महाराष्ट्र का नासिक, जिसे देश की अंगूर राजधानी कहा जाता है, इस साल मौसम की अनियमितताओं की वजह से सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है. मई महीने से लगातार हो रही बारिश ने जिले के अंगूर बागानों को बुरी तरह प्रभावित किया है. किसानों का अनुमान है कि इस साल अंगूर उत्पादन में लगभग 40 प्रतिशत तक गिरावट आ सकती है और इस वजह से कटाई का समय भी पीछे खिसक सकता है.
लगातार बारिश और फसल को नुकसान
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, किसानों का कहना है कि पिछले दो महीनों से लगातार बारिश होने के कारण अंगूर के बागों में जलभराव हो गया है. इसके कारण बेलों की वृद्धि प्रभावित हुई और फूल समय पर नहीं खुले. डिंडोरी के किसान राजेश शिंदे ने कहा, “लगातार बारिश की वजह से प्रति एकड़ करीब 10 से 12 टन फसल की हानि हो सकती है. कई बागों में अंगूर के गुच्छे समय से पहले गिर गए और फूलों की संख्या भी कम हो गई.” इस तरह के हालात ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि उत्पादन कम होने से उनकी आमदनी पर भी असर पड़ेगा.
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार भीगी हुई परिस्थितियों से नासिक के अंगूरों की गुणवत्ता और निर्यात क्षमता पर भी असर पड़ सकता है. ज्यादा नमी और जलभराव से फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जिससे बेलों में फल समान रूप से नहीं आते. जिले में अब तक लगभग 30 प्रतिशत की हानि का अनुमान लगाया गया है, लेकिन किसानों का कहना है कि पूरी हानि का आंकलन अभी बाकी है.
मौसम की अनियमितता और पिछले वर्षों की कहानी
पिछले कुछ वर्षों से नासिक में मौसम लगातार अनियमित रहा है. असमय बारिश और अचानक मौसम के बदलाव ने अंगूर बेल्ट को कई बार प्रभावित किया है. इस साल लगभग 15 प्रतिशत बागों में अंगूर के फूल या फल विकसित नहीं हुए, केवल बेलें ही बढ़ रही हैं. यह स्थिति उद्योग के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि नासिक भारत में अंगूर निर्यात का सबसे बड़ा केंद्र है.
अगर कटाई का मौसम ऐसा ही बना रहा, तो घरेलू बाजार में अंगूर की उपलब्धता कम हो सकती है और निर्यात भी प्रभावित होगा. इससे न केवल किसानों की आमदनी पर असर पड़ेगा, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी दबाव बढ़ सकता है.
भारत के प्रमुख अंगूर उत्पादक राज्य
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के अनुसार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और मिजोरम भारत के मुख्य अंगूर उत्पादक राज्य हैं. इनमें महाराष्ट्र सबसे आगे है, जो देश के कुल अंगूर उत्पादन का 67 प्रतिशत से अधिक हिस्सा देता है.
इस साल मौसम की अनियमितता ने यह दिखा दिया है कि अंगूर उद्योग पूरी तरह मौसम पर निर्भर है. किसानों की उम्मीद है कि सरकार और विशेषज्ञ समय पर उचित मार्गदर्शन और सुरक्षा उपाय उपलब्ध कराएंगे, ताकि नुकसान को कम किया जा सके. फिलहाल, सभी की निगाहें आने वाले महीनों के मौसम पर हैं, जो इस साल की अंगूर फसल की तकदीर तय करेगा.