अब बटन वाले फोन पर भी मिलेगी मौसम की जानकारी, IMD ला रहा है जबरदस्त ऐप

खास बात यह है कि Mausam GPT टेक्स्ट और आवाज दोनों रूपों में मौसम की जानकारी देगा. इसलिए जो लोग पढ़ना-लिखना नहीं जानते, वे भी इसे आसानी से समझ सकेंगे.

नई दिल्ली | Published: 29 May, 2025 | 08:34 AM

भारत सरकार की पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की ओर से एक नई पहल शुरू की जा रही है, जिसका मकसद छोटे और मझोले किसानों को मौसम की सटीक और स्थानीय जानकारी देना है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) जल्द ही एक एआई आधारित एप्लिकेशन लॉन्च करने वाला है, जिसका नाम होगा “Mausam GPT”. यह ऐप स्मार्टफोन के साथ-साथ साधारण बटन वाले फीचर फोन पर भी काम करेगा.

छोटे किसान भी आसानी से पाएंगे मौसम की जानकारी

इस ऐप का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी जमीन के हिसाब से मौसम की पूरी जानकारी देना है ताकि वे सही समय पर बीज बो सकें और अपनी फसल की बेहतर देखभाल कर सकें. खास बात यह है कि Mausam GPT टेक्स्ट और आवाज दोनों रूपों में मौसम की जानकारी देगा. इसलिए जो लोग पढ़ना-लिखना नहीं जानते, वे भी इसे आसानी से समझ सकेंगे.

लोकेशन ट्रैकिंग के जरिए मिलेगा सटीक पूर्वानुमान

यह सिस्टम मोबाइल टावरों के जरिए कॉल करने वाले का सटीक लोकेशन पहचान सकेगा और उसी हिसाब से स्थानीय मौसम का पूर्वानुमान देगा. उदाहरण के लिए, यह बताएगा कि अगले तीन दिनों में कहां बारिश होगी या नहीं. इससे न सिर्फ किसान, बल्कि यात्रियों को भी अपने सफर की बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी.

पहली बार पांच भाषाओं में शुरू, बाद में 25 तक होगी संख्या

Mausam GPT की पहली वैरिएंट पांच भाषाओं में उपलब्ध होगी, जिसमें हिंदी, अंग्रेजी समेत कुछ क्षेत्रीय भाषाएं शामिल होंगी. इसके बाद इसे 10 और आखिर में 25 भाषाओं तक बढ़ाने की योजना है. इससे देश के लगभग सभी क्षेत्रीय भाषी लोग अपनी भाषा में मौसम की जानकारी हासिल कर सकेंगे.

यात्रियों और आम लोगों के लिए भी फायदेमंद

सिर्फ किसान ही नहीं, बल्कि आम यात्री भी इस सेवा का लाभ उठा सकेंगे. वे अपने स्मार्टफोन में तारीख और शहर डालकर उस दिन का मौसम जान सकते हैं, साथ ही जरूरी सलाह भी ले सकते हैं, जैसे कि किस दिन छाता लेकर चलना चाहिए या हल्के कपड़े पहनने चाहिए.

भविष्य में और बड़े कदम: समुद्री अनुसंधान और नए स्टेशन

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने बताया है कि वे अगले कुछ सालों में दो बड़े समुद्री शोध जहाज भी खरीदेंगे, जो महासागर की गहराइयों में जाकर अनुसंधान करेंगे. इसके अलावा, अंटार्कटिका में नया शोध केंद्र ‘मैत्री-2’ भी बनाया जाएगा. ये कदम भारत को समुद्री अर्थव्यवस्था में भी आगे बढ़ाएंगे.