सरकार की इस योजना से सेब किसानों की बढ़ी कमाई, फसल बर्बादी भी हुई कम.. अन्नदाता खुश

प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) से कश्मीर के सेब किसानों की आय और भंडारण क्षमता में बड़ा सुधार हुआ है. आधुनिक कोल्ड स्टोरेज और CA यूनिट्स से फसल बर्बादी घटी और मुनाफा बढ़ा है. अब तक जम्मू-कश्मीर में 3.2 लाख टन की क्षमता बनी है, जबकि देशभर में 640 कोल्ड स्टोरेज को मंजूरी मिली है.

Kisan India
नोएडा | Published: 31 Oct, 2025 | 08:47 AM

Apple cultivation: सरकार की 2017 में शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) योजना से कश्मीर के सेब किसानो के हालात धीरे-धीरे बदल रही है. ऐसे इस योजना का उद्देश्य भारत की फूड प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाना है. यानी खेतों को खुदरा बाजारों से कोल्ड स्टोरेज, संरक्षित भंडारण और वैल्यू एडिशन की श्रृंखला के माध्यम से जोड़ना है. हालांकि, अब किसानों की उपज की बर्बादी पहले से काफी कम हो गई है. साथ ही उसे मार्केट में अच्छा रेट भी मिल रहा है.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में अब तक 16 कोल्ड स्टोरेज को मंजूरी दी गई है, जिनकी कुल क्षमता लगभग 2 लाख टन सालाना है. हालांकि अकेले कोल्ड स्टोरेज को सीधे फंड नहीं मिलता, लेकिन वे इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन और वैल्यू एडिशन प्रोजेक्ट्स का हिस्सा होते हैं. शोपियां के किसान तारीक अहमद का कहना है कि पहले हमें फसल कटते ही सस्ते दामों पर सेब बेचने पड़ते थे. अब बेहतर कोल्ड स्टोरेज और कंट्रोल्ड एटमॉस्फेयर (CA) सुविधाओं की वजह से हम स्टॉक रोक सकते हैं और बाजार सुधरने पर अच्छे दाम पा सकते हैं.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार सेब की खेती है

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर की ग्रामीण अर्थव्यवस्था  का आधार सेब की खेती है, जो लगभग 30 लाख लोगों को आजीविका देती है. पहले आधुनिक भंडारण और परिवहन की कमी से 20- 30 फीसदी  सेब फसल के बाद खराब हो जाते थे, लेकिन PMKSY और CEFPPC जैसी योजनाओं से ये नुकसान काफी घटे हैं. NABCONS की 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, PMKSY के इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन  और वैल्यू एडिशन घटक ने फलों, सब्जियों, डेयरी और मत्स्य क्षेत्र में बर्बादी को काफी कम किया है. इस योजना से किसानों की आमदनी बढ़ी है और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं.

30 फीसदी तक ज्यादा मुनाफा 

कश्मीर घाटी के पुलवामा, शोपियां और बारामूला जैसे फलों की खेती वाले जिलों में पिछले कुछ सालों में कई इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं. लस्सीपोरा में स्थित एक कंट्रोल्ड एटमॉस्फेयर (CA) स्टोरेज यूनिट के एक स्थानीय उद्यमी ने बताया कि अब भंडारण की मांग तेजी से बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि अब किसान समझने लगे हैं कि सही तरीके से स्टोरेज करने से बेहतर दाम मिलते हैं. हम सर्दियों में सेब बेचते हैं, जब आपूर्ति कम और दाम ज्यादा होते हैं. इससे हमें करीब 25 से 30 फीसदी ज्यादा मुनाफा मिलता है.

योजनाओं के तहत CA स्टोरेज यूनिट्स बनाए गए

इस साल भारी बारिश और भूस्खलन के कारण जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग  कई हफ्तों तक बंद रहा. ऐसे में ज्यादातर किसानों ने अपनी फसल को CA स्टोरेज में रख दिया, जिससे ये यूनिट्स सामान्य से पहले ही भर गईं. जम्मू-कश्मीर फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स प्रोसेसिंग एंड इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन एसोसिएशन (JKPICCA) के प्रवक्ता इजहान जावेद ने कहा  कि घाटी में किसानों की मदद के लिए PMKSY और CEFPPC दोनों योजनाओं के तहत CA स्टोरेज यूनिट्स बनाए गए हैं.

उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत अब तक कुल 3.2 लाख टन की CA स्टोरेज क्षमता तैयार हो चुकी है, जिससे क्षेत्र की फसल कटाई के बाद की संरचना (post-harvest infrastructure) काफी मजबूत हुई है.खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) के आंकड़ों के अनुसार, पूरे भारत में अब तक 640 से अधिक कोल्ड स्टोरेज को प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) के तहत मंजूरी मिल चुकी है, जिनकी कुल क्षमता 24 मिलियन टन प्रति वर्ष से अधिक है.

वैल्यू एडिशन की सुविधाओं को मजबूत करना है

मंत्रालय द्वारा 22 मई 2025 को जारी किए गए नए दिशा-निर्देशों में इस योजना का दायरा सिर्फ बागवानी  (horticulture) तक सीमित नहीं रखा गया है. अब इसका उद्देश्य पूरी फूड सप्लाई चेन यानी खेत से लेकर उपभोक्ता तक  में भंडारण, संरक्षण और वैल्यू एडिशन की सुविधाओं को मजबूत करना है. एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “लक्ष्य एक ऐसा संपूर्ण तंत्र (end-to-end system) बनाना है, जिसमें उपज खेतों से बाजार तक बिना बर्बादी के आसानी से पहुंच सके.

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