्पादन में सुधार लाने और खेती को टिकाऊ बनाने के लिए जो भी जरूरी है, उस पर ठोस काम किया जाएगा. सरकार ने साफ कहा है कि वह किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. इस सम्मेलन से न केवल रबी 2025-26 सीजन की मजबूत तैयारी होगी, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा, पोषण और आत्मनिर्भर कृषि व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.