आम निर्यात में करीब 100 फीसदी की बढ़ोतरी, सबसे ज्यादा इन 3 देशों में हुई सप्लाई

मुंबई के CSMIA हवाई अड्डे से अप्रैल-मई में आम निर्यात 9 फीसदी बढ़ा, कुल 3,624 मीट्रिक टन निर्यात हुआ. अल्फांसो, केसर समेत कई किस्में लंदन, टोरंटो, न्यूयॉर्क भेजी गईं.

नोएडा | Published: 20 Jun, 2025 | 10:38 PM

मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (CSMIA) से अप्रैल और मई में आम निर्यात में 9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस दौरान कुल 3,624 मीट्रिक टन आम विदेशों में भेजे गए. इस साल अल्फांसो, केसर, चौसा, बदामी और नीलम जैसे आम की किस्में निर्यात की गईं. खास बात यह है कि लंदन सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय डेस्टिनेशन बनकर उभरा है. इसके बाद टोरंटो और न्यूयॉर्क का नंबर है. पिछले साल इसी अवधि में 3,318 मीट्रिक टन आम निर्यात हुए थे. यानी करीब 100 फीसदी का निर्यात में इजाफा हुआ है.

CSMIA के एक बयान में कहा गया है कि हमें गर्व है कि हम भारत के मशहूर आमों को दुनियाभर के बाजारों तक पहुंचाने का रास्ता हैं. हम निर्यातकों का समर्थन करते हुए भारत के बेहतरीन आमों को विश्व स्तर पर पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस साल मुंबई हवाई अड्डे पर आम निर्यात का काम मुख्य रूप से एग्रो एक्सीलेंस सेंटर में हुआ, जो एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स में 2,000 वर्ग मीटर का तापमान नियंत्रित केंद्र है. इस सुविधा में तापमान 15°C से 25°C के बीच रखा जाता है ताकि आम खराब न हों और उनकी गुणवत्ता बनी रहे.

आम की पैलेटाइजेशन भी की जाती है

CSMIA ने कहा कि आम की पैलेटाइजेशन भी की जाती है ताकि हवा का संचरण सही रहे और गर्मी का असर कम हो. हवाई अड्डे ने ‘तुरंत’ नामक मोबाइल ऐप का भी इस्तेमाल किया, जिससे निर्यातक और हैंडलर वास्तविक समय में शिपमेंट की ट्रैकिंग कर सकते हैं. इससे कार्गो टर्मिनल पहुंचने से लेकर विमान में लोड होने तक हर कदम पर माल की स्थिति देखी जा सकती है.

हवाई अड्डे की सुविधाएं नाशपाती के लिए भी उपयुक्त

बयान के अनुसार, कस्टम क्लीयरेंस, सुरक्षा जांच और पैलेट सौंपना इस तरह से किया गया कि शिपमेंट का तापमान नियंत्रित रहे और अंत तक सुरक्षित रहे. CSMIA के एक प्रवक्ता ने कहा कि CSMIA से आम निर्यात की वृद्धि भारत के कृषि निर्यात को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय उत्पादकों को विदेशी बाजारों तक पहुंचाने के उद्देश्य से मेल खाती है. हवाई अड्डे की सुविधाएं नाशपाती वस्तुओं के लिए उपयुक्त हैं और आम के मौसम में जब अंतरराष्ट्रीय मांग सबसे ज्यादा होती है, तब इन्हें पूरी तरह से उपयोग किया जाता है.